स्मार्टफोन इन दिनों हमारी लाइफ लाइन जैसे बन चुके हैं। घर-परिवार या दोस्तों से बात करनी हो या फिर काम धंधे और बैंक से जुड़े काम निपटाने हो…सब आजकल स्मार्टफोन से हो जाता है। यही वजह है कि हममे से कई लोग अपने फोन पर प्राइवेट डेटा, पर्सनल डॉक्यूमेंट्स और फाइनैंशियल डिटेल्स भी सेव कर के रखते हैं।

इस स्थिति में अगर फोन चोरी या फिर गुम हो जाता है या गलत हाथों में पहुंच जाए तब आपको बड़ा नुकसान होने की आशंका रहती है। यही नहीं, आपके नाम की आईडी पर निकले फोन को आपराधिक गतिविधि या फिर अवैध काम में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। पर अगर सब कुछ ठीक रहा तो आने वाले वक्त में चोरी हुए फोन दूसरों के लिए किसी काम के साबित नहीं होंगे।

ऐसा इसलिए, क्योंकि भारत और दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्रों के संगठन (Association of Southeast Asian Nations: ASEAN) ने एक कार्य योजना को मंजूरी दे दी है। इस प्लान के तहत चोरी हुए और फर्जी मोबाइल हैंडसेट के इस्तेमाल की समस्या से निपटने के लिए एक सिस्टम बनाया जाएगा। शुक्रवार (28 जनवरी, 2022) को हुई एक ऑनलाइन मीटिंग में इस प्लान को अनुमति दी गई। यह भारत के साथ हुई दूसरी आसियान डिजिटल मिनिस्टर्स (2nd ASEAN Digital Ministers’ : ADGMIN) बैठक थी।

समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट में बयान के हवाले से बताया गया, “मंत्रियों की मीटिंग में भारत-आसियान डिजिटल वर्क प्लान 2022 मंजूर किया गया। इसमें चोरी किए गए और फेक मोबाइल हैंडसेट के इस्तेमाल को रोकने के लिए एक सिस्टम बनाना, राष्ट्रव्यापी पब्लिक इंटरनेट के लिए वाई-फाई एक्सिस नेटवर्क इंटरफेस, इनफॉर्मेशन और कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी के 5G, एडवांस सैटेलाइट कम्युनिकेशन और साइबर फॉरेंसिक सरीखे उभरते क्षेत्रों में क्षमता निर्माण और जानकारी साझा करना शामिल है।’’

दरअसल, एडीजीएमआईएन (ADGMIN) दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्रों के संगठन (आसियान) में शामिल 10 देशों के टेलिकॉम मंत्रियों की सालाना बैठक है। इन मुल्कों में Brunei, Cambodia, Indonesia, Laos, Malaysia, Myanmar, Philippines, Singapore, Thailand और Vietnam शामिल हैं, जबकि डॉयलॉग पार्टनर के तौर पर Australia, Canada, China, EU, India, Japan, Republic of Korea, New Zealand, Russia, UK और US जैसे देश हैं।

आपको बता दें कि टेलीकॉम मंत्रालय (Telecom Ministry) ने चोरी किए गए या गुम/खोए हुए मोबाइल फोन्स को ब्लॉक करने और उनका पता लगाने में दिल्ली-एनसीआर के लोगों की मदद के मकसद से दिसंबर 2019 में एक पोर्टल चालू किया था।