कील-मुंहासे अमतौर पर किशोरावस्था और युवावस्था की संधिवेला में निकलते हैं। मुंहासे निकलने का सिलसिला प्राय: तेरह-चौदह साल की उम्र से शुरू हो जाता है और यह बाईस-तेईस साल की उम्र तक निकलता रहता है। आयुर्वेद में इसे युवान पीड़िका कहते हैं। एलोपैथिक पद्धति में इसे एक्ने और पिंपल कहते हैं। इस उम्र में चूंकि मानव शरीर में हार्मोन बहुत तेजी से बदलते हैं, चेहरे की त्वचा में नमी बनाए रखने वाले चिकनाई युक्त द्रव का स्राव भी कुछ तेज हो जाता है। इसी उम्र में प्राय: लड़कों की दाढ़ी-मूंछें निकलनी शुरू होती हैं। इस उम्र में किशोर-किशोरियां चूंकि अपने सौंदर्य को लेकर अतिरिक्त रूप से सजग देखे जाते हैं, उनमें अपने शरीर के प्रति जिज्ञासा कुछ बढ़ जाती है, विपरीत लिंगी के प्रति आकर्षण बढ़ जाता है, इसलिए वे कील-मुंहासों को लेकर कुछ अधिक सतर्क देखे जाते हैं। कई बार कुछ लड़कियां मुंहासे छिपाने के लिए तरह-तरह के उपाय करती देखी जाती हैं। युवा तरह-तरह के फेस वॉश, क्रीम वगैरह का इस्तेमाल भी करते देखे जाते हैं।

कारण
कील-मुंहासे निकलने का कारण आमतौर पर शरीर की ऊष्णता यानी गरमी मानी जाती है। जिन लोगों के शरीर की प्रकृति गरम होती है, उनमें प्राय: कील-मुंहासे अधिक निकलते हैं। फिर चूंकि इस उम्र में किशोरों को चटपटे और मसालेदार, तैलीय आहार, डिब्बाबंद भोजन के प्रति ललक कुछ अधिक देखी जाती है, इस तरह के आहार शारीर की गरमी को और बढ़ा देते हैं, जो चेहरे पर कील-मुंहासे का कारण बनती है।

किशोरावस्था में शरीर के हार्मोन्स में तेजी से होने वाले बदलाव के परिणामस्वरूप कई बार चेहरे की त्वचा में नमी बनाए रखने वाला स्राव बाहर नहीं निकल पाता। चेहरे की सफाई ठीक से न हो पाने, धूप-धूल और गरमी में अधिक देर रहने से चेहरे पर गंदगी चिपकती रहती है, वह चेहरे की त्वचा के छिद्रों को बंद कर देती है। इस तरह चेहरे की त्वचा से निकलने वाला स्राव त्वचा के नीचे ही जमा होता रहता है और भीतर ही सूख कर कील का रूप ले लेता है। फिर उसमें पस पड़ जाने से मुंहासे के रूप में ऊपर दिखाई देने लगता है। पस बाहर निकलने के बाद ही वह ठीक हो पाता है।

मुंहासे निकलने की कुछ और वजहें भी हो सकती हैं। मसालेदार चीजें खाने के अलावा देर रात तक जागना और सुबह देर तक सोना भी एक कारण हो सकता है। सुबह पेट ठीक से साफ न होना, कब्ज रहना भी इसका एक कारण हो सकता है। इस उम्र में कई युवाओं को बीड़ी-सिगरेट जैसे मादक पदार्थों की लत लग जाती है। यह भी शरीर की गरमी को बढ़ाता है और कील-मुंहासों का कारण बनता है।

बचाव का तरीका
किशोरावस्था से युवावस्था की ओर बढ़ रहे लोगों में कील-मुंहासे आमतौर पर निकलते और ठीक होते रहते हैं। पर जब यह समस्या अधिक हो जाती है, तो उससे बचने के लिए कुछ उपाय करने जरूरी हो जाते हैं।

-इस उम्र के लोगों को बहुत तैलीय, मसालेदार और चटपटी चीजों को खाने से बचना चाहिए। वैसे भी विद्यार्थी जीवन में ऐसे भोजन से परहेज को कहा गया है, जिससे गुस्सा, चिड़चिड़ापन बढ़ता है, उत्तेजना पैदा होती है, कामुक विचार आते हैं। ऐसे पदार्थों को तामसिक भोजन कहा गया है। इनमें मांसाहार भी शामिल है।

-रात को दस बजे तक सोने और सुबह जल्दी सोकर उठने का अभ्यास करना चाहिए। इससे शरीर का चक्र व्यवस्थित रहता है। सुबह शौचादि से निवृत्त होकर नहा लेना चाहिए। चेहरे की ठीक से सफाई करनी चाहिए, ताकि उसके रोमकूप खुल जाएं और त्वचा के नीचे तैलीय पदार्थ न जमने पाएं।

-जब भी बाहर से लौटें, तो चेहरे को ठीक से धोकर साफ जरूर करें। दिन में जहां भी मौका मिले, चेहरे पर पानी के छींटे मार कर उसे धो लें।

घरेलू नुस्खे

-चूंकि कील-मुंहासे चेहरे की ठीक से सफाई न हो पाने के कारण भी होते हैं, इसलिए इसे साफ करने के लिए केवल बाजार की क्रीम, फेसवॉश वगैरह पर निर्भर रहने के बजाय कुछ घरेलू नुस्खे भी आजमाएं।

-हफ्ते में कम से कम एक दिन बेसन का गाढ़ा घोल बना कर चेहरे पर लगाएं और जब वह सूख जाए तो धोकर तौलिया से पोंछ लें।

-अगर मुंहासे अधिक निकल रहे हैं, तो गाय के ताजा दूध में एक चम्मच चिरौंजी पीस कर मिलाएं और उसका लेप बना कर चेहरे पर रगड़ें। फिर जब लेप सूख जाए तो पानी से धोकर चेहरा पोंछ लें।

-आधा कटोरी चमेली के तेल में दस ग्राम सोहागा मिला लें और रात को सोने से पहले इस लेप को चेहरे पर लगा लें। सुबह उठ कर चेहरा धो लें।

-यों खानपान पर ध्यान दें, हल्का और कम तेल-मसाले वाला भोजन करें, सुबह पेट साफ हो जाए तो कील-मुंहासे निकलने पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है। मुंहासे पीड़ा कम देंगे।

-अगर इससे भी कोई फायदा न पहुंचे, तो डॉक्टर की सलाह लें।