प्रभुदयाल श्रीवास्तव
सुबह लगाना शाम लगाना
मिले समय जब तभी लगाना
पेड़ लगाना पेड़ लगाना
पेड़ बड़े होंगे तब दिन भर
उड़ उड़ कर चिड़ियां आएंगी
बैठ डाल पर चूं-चूं चीं-चीं
का मीठा गाना गाएंगी
हट्ट हट्ट कर नहीं भगाना
पेड़ बड़े होंगे तो उन पर
फूल खिलेंगे फल निकलेंगे
पत्ते दे ताली नाचेंगे
फुनगी के सिर खूब हिलेंगे
भंवरे भी गाएंगे गाना
ग्रीष्म काल में राहगीर जब
धूप-तपन से आहत होंगे
इन विटपों कि छाया में ही
अपनी गर्मी दूर करेंगे
मिले ठंड का ठौर ठिकाना
यही पेड़ बादल रोकेंगे
बादल पानी बन बरसेंगे
खेत खेत में पानी होगा
नदिया झरने सर हरषेंगे
खूब मिलेगा पानी दाना

