आजकल शहर हो या गांव, कार का चलन तेजी से बढ़ा है। कार जरूरत का साधन भी है। मगर बहुत सारे लोगों को पता ही नहीं होता कि कार की देखभाल कैसे करें। मामूली सावधानियां भी लोग नहीं बरत पाते। इसकी वजह से कार और उसके उपकरणों में अक्सर खराबी आ जाती है। केवल कार को धो-पोंछ कर साफ-सुथरा रखना उसकी देखभाल करना नहीं होता। कार की भी अपनी भाषा होती है। अगर आप उसे समझ जाते हैं, तो कार की देखभाल करना बहुत आसान हो जाता है।

तेल-पानी का रखें ध्यान

कार केवल तेल से नहीं चलती। उसमें कूलेंट, इंजन आयल और पानी भी पड़ता है। बहुत सारे लोग यही समझते हैं कि सर्विस के वक्त मिस्त्री बाकी चीजें तो डाल ही देता है, उन्हें केवल तेल डला कर चलाना होता है। मगर ऐसा नहीं है। कुछ-कुछ दिन पर कूलेंट और इंजन आयल की मात्रा जरूर जांच लेनी चाहिए। कूलेंट खत्म हो जाने से गाड़ी का इंजन गरम होकर काम करना बंद कर सकता है। इसी तरह इंजन आयल और पानी भी समय-समय पर डालते रहना चाहिए।

एसी की सेहत

गरमी का मौसम शुरू हो रहा है। ऐसे में एसी की सफाई अवश्य करा लेनी चाहिए। जब भी गाड़ी में एसी चालू करें, तो इस बात का ध्यान रखें कि गाड़ी चालू करते ही एसी का बटन न दबाएं। कुछ देर इंजन चल लेने के बाद ही एसी का पहले केवल पंखा चलाएं। पांच मिनट तक खिड़कियों के कांच खोल कर रखें, ताकि भीतर की गरम हवा बाहर निकल जाए, फिर एसी को ठंडा करने के लिए चलाएं। इस तरह एसी पर बोझ कम पड़ेगा और वह स्वस्थ रहेगा।

गेयर बदलें, गति बदलें

भारतीय वाहन चालकों के बारे में एक आम कथन है कि उन्हें गाड़ी चलाने का सलीका नहीं पता। उसमें केवल सड़क नियमों के पालन की बात नहीं है, गाड़ी चलाने का तरीका भी शामिल है। आजकल कंप्यूटराज्ड गाड़ियां हैं, ज्यादातर में हर बात की जानकारी मीटर वाले परदे पर उभरती रहती। उसमें गाड़ी खुद बताती रहती है कि अब कौन-सा गेयर बदलना है।

अगर गाड़ी कंप्यूटराइज्ड नहीं है, तो भी इंजन की आवाज से पता चल जाता है कि गेयर बढ़ाना है या कम करना। गाड़ी चलाने का आम नुस्खा यह है कि दस किलोमीटर तक की रफ्तार पर पहला गेयर, दस से ऊपर गति होने पर दूसरा और बीस से ऊपर होने पर तीसरा, चालीस से ऊपर चौथे गेयर और पचास से ऊपर पांचवें गेयर में गाड़ी चलानी चाहिए।

जब गाड़ी धूप में खड़ी करें

धूप में गाड़ी खड़ी करते समय खिड़कियों के कांच हल्का नीचे कर देने चाहिए। इससे गाड़ी के भीतर बन रही भाप बाहर निकल जाती है। अगर कांच बंद रहते हैं, तो भाप आगे और पीछे लगे कांच की रबड़ पैकिंग में से जगह बना कर बाहर निकलती है। इससे गाड़ी चलाते समय बाहर की गरम हवा भीतर भी पहुंचनी शुरू हो जाती है। जब भी आप एसी चलाते हैं तो ठंडक कम हो जाती है।

बरसात और सर्दियों में उन्हीं छिद्रों से नम हवा अंदर आकर कांच को धुंधला कर देती है। जहां तक संभव हो सके, विशेषकर आगे के कांच पर परदा लगा दें, ताकि डैशबोर्ड और स्टीयरिंग पर सीधी धूप न पड़ने पाए। पहियों का संतुलन कुछ-कुछ महीने पर वील बैलेंसिंग और अलाइनमेंट कराते रहना चाहिए। इससे पहियों का संतुलन ठीक रहता और टायर कम घिसते हैं।