What is Bluebird Block-2 Satellite: भारतीय स्पेस क्षेत्र में आज इसरो ने सबसे भारी भरकम माने जाने वाले LVM3-M6 रॉकेट लॉन्च किया। इसे ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 मिशन के तहत लॉन्च किया गया। यह रॉकेट इसरो के कमर्शियल मिशन के तहत अमेरिका के अगली पीढ़ी वाले रॉकेट को पृथ्वी की निम्न कक्षा (Lower Earth Orbit) में स्थापित करेगा।

इसरो के इस मिशन का नाम एलवीएम3-एम6 ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 (LVM3-M6/BlueBird Block-2) है, जो कि पूरी तरह से एक कॉमर्शियल लॉन्चिंग है। यह मिशन अमेरिकी कंपनी एएसटी स्पेसमोबाइल के ‘ब्लू बर्ड ब्लॉक-2’ संचार उपग्रह को अर्थ के लोअर अर्थ ऑर्बिट में स्थापित करने के लिए है।

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इसरों के लिए क्यों अहम है ये मिशन?

इसरो ने इस सैटेलाइट की लॉन्चिंग के लिए अपने LVM3 रॉकेट का इस्तेमाल किया है, जिसे भारत का बाहुबली भी कहा जाता है। यह इस रॉकेट की छठवीं और कॉमर्शियल मिशन के लिहाज से तीसरी उड़ान रही। इस मिशन की सफलता कॉमर्शियल स्पेस सेक्टर में भारत की पकड़ को ज्यादा मजबूत करने वाली होगी।

सैटेलाइट की बात करें तो ब्लू बर्ड ब्लॉक-2 का वजन लगभग 6,500 किलो है। इसकी अहमियत ज्यादा इसलिए भी है क्योंकि भारतीय रॉकेट अगर इस मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम देता है, तो पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित होने वाला सबसे बड़ा वाणिज्यिक संचार सैटेलाइट होगा।

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पीएम मोदी की आई प्रतिक्रिया

इसरो द्वारा रॉकेट लॉन्च किए जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर पोस्ट किया। उन्होंने लिखा, “भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि… एलवीएम3-एम6 प्रक्षेपण की सफलता, जिसने भारतीय धरती से अब तक का सबसे भारी उपग्रह, अमेरिका का ब्लू बर्ड ब्लॉक-2, अपने निर्धारित कक्षा में स्थापित किया, भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक गौरवपूर्ण मील का पत्थर है। यह भारत की भारी-भरकम प्रक्षेपण क्षमता को मजबूत करता है और वैश्विक वाणिज्यिक प्रक्षेपण बाजार में हमारी बढ़ती भूमिका को सुदृढ़ करता है। यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में हमारे प्रयासों का भी प्रतीक है। हमारे मेहनती अंतरिक्ष वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को हार्दिक बधाई। भारत अंतरिक्ष जगत में लगातार नई ऊंचाइयों को छूता रहेगा!”

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संचार के लिए साबित होगा मील का पत्थर

ब्लूबर्ड-2 सैटेलाइट पृथ्वी की निचली कक्षा में चक्कर लगाने के साथ कुछ सबसे सुदूर क्षेत्रों में आसानी से नेटवर्क का विस्तार कर सकता है। इनमें हिमालय, महासागरों और रेगिस्तानों तक शामिल हैं। इसके चलते इन क्षेत्रों में 4जी-5जी नेटवर्क सुविधा पहुंचाना आसान हो जाएगा। इतना ही नहीं, इसके जरिए वैश्विक स्तर पर डिजिटल असमानता को कम भी किया जा सकता है।

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यह ग्रामीण क्षेत्रों, खुले पानी और उड़ानों के दौरान नेटवर्क कवरेज की खामियों को खत्म कर सकता है। इसके अलावा, किसी भी तरह की आपदा की स्थिति में भी सैटेलाइट नेटवर्क बेहतर रहता है। इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेश यूनियन डाटा के मुताबिक, 2025 तक दुनियाभर में 200 करोड़ लोग अब भी इंटरनेट या नेटवर्क कवरेज के बिना रहने को मजबूर हैं।

स्पीड से मिलेगा किन चीजों में फायदा?

जानकारी के मुताबिक, इस सैटेलाइट को 5,600 से ज्यादा व्यक्तिगत सिग्नल सेल बनाने के लिए डिजाइन किया गया है। यह 120 मेगाबाइट्स प्रति सेकंड तक की अधिकतम गति (पीक स्पीड) देने की क्षमता रखता है। यह नेटवर्क स्पीड वॉइस कॉलिंग, मैसेजिंग, सुपर फास्ट डाटा ट्रांसफर और बफर फ्री वीडियो स्ट्रीमिंग के लिहाज से काफी अहम मानी जाती है।

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