Ministry of Electronics and IT (MeitY) ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को फ्रॉड लोन ऐप से जुड़े विज्ञापनों को लेकर ‘अतिरिक्त उपाय’ अपनाने के आदेश दिए। आईटी मंत्रालय ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म यह सुनिश्चित करें कि वे फ्रॉड लोन ऐप्स के विज्ञापनों को जगह ना दें। इसके साथ ही यह चेतावनी भी दी गई है कि किसी भी ‘परिणाम’ के लिए ऐसे मध्यस्थों/प्लेटफॉर्म्स की ‘एकमात्र जिम्मेदारी’ होगी।

बता दें कि हमारे सहयोगी The Indian Express द्वारा 20-21 नवंबर को फ्रॉड लोन ऐप्स से जुड़ी एक विस्तृत रिपोर्ट छापी गई थी। इसमें बताया गया था कि इंस्टाग्राम, फेसबुक पर किस तरह फ्रॉड लोन ऐप्स के विज्ञापन दिए जा रहे हैं। इन प्लेटफॉर्म द्वारा इन ऐप्स को रोकने के लिए बनाई गई कड़ी नीति के बावजूद कई सारे ऐसे ऐप्स के विज्ञापन दिख रहे हैं जिन्हें सरकार द्वारा रेड फ्लैग दिया जा चुका है, लेकिन इनकी सर्विसेज अभी भी चालू हैं।

ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के लिए सरकार ने जारी की एवाइजरी

आईटी मंत्रालय ने मेटा के Facebook, Instagram और Google जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को एक एडवाइजरी जारी की है। इस एडवाइजरी में इन प्लेटफॉर्म्स से यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि 7 दिन के भीतर फ्रॉड ऐप्स के विज्ञापनों को हटाया जाए।

इसके अलावा सरकार मौजूदा Information Technology (IT) Rules (आईटी नियम) में भी सुधार पर काम कर रही है। इन सुधारों का मकसद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को इस तरह के विज्ञापनों को दिखाने से रोकना है। एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी है। एक बार नए नियम बनने के बाद इस तरह के विज्ञापनों को होस्ट करने पपर इन प्लेटफॉर्म को लीगल इम्युनिटी (कानूनी प्रतिरक्षा) खोने का जोखिम झेलना पड़ सकता है।

एडवाइजरी में कहा गया है, ‘मध्यस्थ/प्लेटफॉर्म को स्कैम और यूजर्स को भ्रमित करने वाले गैरकानूनी लोन और बैटिंग ऐप्स के विज्ञापनों को अनुमति नहीं देने के लिए अतिरिक्त उपाय करने की जरूरत है, किसी भी परिणाम की एकमात्र जिम्मेदारी इन प्लेटफॉर्म्स की ही होगी।’

इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा, ‘आपके द्वारा की गई कुछ स्टोरीज में पता चले निष्कर्षों की प्रतिक्रिया है। आईटी मंत्रालय कई महीनों से भारतीय रिजर्व बैंक के साथ इस मुद्दे पर चर्चा कर रहा है, लेकिन हमने हाल ही में इस समस्या से निपटने के लिए अपनी कोशिशों को तेज किया है।’

उन्होंने आगे कहा, ‘आईटी नियम के नियम 3 (1) (b) के तहत, हमारा इरादा खासतौर पर यह जोड़ना है कि कोई भी मीडिएटर किसी भी जरूरत के लिए फ्रॉड लोन ऐप्स के विज्ञापनों को ना दिखा सके।’

महीनों तक चली इंडियन एक्सप्रेस की पड़ताल का असर

फेक लोन ऐप्स पर महीनों तक चली लंबी इन्वेस्टिगेशन के तहत इंडियन एक्सप्रेस ने इस सिस्टम में शामिल कई सारे स्टेकहोल्डर्स से बात की थी। इनमें लोन लेने वाले यूजर्स, फिनटेक मीडिएटर, सरकारी अधिकारी, बड़ी टेक कंपनियां और पूर्व आरबीआई अधिकारी शामिल रहे।

बता दें कि इस पड़ताल में कई सारे ऐसे पीड़ितों का पता चला और इनमें एक बात कॉमन थी। इन ऐप्स के लिए किसी भी सरकारी और रेगुलेटरी नियमों का ना होगा। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म अपने थोड़े से फायदे के लिए इन फॉड लोन ऐप्स का खुलेआम विज्ञापन करते हैं। आरबीआई के पास भी ना तो रजिस्टर्ड लोन ऐप्स और ना ही फ्रॉड ऐप्स की कोई लिस्ट है।

इसके अलावा मंगलवार (27 दिसंबर 2023) को जारी की गई एडवाइजरी में आईटी नियमों को कड़ाई से लागू करने की बात भी कही गई है। और इसमें ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)बेस्ड इन्फोर्मेशन और डीपफेक (Deepfakes) से कड़ाने से निपटने की जरूरत बताई गई है।