आज हर वक्त स्मार्टफोन, स्मार्ट टीवी या इस तरह के संसाधनों में गुम रहते हुए हमने अपने लिए जिन दायरों का निर्माण कर लिया है, उसमें कई ऐसी चीजें पीछे छूटती चली गईं, जो हमारी जीवनशैली को कई स्तरों पर समृद्ध करती थीं। मसलन, कभी दुनिया-जहान की किताबें पढ़ने को हम अपने जीवन की बेहतरी का जरिया मानते थे, मगर आज हर हाथ में मोबाइल के स्क्रीन ने एक तरह से सम्मोहन में हमें बांध लिया है और उस पर हमारे पढ़ने की भूख का रूपांतरण इस रूप में हो रहा है कि आज हम किसी किताब को हाथ में थामते हुए भी बोझ महसूस करने लगते हैं।
शारीरिक मानसिक सेहत
किताबें पढ़ना हमेशा से न केवल ज्ञान का एक सबसे अहम जरिया रहा है, बल्कि यह हमें खुशी और आनंद भी देता है। साथ ही कई अध्ययनों में यह बताया गया है कि किताबें पढ़ने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के स्तर पर व्यक्ति कई तरह के लाभ हासिल करता है। संभव है कि इंटरनेट पर हमें देश-दुनिया के बारे में ज्यादा विस्तृत जानकारी मिल जाती हो, मगर पर्यटन को लेकर जिस तरह के ब्योरे और रिपोर्ताज हम किताबों में पढ़ते रहे हैं, उससे हासिल छवियां हमारे मस्तिष्क को विचारों का खुला आकाश भी देते रहे हैं। जबकि स्मार्टफोन या कंप्यूटर का स्क्रीन जब हमारी आदत में घुल जाता है तब वह एक तरह से हमारे सोचने-समझने और ग्रहण करने की प्रक्रिया को संचालित करने लगता है।
सोचने की प्रक्रिया
किताबों के अध्ययन के साथ और उसके बाद हमारे विचारों का खुला आकाश होता है, सोचने के दायरे का अनंत विस्तार होता है, जहां हमारे मस्तिष्क को मेहनत करने और खुद में ज्यादा निखार लाने का मौका मिलता है। यह देखा गया है कि रोजमर्रा की जीवनशैली में किताबों का पाठ अगर आदत के तौर पर विकसित होता है तब इसका असर शारीरिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। शरीर में स्फूर्ति आती है और कोई काम करने, कहीं बाहर निकलने आदि में चुस्ती-फुर्ती का अहसास होता है। यह ध्यान रखना चाहिए कि किताबें पढ़ते हुए जो मानसिक प्रभाव पड़ता है, वह कंप्यूटर या मोबाइल के स्क्रीन के असर से बिल्कुल अलग होता है।
सुकून का जरिया
मानसिक रूप से परेशानी की स्थिति में भी परामर्शदाता यह सलाह देते हैं कि किताबों की पढ़ाई करना शांति और सुकून हासिल करने का एक अहम जरिया है। कई शोधों में यह सामने आया है कि विद्यार्थियों को तनाव होने पर जो असर योग या हास्य जैसे अन्य उपाय का होता है, वहीं किताबें पढ़ने से रक्तचाप, हृदय गति और मस्तिष्क पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। स्वाभाविक ही पढ़ने से तनाव को दूर करने में मदद मिलती है। जानकारी में बढ़ोतरी से लेकर अच्छी नींद तक अगर किताबें पढ़ने से हासिल की जा सकती है, तो क्यों न किताबों की दोस्ती को सही समय पर थाम लिया जाए और अपनी जीवनशैली में आनंद के चार पल चुनने में उसे सहायक-तत्त्व बनाया जाए।