अधूरा प्रेम
अधूरा रह गया
मेरा प्रेम
जैसे अधूरे रह जाते हैं
सपने!
अधूरा रह गया
मेरा प्रेम
जैसे हवा के एक झोंके में
टूट जाते हैं
जामुन।
अधूरा रह गया
मेरा प्रेम
जैसे जमीन पर आकर
घुल जाते हैं
ओले।
अधूरा रह गया
मेरा प्रेम
जैसे तपिश को छूकर
उड़ जाती है
ओस।
अधूरा रह गया
मेरा प्रेम
जैसे दूर जाकर
टूट जाते हैं
तारे।
अधूरा रह गया
मेरा प्रेम
जैसे हवा से उलझ कर
बुझ जाती है
लौ।
अधूरा रह गया
मेरा प्रेम
जैसे बिना सहारे के
बिखर जाते हैं
घरौंदे।
अधूरा रह गया
मेरा प्रेम
जैसे पहली मुलाकात में
रह जाती है अधूरी
बात।
अधूरा रह गया
मेरा प्रेम
जैसे स्त्रियों, दलितों, गुलामों के
रह जाते हैं अधूरे
इतिहास।
अधूरा रह गया
मेरा प्रेम
जब आ गई बीच
तुम्हारी ऊंच
हमारी नीच!
यादें
(एक)
तुम्हारी यादें…
खाली कागज पर पड़ी हैं
संत्रास की तरह
एक सीधी रेखा में
क्योंकि जिंदगी के टेढ़े-मेढ़े रास्ते पर रेंगना
हमारे लिए अलभ्य था।
(दो)
यादें…
एक सेतु हैं तुम्हारे और हमारे बीच
और फासले
नदी के दो किनारों की तरह
कभी न मिलने वाले।
किंतु, अनवरत बहने वाली
रससिक्त धारा का आचमन करते
न अघाते, न बिलाते। ०