नागेश पांडेय ‘संजय’
कविता कार्यशाला
कविताओं की वर्कशाप में,
मैंने गीत बनाए जी।
गीत बनाया बिल्लीजी पर,
गीत बनाया बस्ते पर।
गीत बनाया फिर शिमला के
टेढ़े मेढ़े रस्ते पर।
तीनों गीत सुरीले सुर में,
चहक-चहक कर गाए जी?
एक गीत जो बस्ते पर था,
उसमें थोड़ा अटका मैं।
एक शब्द था कठिन आ गया,
इसीलिए था भटका मैं।
सर बोले क्यों दाल-भात में,
कंकड़ तुम ले आए जी?
कविताओं की वर्कशाप में,
सचमुच बहुत मजा आया।
खेल-खेल में कविता लिखना,
हम बच्चों को सिखलाया।
मजा और भी तब आएगा,
जब कविता छप जाए जी।

शब्द-भेद: कुछ शब्द एक जैसे लगते हैं। इस तरह उन्हें लिखने में अक्सर गड़बड़ी हो जाती है। इससे बचने के लिए आइए उनके अर्थ जानते हुए उनका अंतर समझते हैं।
तात / तांत: पिता, बाप, पूज्य या मान्य व्यक्ति के लिए तात शब्द का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा भाई या मित्र, विशेषकर छोटों के लिए इसे प्रेमपूर्वक व्यवहार में लाया जाता है। जबकि तांत शब्द तंतु से बना है, जिसका अर्थ होता है धागा। धनुष पर चढ़ी डोर को भी तांत कहते हैं।
भेरी / भेली: युद्ध के समय बजाए जाने वाले एक प्रकार के बड़े ढोल, ढका, दुंदुभी को भेरी कहते हैं। जबकि गुड़ की गोल बट्टी या पिंडी को भेली कहा जाता है।