बड़े शहरों में जमीन-जायदाद की कीमतें बढ़ती जाने की वजह से बहुत सारे लोगों को छोटे घर घर खरीदना मजबूरी है। बरसात के बाद बहुत सारे लोग दशहरे ये दीवाली के बीच अपने नए घर में प्रवेश करना पसंद करते हैं। उससे पहले घर की आंतरिक साज-सज्जा कराते हैं। मगर घर की आंतरिक साज-सज्जा यानी इंटीरियर डिजाइनिंग के समय अक्सर लोग बड़े मकानों की व्यवस्था की नकल करते हैं। छोटे घर खरीदने वाले ज्यादातर लोगों के पास आंतरिक सज्जाकार या वास्तुविद की सलाह लेने की क्षमता नहीं होती, इसलिए वे बाजारों में घूम कर अपनी पसंद की चीजें खरीदते हैं। ऐसे में कई चीजें घर के आकार से मेल नहीं खातीं और बेवजह अधिक जगह घेरती हैं।
छोटे घरों में सबसे बड़ी समस्या जगह की होती है, इसलिए उनमें कैसे कम से कम जगह में अधिक से अधिक सुविधाएं बिठाई जाएं, उसके लिए बहुत सोच-समझ कर फैसला करने की जरूरत होती है। आंतरिक सज्जाकार थोड़े पैसे जरूर लेते हैं, पर उनकी मदद ली जाए, तो वे इस तरह सारी सुविधाओं को बिठा देते हैं कि छोटा घर भी खुला-खुला लगता है। अगर आप खुद अपने घर की सज्जा कर रहे हैं, तो कुछ बातों का ध्यान जरूर रखें।
घर में कुछ जगहें ज्यादा महत्त्वपूर्ण होती हैं, जिनकी सज्जा में विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है।
बच्चों का कमरा
घर में बच्चों के कमरे पर सबसे पहले ध्यान देने की जरूरत होती है, क्योंकि वे उसी में खेलते भी हैं, पढ़ते भी हैं, बहुत सारी चीजें फैलाते भी हैं। वहीं उनके कपड़े रखे जाते हैं, वहीं उनकी किताब-कॉपियां रखी जाती हैं। इसलिए बच्चों के कमरे की सज्जा करते समय अगर फर्नीचर फोल्डिंग रखे जाएं, मेजें और अलमारियां इस तरह की रखी जाएं कि वे जरूरत पड़ने पर पढ़ने-लिखने और किताब-कॉपियां रखने के भी काम आएं और जरूरत न हो तो समेटी भी जा सकें। आजकल दीवारों के साथ लग कर खुलने और समेटी जा सकने वाली मेजें और अलमारियां आने लगी हैं। उनका उपयोग होना चाहिए। बिस्तर भी समेटे जा सकने वाले होने चाहिए, ताकि बच्चे जब चाहें, उन्हें समेट कर अपने खेलने की जगह बना सकें। इसी तरह बच्चों के कपड़े रखने की अलमारी स्लाइडिंग यानी खिसका कर खोली जा सकने वाली बनवाएं, जिसमें दो या तीन परतें और कई खाने हों। भीतरी खानों में कपड़े, निचले खानों में जूते और सामने की कांच लगी स्लाइड में किताबें जमाई जा सकती हैं।
रसोई
इसी तरह रसोई घर का महत्त्वपूर्ण हिस्सा होता है। आजकल माड्युलर किचेन का जमाना है। सो रसोई बड़ी हो या छोटी, उसकी सज्जा और जरूरतों के अनुसार उसे ढालने की वस्तुएं बाजार में सहज उपलब्ध हैं। मगर रसोई में अगर दरवाजा हटा दें और उसे बैठक यानी ड्राइंग रूम के साथ खुला छोड़ दें, तो जगह बड़ी लगने लगती है। इस तरह बैठक और रसोई मिल कर काफी जगह हो जाएगी, जिससे बैठ कर खाने की अधिक जगह मिल सकेगी।
बैठक
घर में बैठक का उपयोग आमतौर पर मेहमानों के आने पर या फिर फुरसत के समय बैठने के लिए होता है। इसलिए अगर बैठक को खुला रखें, उसमें सोफे वगैरह का चुनाव इस तरह करें कि वे बैठक के काम भी आ सकें और जरूरत पड़ने पर बिस्तर की तरह भी उपयोग हो सकें या डाइनिंग टेबल की जगह इस्तेमाल हो सकें, तो काफी जगह की बचत होगी। भारी सोफे और डाइनिंग टेबल काफी जगह घेरते हैं, इसलिए छोटे घरों में इनका विकल्प ही उपयोग किया जाना चाहिए। इसके अलावा दीवारों का रचनात्मक उपयोग किया जाना चाहिए। जैसे किताबें रखने, सजावटी वस्तुएं रखने, पुरस्कार-सम्मान आदि रखने के लिए जगह बनाई जा सकती है। बैठक को इस तरह खुला रखना चाहिए कि जरूरत पड़ने पर उसका उपयोग मेहमानों के सोने के लिए भी किया जा सके। ऐसे में सोफे की जगह फोल्डिंग सोफे रखने चाहिए, जिन्हें खोल कर बिस्तर का रूप दिया जा सके।
खिड़कियां और परदे
छोटे घरों में में खिड़कियां बड़ी रखनी चाहिए, ताकि रोशनी भरपूर आए। अगर आवश्यक नहीं है, तो बालकनी के हिस्से को भी कमरे के भीतर लिया जा सकता है। वहां की दीवार हटाई जा सकती है। खिड़की एक ही दीवार में रखें और हो सके, तो पूरी दीवार की लंबाई की खिड़की रखें। स्लाइड डोर का इस्तेमाल करें। इस तरह घर बड़ा लगता है और धूप-हवा भी भरपूर आती है।
खिड़कियों पर परदों का रंग हल्का ही रखें। गाढ़े रंग के परदे से घर भरा-भरा लगता है। अगर परदे सादा हों यानी जिन पर बहुत फूल-पत्ते, डिजाइन न हो, तो कमरे का आकार बड़ा लगता है। परदे खींच कर ऊपर चढ़ाने वाले लगाएं, तो इससे कमरे का आकार और बढ़ गया है।
फर्नीचर और अलमारियां
छोटे घरों में भारी फर्नीचर रखने से बचना चाहिए। कुछ फर्नीचर, जैसे बिस्तर ऐसे रखें, जिसमें बॉक्स बना हो और उसका उपयोग, कंबल, रजाइयां वगैरह रखने में हो सके। इसी तरह कुछ फर्नीचर ऐसे होने चाहिए, जिन्हें समेट कर किनारे रखा जा सके। अब तो इस तरह के फर्नीचर भी आने लगे हैं, जो मोड़ कर दीवारों में चिपका कर रखे जा सकते हैं। उनमें कलात्मक डिजाइन भी बनी होती है।
रोशनी और रंगरोगन
घर की सुंदरता बढ़ाने के लिए उसके रंग-रोगन और रोशनी का विशेष ध्यान रखना चाहिए। छोटे घरों में बहुत गाढ़े रंगों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इससे घर और छोटा लगने लगता है। रंगाई के लिए सफेद या फिर बहुत हल्के रंगों का उपयोग किया जाए, तो घर आकार में बड़ा लगने लगता है। इसी तरह लाइटिंग यानी रोशनी के लिए बल्बों और फिटिंग का चुनाव इस तरह करना चाहिए कि वे भरपूर रोशनी भी दे सकें और जगह भी अधिक न घेरें। आजकल बहुत कलात्मक और हल्की लाइटें बाजार में उपलब्ध हैं।
वास्तु
अगर आपको वास्तु में विश्वास है, तो किसी वास्तुविद से भी साज-सज्जा के लिए मदद अवश्य ले लें।