खतरे का संकेत

पैरों में सूजन आना शरीर में किसी बीमारी के उभरने का संकेत हो सकता है। इसे नजरअंदाज करना खतरे से खाली नहीं होता। कई बार लिवर एल्बुमिन नाम का प्रोटीन बनाना बंद कर देता है। यह वह प्रोटीन होता है जो रक्त वाहिकाओं खून का रिसना रोकता है। यदि रक्त रिसना शुरू हुआ तो पैरों में तरल पदार्थ इकठ्ठा हो जाता है और पैरों में सूजन आ जाती है।

इसी प्रकार शरीर के ऊपरी हिस्से में यदि तरल पदार्थ एकत्र होने लगता है तो समझ जाइए किडनी ढंग से काम नहीं कर रही है। इसका पता तब चलता है जब आदमी की सांस फूलने लगती है या बहुत कम पेशाब आता है और पैरों के साथ-साथ पूरे शरीर में सूजन बढ़ने लगती है।

कई बार पैर इसलिए भी सूज जाते हैं, क्योंकि हृदय का कोई हिस्सा या तो क्षतिग्रस्त हो गया हो या वह खून को अच्छी तरह संचरित नहीं कर पा रहा हो। लिम्फेटिक सिस्टम, टाक्सिंस व बैक्टेरिया आदि को हमारे शरीर से बाहर निकालने का काम करता है। यदि यह काम करना बंद कर दे, तो ये पदार्थ शरीर में ही एकत्र होने लगते हैं। इस वजह से वहां इंफेक्शन या सूजन होने लगती है। वैसे गर्भावस्था के दौरान ज्यादातर महिलाओं को पैरों में सूजन की शिकायत आम होती है।

कुछ को दवाओं के प्रतिकूल प्रभाव के कारण भी ऐसा हो सकता है। पैर या टखने में कोई भी आघात जैसे मोच, चोट, फोड़ा आदि के संक्रमण की वजह से भी पैर सूज सकते हैं। आमतौर पर ज्यादा देर तक खड़े रहने या पैदल चलने के कारण भी यह समस्या हो जाती है। लेकिन, पैरों में सूजन बिना किसी बाहरी कारण हो जाए तो यह गंभीर बीमारी हो सकती है।

रहें सतर्क

दर्द रहित सूजन आमतौर पर अपने आप ठीक हो जाती है, कुछ घरेलू उपचार सूजन को और जल्दी कम कर सकते हैं। इसके लिए दिन में 8 से 10 गिलास पानी पिएं। जूते और मोजे बदल दें। लगभग 15 से 20 मिनट के लिए नमक मिले पानी में पैरों को रखें। सोते समय पैरों को कुशन, तकिए पर ऊपर उठाएं। मैग्नीशियम, पोटेशियम व सोडियम से भरपूर खाद्य पदार्थ खाने से भी मदद मिल सकती है।

विशेष यह कि अपना वजन नियंत्रित करें। सूजे हुए पैरों की मालिश करने से आराम मिलता है। इसके बावजूद सूजन नहीं जा रही है तो यह किडनी से जुड़ी बीमारियों का संकेत हो सकता है। लगभग 30 फीसद किडनी के मरीज डाक्टर के पास तब जाते हैं, जब काफी देर हो चुकी होती है और उस समय इलाज के सिर्फ दो ही विकल्प बचते हैं, डायलिसिस और दूसरा, गुर्दा प्रत्यारोपण।

उपाय

चिकित्सीय जांच से ही यह पता चलता है कि पैरों और टखनों में सूजन क्यों आई है। इसके बाद ही इलाज शुरू किया जाता है। इसके लिए खून की जांच यानी सीबीसी सबसे आम जांच होती है। इसके अलावा डाक्टर छाती का एक्स-रे कराने की भी सलाह देते हैं। यदि सूजन जीवनशैली की आदत या मामूली चोट की वजह से आई है, तो डाक्टर घरेलू उपचार की सिफारिश करते हैं और यदि सूजन किसी आंतरिक स्वास्थ्य स्थिति के कारण आई तो उसी हिसाब से इलाज शुरू किया जाता है।

(यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी और जागरूकता के लिए है। उपचार या स्वास्थ्य संबंधी सलाह के लिए विशेषज्ञ की मदद लें।)