दो दिन पहले भारत सरकार ने देश के हर स्मार्टफोन में ‘संचार साथी (Sanchar Saathi)’ ऐप को अनिवार्य करने का फैसला लिया। इसके बाद देशभर में जैसा भूचाल आ गया और विपक्षी दलों ने सरकार पर इस ऐप के जरिए जासूसी करने जैसे गंभीर आरोप लगा दिए। हालांकि, सरकार का कहना है कि ऐप के जरिए ऑनलाइन फ्रॉड पर नकेल कसी जाएगी और उपभोक्ताओं को साइबर सुरक्षा मिलेगी। नए और पुराने हर फोन में ‘संचार साथी’ की अनिवार्यता के इस फैसले के बाद खबर आई कि दिग्गज ऐप्पल सरकारी अधिकारियों के सामने कड़ी आपत्ति दर्ज कराने की तैयारी कर रही है। हालांकि, टेलिकॉम मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि ऐप को डिलीट करें या डाउनलोड पूरी तरह से मोबाइल फोन यूजर्स की मर्जी है। उनका कहना है कि ऐप से कोई जासूसी नहीं की जाएगी। विपक्ष के कई नेताओं ने Sanchar Saathi की तुलना विवादित Pegasus spyware से कर डाली।

Sanchar Saathi ऐप क्या है?

Sanchar Saathi एक सरकारी ऐप है जिसे मोबाइल फ्रॉड यूजर्स को सुरक्षित रखने के लिए बनाया गया है। यह ऐप लोगों को यह चेक करने की सुविधा देता है कि उनका फोन असली है या नहीं। ऐप यह पता लगाने में मदद करता है कि कहीं किसी ने उनके नाम पर मोबाइल कनेक्शन तो नहीं लिया। खोया या चोरी हुआ फोन IMEI नंबर का इस्तेमाल करके ब्लॉक करने की सुविधा देता है और संदिग्ध कॉल की रिपोर्ट करने की भी अनुमति देता है।

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नई सरकारी अधिसूचना के अनुसार भारत में बिकने वाले हर स्मार्टफोन में इस ऐप को इंस्टॉल करना अनिवार्य होगा। यह ऐप पुराने फोन पर भी सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिए इंस्टॉल कराया जाएगा। इंस्टॉल होने के बाद यूजर्स इसे न तो डिलीट कर सकेंगे और न ही डिसेबल कर पाएंगे, यही वजह है कि चिंताएं बढ़ रही हैं।

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Pegasus स्पाईवेयर क्या है?

Pegasus एक पावरफुल स्पाईवेयर है जो बिना यूजर्स की जानकारी के स्मार्टफोन में चुपचाप घुसने के लिए जाना जाता है। एक बार डिवाइस में पहुंच जाने पर यह कॉल, मैसेज, फोटो, लोकेशन, माइक्रोफोन और कैमरा तक एक्सेस कर सकता है। पहले इस पर पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और राजनीतिक नेताओं की निगरानी के लिए इस्तेमाल किए जाने के आरोप लग चुके हैं। फोन पर इसके पूरी तरह कंट्रोल करने की क्षमता के कारण “Pegasus” नाम अमेरिका और यूरोप जैसे पश्चिमी देशों में निगरानी से जुड़ी आशंकाओं का एक सिंबल बन गया है। इस स्पाईवेयर को इजराइल की सिक्यॉरिटी कंपनी NSO ने तैयार किया था।

जब पेगासस को लेकर विवााद हुआ था तब एनएसओ ने बताया था कि यह मास सर्विलांस टूल नहीं है बल्कि कुछ चुनिंदा लोगों की निगरानी के लिए है। इसके जरिए उन लोगों पर नजर रखी जा सकती है जिनके आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने का शक हो। यह टारगेट का फोन हैक करके उसकी निगरानी करता है।

विपक्षी नेता क्यों कर रहे संचार साथी का विरोध?

कई विपक्षी सांसदों ने सरकार के इस फैसले की कड़ी आलोचना की है। कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने लिखा, “यह तो Pegasus प्लस प्लस है। बिग ब्रदर हमारे फ़ोन और लगभग हमारी पूरी निजी ज़िंदगी पर कब्जा कर लेंगे।”

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, ‘‘संचार साथी एक जासूसी ऐप है और स्पष्ट रूप से यह हास्यास्पद है। नागरिकों को निजता का अधिकार है। हर किसी को निजता का यह अधिकार होना चाहिए कि वह सरकार की नजर के बिना परिवार और दोस्तों को संदेश भेज सके।’’

उन्होंने दावा किया, ‘‘यह सिर्फ टेलीफोन पर ताक-झांक करना नहीं है। वे (सरकार) इस देश को हर रूप में तानाशाही में बदल रहे हैं। संसद नहीं चल रही है क्योंकि सरकार किसी भी विषय पर चर्चा करने से इनकार कर रही है। विपक्ष पर आरोप लगाना बहुत आसान है, लेकिन वे किसी भी चीज़ पर चर्चा नहीं होने दे रहे हैं और यह लोकतंत्र नहीं है।’’ उनका कहना था कि एक स्वस्थ लोकतंत्र में चर्चा जरूरी होती है और हर किसी के अलग-अलग विचार होते हैं, जिन्हें सरकारें सुनती हैं।

शिव सेना (यूबीटी) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि यह फैसला एक “बिग बॉस-स्टाइल सर्विलांस मूमेंट” जैसा लगता है। उनका तर्क था कि नागरिकों की रक्षा करने के बजाय यह ऐप सरकार को लोगों की निजी जिंदगी पर लगातार नजर रखने की अनुमति दे सकता है।