मेथी मूंग मलाई
इस मौसम में मेथी आनी शुरू हो जाती है। हालांकि अब तो दूसरे मौसम में भी मेथी मिलने लगी है, मगर इस मौसम की मेथी का स्वाद निराला होता है। दरअसल, यही मेथी उगने का सही समय है, इसलिए इस मौसम में ही मेथी खाएं, तो उसका उचित लाभ भी मिलेगा। मेथी को आलू के साथ मिलाकर या फिर आटे में गूंथ कर परांठे के रूप में तो लोग अक्सर खाते रहते हैं, मगर साबुत मूंग के साथ इसका स्वाद लाजवाब बनता है।
मेथी मूंग मलाई बनाने से पहले एक कटोरी साबुत मूंग को पांच-छह घंटे के लिए भिगो कर रख दें। फिर जब बनाना हो, तो अच्छी तरह धोकर सारा पानी निथार लें। कुकर में नमक और हल्दी के साथ आधा कटोरी पानी में इस मूंग को दो सीटी आने तक उबाल लें। मूंग बस पक कर नरम हो जाए, गलनी नहीं चाहिए। साबुत दिखती रहनी चाहिए। अब इसे अलग रखकर ठंडा होने दें।
इसमें डालने के लिए एक कटोरी दूध की उतारी मलाई या फिर बाजार में मिलने वाली क्रीम की जरूरत पड़ेगी। दूध से उतारी मलाई ले रहे हैं, तो उसे अच्छी तरह फेंट लें। इसे भी अलग रख लें। अब मेथी को अच्छी तरह धोकर इसके पत्ते डंठल से अलग कर लें। एक कड़ाही में दो चम्मच घी गरम करें। उसमें जीरा और अजवाइन का तड़का दें।
फिर मेथी के पत्तों को छौंक दें और तेज आंच पर चलाते हुए तीन से चार मिनट तक पकाएं। जब पत्ते पानी छोड़ कर सिकुड़ने लगें, तो आंच बंद कर दें। अब इसमें चौथाई चम्मच गरम मसाला, आधा चम्मच धनिया पाउडर और चौथाई या आधा चम्मच कुटी लाल मिर्च डाल कर मिलाएं और एक अलग बर्तन में निकाल कर ठंडा होने के लिए छोड़ दें।
एक टमाटर को पीस कर पेस्ट बना लें। चार-पांच लहसुन की कलियां और छोटा टुकड़ा अदरक का बारीक-बारीक काट लें। फिर जिस कड़ाही में मेथी के पत्ते पकाए थे, उसी में दो चम्मच घी और डालें और लहसुन अदरक को सुनहरा होने तक भूनने के बाद टमाटर का पेस्ट डालें और घी छोड़ने तक चलाते हुए पकाएं। फिर चौथाई चम्मच हल्दी पाउडर डाल कर दो मिनट के लिए पकाएं। अब इसमें उबली हुई मूंग डालें और चलाते हुए उबाल आने तक पकाएं।
जब अच्छी तरह उबाल आ जाए तो पके हुए मेथी के पत्ते डालें और तीन-चार मिनट तक पकाएं। फिर उसमें मलाई डालें और अच्छी तरह चलाते हुए पकाएं। मध्यम आंच पर करीब पांच मिनट तक पकाएं। फिर आंच बंद कर दें। हमारी मेथी मूंग मलाई तैयार है। अब इसमें तड़के की तैयारी कर लें। इसका तड़का मक्खन में लगाएं। तड़का पैन में दो चम्मच मक्खन गरम करें। जैसे ही मक्खन पिघल जाए, उसमें चुटकी भर हींग, चौथाई चम्मच देगी मिर्च पाउडर और एक चम्मच कसूरी मेथी रगड़ कर डाल दें।
इस तड़के में ध्यान रखें कि मिर्च पाउडर और कसूरी मेथी जलने न पाए, नहीं तो सारा स्वाद बिगड़ जाएगा। इसलिए पहले हींग और सबसे बाद में कसूरी मेथी डालें। जैसे ही हींग पक जाए, तड़के को दाल में डाल दें। इस दाल को रोटी, परांठे या चावल किसी के भी साथ खा सकते हैं। पोषण और स्वाद से भरपूर मेथी मूंग मलाई।
मूली की चटनी
मूली की पैदावार भी इस मौसम में खूब होती है। अगर पूरी सर्दी मूली खाएं, तो कब्ज और एसिडिटी की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। मगर कई लोग मूली इसलिए नहीं खाते कि उन्हें इसकी गंध नहीं पसंद। बहुत सारे लोग इसे सलाद के रूप में खाते हैं। कुछ लोग इसकी सब्जी भी बनाते हैं। मगर इसकी चटनी भी लाजवाब बनती है, यह कम लोगों को पता है।
कश्मीरी लोग दही के साथ इसकी चटनी खूब पसंद करते हैं। मगर मैदानी भागों में रहने वाले लोगों को सलाह है कि मूली के साथ किसी भी तरह के दुग्ध पदार्थ का इस्तेमाल न करें। यह विरुद्ध आहार बनाता है। पेट में गड़बड़ ही पैदा करेगा। मूली इस मामले में खास है कि कि इसके पत्ते भी न सिर्फ खाने के काम में आते हैं बल्कि स्वाद बढ़ाने वाले होते हैं। जब भी मूली की चटनी बनाएं, इसके नरम पत्तों को भी धोकर काट लें। एक मूली का छिलका उतार कर छोटे टुकड़ों में काट लें।
फिर एक कड़ाही में एक चम्मच सरसों का तेल गरम करें। उसमें एक चम्मच साबुत धनिया, आधा चम्मच जीरा, दो-तीन हरी मिर्च और चार-पांच कलियां लहसुन की बारीक काट कर तड़का दें। तड़का तैयार हो जाए तो मूली और कटे हुए पत्ते छौंक दें। जरूरत भर का नमक डालें और मध्यम आंच पर तब तक पकाएं, जब तक मूली पक कर नरम न हो जाए। फिर आंच बंद कर दें।
मूली को अगर हल्का पका लें, तो उसकी ठंडी तासीर कम हो जाती है। यह असानी से पचती है और इसकी गंध भी बदल जाती है। जब पकी हुई मूली हल्की गरम रह जाए तो कड़ाही से निकालें और मिक्सर में डाल कर पीस लें। ध्यान रखें कि इसमें पानी बिल्कुल न डालें। मूली ने पकते हुए जो रस छोड़ा था, उसी के साथ पीस कर चटनी तैयार करें।