यह कथा नहीं, सच्ची घटना है। मार्टिन लूथर किंग की जन्मशती पर अमेरिकी सरकार ने फैसला किया कि पूरे देश में पूरे साल उनके सम्मान में जलसे आयोजित किए जाएंगे, उनके जीवन से संबंधित संदर्भों को लेकर प्रदर्शनियां लगाई जाएंगी। इसी क्रम में विचार यह भी आया कि क्यों न किसी ऐसे व्यक्ति की तलाश की जाए, जिसकी शक्ल मार्टिन लूथर किंग से मिलती हो। उसे किंग की तरह भाव-भंगिमा सिखाई जाए और उनकी पोशाक पहना कर देश भर में जुलूस के साथ मुख्य किरदार के रूप में पेश किया जाए।

तलाश की गई, तो एक ऐसा व्यक्ति मिल गया। वह था तो बहुत साधारण परिवार का, सामान्य आदमी। वह बहुत खुश हुआ कि उसे मार्टिन लूथर किंग की जन्मशती में शिरकत करने का मौका मिल रहा है। उसे मार्टिन के हाव-भाव सिखा कर उनकी तरह अभिनय करने के लिए तैयार कर लिया गया। देश भर में जो प्रदर्शनी घूम रही थी, उसमें वह मुख्य किरदार था। वह मार्टिन की तरह भाषण देता, वैसे ही हाव-भाव दिखाता। इस तरह साल भर वह मार्टिन लूथर किंग के किरदार में रहा।

साल भर बाद जब जन्मशती का आयोजन समाप्त हुआ और उस व्यक्ति को घर भेज दिया गया, तो घर के सदस्य हैरान हुए कि वह घर में भी मार्टिन लूथर किंग की तरह व्यवहार करता था। वह खुद को मार्टिन लूथर किंग मान बैठा था। लाख समझाने के बावजूद मानने को तैयार नहीं कि वह मार्टिन लूथर किंग नहीं है।

बहुत सारे अभिनेताओं के बारे में सुना जाता है कि वे किसी किरदार में इतने डूब जाते हैं कि उससे बाहर निकलने में बहुत मुश्किल होती है, चिकित्सा करानी पड़ती है। ऐसे ही हममें से बहुत सारे लोग अपने भीतर एक दुनिया गढ़ कर उसी के अनुसार अपने को किसी किरदार में ढाल लेते और जीवन भर उसी तरह व्यवहार करते रहते हैं। अपने मूल स्वभाव से दूर हो जाते हैं। जो मूल स्वभाव में नहीं रहता, वह तमाम जकड़बंदियों में घिर जाता है।