पिछले साल भारत सरकार और कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा फेसबुक से यूजर्स का डेटा मांगने के ‘आपातकालीन’ अनुरोधों में खासी बढ़ोतरी देखी गई। मंगलवार देर रात जारी हुई ताजा ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने साल 2019 में सोशल मीडिया यूजर्स का डेटा मांगने के लिए 3369 आपातकालीन अनुरोध किए। ये साल 2018 के 1478 अनुरोधों से दोगुना अधिक है। इसी तरह सरकार ने 2017 में 460 और 2016 में 121 यूजर्स का डेटा मांगा। पिछले चार सालों के आंकड़ों पर गौर करें तो सरकार द्वारा यूजर्स की जानकारी मांगने में करीब 28 गुना की बढ़ोतरी हुई है।

फेसबुक रिपोर्ट के मुताबिक आपातकालीन स्थिति में कानून (एजेंसियां) कानूनी प्रक्रिया के बिना यूजर्स का डेटा मांगने का अनुरोध कर सकती हैं। परिस्थितियों के आधार पर हम कानून प्रवर्तन (एजेंसियों) को स्वेच्छा से जानकारी दे सकते हैं। जहां हमें यह विश्वास हो कि इस मामले में गंभीर शारीरिक चोट या मृत्यु का जोखिम शामिल है।

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सरकार द्वारा यूजर्स जानकारी के लिए आपातकालीन अनुरोधों में वृद्धि 2019 में चुनाव साल होने के कारण हुईं। इसी साल जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को रद्द किया गया और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) प्रस्ताव जैसे विवादास्पद फैसलों लेकर करीब एक साल तक देशभर में विरोध-प्रदर्शन हुए।

सरकार द्वारा कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से भी यूजर्स का डेटा मांगने के भी अनुरोध बढ़ रहे हैं। साल 2018 में सरकार ने ऐसे 37000 से अधिक अनुरोध किए जो तीस फीसदी के उछाल के साथ 2019 में लगभग 50000 हो गए। द इंडियन एक्सप्रेस ने इससे पहले बताया था कि साल 2019 के डेटा मांगने के अनुरोधों में खासी बढ़ोतरी देखी गई और तब तक 1615 यूजर्स का डेटा मांगने का आपातकालीन अनुरोध किया गया। हालांकि नए डेटा से पता चलता है कि 2019 की दूसरी छमाही में 1754 यूजर्स का डेटा मांगने के लिए आपातकालीन अनुरोध किया गया जो पिछली संख्या से ज्यादा है।

उल्लेखनीय है कि आमतौर पर फेसबुक जैसे यूएस-आधारित कंपनी के डेटा अनुरोधों को अमेरिकी न्याय विभाग के माध्यम से पारित किया जाना चाहिए, जैसा कि दोनों देशों के बीच पारस्परिक कानूनी सहायता संधि के अनुसार है। हालांकि आपातकालीन अनुरोधों को सीधे ‘कानून प्रवर्तन ऑनलाइन अनुरोध प्रणाली’ के माध्यम से फेसबुक पर भेजा जा सकता है।