Reliance Jio को आखिरकार रिलायंस इन्फ्राटेल (Reliance Infratel) के अधिग्रहण के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) से मंजूरी मिल गई है। मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) के मालिकाना हक वाली रिलायंस जियो इन्फोकॉम (RJio) अब कर्ज में डूबी अनिल अंबानी (Anil Ambani) की इस कंपनी के अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी कर सकती है। प्रक्रिया पूरी करने के लिए NCLT ने रिलायंस जियो से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के एस्क्रो अकाउंट में 3720 करोड़ रुपये जमा करने को कहा है।
RITL के पास हैं 43540 मोबाइल टावर
नवंबर 2019 में रिलायंस जियो ने अपनी सहायक कंपनी रिलायंस प्रोजेक्ट्स ऐंड प्रॉपर्टीज मैनेजमेंट सर्विसेज (RPPMS) के जरिए RITL के टावर और फाइबर संपत्तियां खरीदने के लिए बोली लगाई थी। RITL मुकेश अंबानी के छोटे भाई अनिल अंबानी की कर्ज में डूबी (RCom) की होल्डिंग कंपनी है। RITL के पास करीब 1.78 लाख रुट किलोमीटर की फाइबर संपत्ति और 43540 मोबाइल टावर हैं।
3720 करोड़ रुपये एस्क्रो अकाउंट में जमा करेगी RJio
अक्टूबर, 2022 में रिलायंस जियो ने एस्क्रो अकाउंट में 3720 करोड़ रुपये जमा करने का प्रस्ताव दिया था। और NCLT से RITL की अधिग्रहण प्रकिया को पूरा करने की मंजूरी मांगी थी। जियो ने कहा था कि रिलायंस इन्फ्राटेल दिवाला समाधान प्रक्रिया को झेल रही है। मुकेश अंबनी की अगुवाई वाली रिलायंस जियो ने अनिल अंबानी के प्रबंधन वाली रिलायंस कम्युनिकेशंस (Reliance Communications) की कर्ज में डूबी सहायक कंपनी की फाइबर संपत्तियां और टावर हासिल करने के लिए 3720 करोड़ की बोली भी लगाई थी।
इसके साथ ही रिलायंस जियो ने ट्रिब्यूनल से मॉनिटरिंग कमेटी और जवाबदेह लोगों से अधिग्रहण योजना को लागू करने के लिए जरूरी कदम उठाने के निर्देश देने को भी कहा था। बता दें कि रिलायंस जियो द्वारा एस्क्रो अकाउंट में जमा किए जाने वाले पैसे को अधिग्रहण प्रक्रिया पूरी होने के बाद कर्ज देने वालों में बांट दिया जाएगा।
NCTL चले गए थे RCom के कर्जदाता
बता दें कि मार्च 2018 में RCom के भारतीय कर्जदाता, कंपनी और इसकी सहायक कंपनियों- RITL और रिलायंस टेलिकॉम के मामले को लेकर NCLT के पास चले गए थे। अनिल अंबानी की अगुवाई वाली Rcom पर 46,000 करोड़ रुपये का कर्ज हो गया था। बाद में 2020 में 4000 करोड़ रुपये की एक बोली में RPPMS अधिग्रहण के लिए सबसे सफल आवेदक बनकर उभरी। कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स (COC) ने मार्च 2020 में अधिग्रहण प्लान को अप्रूव कर दिया।
हालांकि, नवंबर 2020 में यह प्रक्रिया उस समय रुक गई, जब एक फोरेंसिक ऑडिट के बाद SBI, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक ने RITL को ‘फ्रॉड अकाउंट’ का टैग दे दिया। बाद में मई 2021 में रिलायंस प्रोजेक्ट्स ने NCLT में जाकर अपने कर्जदाताओं ने ऑडिट रिपोर्ट शेयर करने की गुहार लगाई थी।