मानस मनोहर
अक्सर बच्चे और युवा घर में बनने वाले पारंपरिक व्यंजनों को देखते ही नाक-भौं सिकोड़ने लगते हैं। दरअसल, उनकी जुबान पर बाजार के व्यंजनों का स्वाद इस कदर चढ़ चुका है कि उन्हें घर का भोजन अक्सर पसंद नहीं आता। ऐसे में अच्छा उपाय यही है कि पारंपरिक व्यंजनों को बनाने के तरीके में कुछ बदलाव कर दें। इस तरह न सिर्फ देखने में वे आकर्षक हो जाएंगे, बल्कि उनका स्वाद भी बच्चों और युवाओं की जुबान पर आसानी से चढ़ जाएगा। कुछ ऐसे ही व्यंजन।
दही वाला घीया
घीया यानी लौकी की पारंपरिक सब्जी देख कर बच्चे और युवा सबसे अधिक नाक-भौं सिकोड़ते हैं। उन्हें लाख समझाइए कि घीया स्वास्थ्य के लिए बहुत गुणकारी सब्जी है, पचने में सुगम होती है, पाचन तंत्र को दुरुस्त रखती और खून की अशुद्धियों को दूर करती है। मगर इन बातों का उन पर कोई असर नहीं पड़ता। इसलिए अगर उनकी जुबान पर घीया का स्वाद चढ़ाना है, तो उसे दही वाली तरी के साथ बनाएं। यह कश्मीर के लजीज व्यंजनों में गिना जाता है। इसे वहां यखनी लौकी बोलते हैं। इसे बनाने में थोड़ी तैयारी तो जरूर करनी पड़ती है, मगर यह होती वाकई लाजवाब है। बच्चे ही क्यों, घर में मेहमान आएं, तो उन्हें भी इसे विशेष व्यंजन के तौर पर परोस सकते हैं।
दही वाला घीया बनाने के लिए सबसे पहले एक थाली या बड़ी प्लेट में आधा कप मैदा लें। उसमें चुटकी भर कुटी लाल मिर्च, आधा चम्मच सौंफ का पाउडर और चौथाई चम्मच नमक डाल कर अच्छी तरह मिला कर अलग रख दें। अब एक नरम घीया लें। उसका छिलका उतारें और दो इंच मोटाई में गोल-गोल काट लें। इन टुकड़ों के बीच का गूदा निकाल दें। केवल किनारे का सख्त वाला हिस्सा ही रखें। अब इन टुकड़ों को मैदे के मिश्रण में अच्छी तरह लपेटें, ताकि मैदे की परत अच्छी तरह पूरे टुकड़े पर चढ़ जाए। इन टुकड़ों को परात में ही रखा रहने दें।
कड़ाही में भरपूर तेल गरम करें। तेल अच्छी तरह गरम हो जाए तो आंच मध्यम कर दें और लौकी के टुकड़े उनमें डाल कर तीन से चार मिनट तक तल लें। ध्यान रखें कि इसे ज्यादा नहीं तलना है, क्योंकि जब इसे तरी में डालेंगे, तब भी यह थोड़ा पकेगा। दही वाली लौकी में पिलपिली नहीं होनी चाहिए। उसमें सख्तपन थोड़ा रहना ही चाहिए। इस तरह सारे टुकड़ों को तल कर अलग कटोरे में रख लें। अब इसकी तरी तैयार करें। इसकी तरी दही की बनती है। लौकी के टुकड़ों के अनुपात में एक से दो कटोरी दही को अच्छी तरह मथ लें, ताकि उसमें गांठें न रहने पाएं। फिर इसमें चौथाई छोटा चम्मच हल्दी पाउडर, चौथाई चम्मच लाल मिर्च पाउडर, आधा चम्मच धनिया पाउडर और चौथाई चम्मच गरम मसाला डालें।
इसमें सबसे जरूरी मसाला है सौंफ का पाउडर। सौंफ से ही इसका स्वाद निखरता है। डेढ़ से दो छोटा चम्मच सौंफ का पाउडर डालें और अच्छी तरह फेंट कर ढंक कर थोड़ी देर रख दें। इस तरह दही के फटने की आशंका कम हो जाती है। अब कड़ाही में एक चम्मच घी गरम करें। उसमें चुटकी भर जीरा तड़काएं और फिर आंच बंद कर दें। तड़का थोड़ा शांत हो जाए तो उसमें दही का मिश्रण डालें और दो मिनट तक चलाते हुए मिलाएं। फिर आंच जलाएं और मध्यम करके दही को चलाते हुए पकाएं। पांच से सात मिनट तक पकाने के बाद जरूर भर का नमक डाल कर आंच बंद कर दें। अब इस तरी को तले हुए घीया के टुकड़ों पर डाल दें। गरमागरम परोसें। इसे धनिया पत्ता, मिर्च वगैरह से सजाने की जरूरत नहीं होती।
कचकचे करेले
बच्चे तो करेले का नाम सुनते ही भोजन से विद्रोह कर बैठते हैं। हालांकि बड़ों में भी करेले को लेकर बहुत आकर्षण नहीं देखा जाता। लोग करेले के गुणों से अच्छी तरह परिचित हैं, मगर खाने की बात आती है, तो इसका चुनाव कम ही करते हैं। ज्यादातर लोगों में करेले के प्रति विकर्षण का भाव उसके कड़वेपन की वजह से पैदा होता है। मगर करेले का कड़वापन अगर खत्म हो जाए, तो खाने में शायद ही किसी को एतराज हो। इसलिए लोग तरह-तरह से करेले का कड़वापन समाप्त करने का प्रयास करते हैं। कुछ लोग इसे खूब देर तक भूनते हैं ताकि उसका सारा रस सूख जाए और कड़वापन समाप्त हो जाए। कुछ लोग प्याज-टमाटर से इसे दबाने का प्रयास करते हैं।
मगर करेले का कड़वापन दूर करना कोई कठिन काम नहीं है। एक बार इसका कड़वापन समाप्त हो जाए, तो फिर उसे तेल में तलने और पूरी तरह रस सुखाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। फिर तो अधपके कचकचे करेले भी स्वादिष्ट लगेंगे। करेला हरी सब्जी है और हरी सब्जियों को पूरा कभी नहीं पकाना चाहिए, उनका कच्चापन थोड़ा बचा कर रखना चाहिए, तभी उनके गुणों का भरपूर लाभ मिलता है। इसलिए इस बार करेले को भी कचकचा बना कर खाएं, फिर हमेशा खाएंगे, बच्चे भी खाएंगे।
करेले को अच्छी तरह धो लें। उसके लंबाई में चार फांक कीजिए और फिर बीच से दो या तीन टुकड़ों में काट लीजिए। अगर गोल-गोल काटना चाहें, तो वैसा कर लें। जैसे भी काटना चाहते हैं, काट लीजिए। अब इसकी कड़वाहट हटाने का इंतजाम कीजिए। कटे हुए करेले में एक चम्मच नमक, आधा छोटा चम्मच हल्दी पाउडर, एक बड़ा चम्मच चीनी डालें और अच्छी तरह मिलाने के बाद आधे घंटे तक ढंक कर रख दें। इससे अधिक समय के लिए भी रख सकते हैं। आधे घंटे बाद करेला पानी छोड़ना शुरू कर चुका होगा। अब करेले को थोड़ा-थोड़ा लेकर दोनों हथेलियों के बीच दबा कर जितना रस निकाल सकते हैं, निकाल दें।
कड़ाही में दो चम्मच तेल में जीरा, सौंफ और अजवाइन का तड़का दें और करेले को छौंक दें। चाहें, तो इसके साथ मोटा कटा प्याज भी इस्तेमाल कर सकते हैं। थोड़ी-थोड़ी देर में चलाते हुए पकाएं। ढक्कन बिल्कुल न लगाएं, नहीं तो करेले का हरापन कालेपन में बदल जाएगा। पांच से सात मिनट तक पकाएं, करेला तैयार है। कचकचा करेला, एक बार खाकर जरूर देखें।