कथरी सी रही होती
तो दुख को भी टांक देती उसमें
चूल्हा जला रही होती
तो आंखों का धुंआ पोंछते हुए
दुख किरासिन की तरह उड़ेल देती
सीली लकड़ियों पर
धान कूट रही होती
तो ढेंकुली में डाल देती दुख
आटा पीस रही होती
तो जतसार के गीत में
लगा देती दुख का कांपता एक सुर
यह सब तो छूट गया बहुत पीछे
सब कुछ दादी के साथ गया
मां ने भी तो उन्हें नहीं जुगाया
और मैंने तो बस किस्सों में सुना
लेकिन दुख
वह तो उसी तरह चला आया
मेरे इस सबसे आधुनिक ड्राइंगरूम में
और अधिक नग्न और अधिक क्रूर
और अधिक नृशंस होकर
जितना छोड़ती चली जाती हूं
उससे कहीं ज्यादा छूटता चला जाता है
पर यह एक दुख है कि साथ ही नहीं छोड़ता!
जीना आसान
जीवन का अंत है मृत्यु
फिर भी उसका अहसास कभी-कभी
जिंदगी को सरल-सहज बना देता है
मरने का एक विकल्प है मेरे पास
कई बार इतना सोचने भर से ही
जीना आसान हो जाता है!
(मदन कश्यप)