जिमीकंद को देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग नाम से जाना जाता है। इसे सूरन, ओल, यम आदि भी कहा जाता है। यह जमीन में प्राकृतिक रूप से उगने वाला एक कंद है। इसकी खूबी यह है कि इसे उगाने के लिए किसी प्रकार की रासायनिक खाद या कीटनाशक का उपयोग नहीं किया जाता। इस तरह यह दूसरी सब्जियों की अपेक्षा सेहत की दृष्टि से काफी सुरक्षित होती है। यह एक गुणकारी सब्जी है। यह बवासीर से लेकर कैंसर जैसी भयंकर बीमारियों से बचाए रखता है। इसमें फाइबर, विटामिन सी, विटामिन बी6, विटामिन बी1 और फोलिक एसिड होता है। साथ ही इसमें पोटैशियम, आयरन, मैग्नीशियम, कैल्शियम और फॉस्फोरस भी पाया जाता है। पूरी सर्दी अगर हफ्ते पंद्रह दिन पर एक बार इसकी सब्जी खाई जाए, तो यह पेट संबंधी अनेक समस्याओं को दूर कर देता है। जिन्हें किसी प्रकार का चर्मरोग है, उन्हें इसे नहीं खाना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को भी इससे परहेज करना चाहिए।

जिमीकंद की रसेदार सब्जी

जिमीकंद की सब्जी अनेक प्रकार से बनती है। इसे चूंकि हर इलाके में खाया जाता है, इसलिए हर जगह के लोग इसे अपने तरीके से बनाते और खाते हैं। दक्षिण में इसे नारियल के साथ बनाया जाता है, तो पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और बंगाल में इसके साथ राई या सरसों का उपयोग जरूर किया जाता है। इसकी सूखी और रसेदार दोनों प्रकार से सब्जी बनती है। कोफ्ते, कटलेट, कबाब भी बनता है। कुछ लोग इसका चोखा यानी भर्ता भी बनाते हैं।

जिमीकंद चूंकि खुजली करता है, इसलिए इसे बनाने में खटाई का उपयोग अवश्य किया जाता है। खटाई के रूप में अमचूर या नीबू के रस का उपयोग किया जा सकता है। इसकी सब्जी चाहे जैसी बनानी हो, इसे पहले उबालना जरूरी होता है। इसलिए जिमीकंद का छिलका उतार कर पहले टुकड़ों में काट लें और फिर पानी में नमक और थोड़ी खटाई डाल कर इसे उबाल लें। अगर रसेदार सब्जी बनानी है, तो आधा पकने तक ही उबालें। अगर कोफ्ते बनाने हैं, तो इसे पूरी तरह नरम होने तक उबालें। उबलने के बाद इसका पानी अच्छी तरह निथार लें।

रसेदार सब्जी बनाने के लिए इसके टुकड़ों को गरम तेल में तल कर पूरा पकने तक सुनहरा तल लें। अब यह एक तरह से पनीर का विकल्प तैयार हो गया है। जैसे पनीर की रसेदार सब्जी बनाते हैं, उसी तरह इसे भी बना सकते हैं। इसकी ग्रेवी यानी रसा बनाने के कई तरीके हो सकते हैं। एक तो प्याज, लहसुन, टमाटर अदरक वगैरह से ग्रेवी बनाई जा सकती है। दूसरा तरीका नारियल के दूध में बनाने का है। तीसरा तरीका दही की ग्रेवी बनाने का है। इसके अलावा आप जैसी ग्रेवी बनाते हैं, वैसी बनाएं।

ग्रेवी बनाने के लिए पहले प्याज, लहसुन, अदरक और टमाटर को मोटे-मोटे टुकड़ों में काट लें। एक कड़ाही में राई, जीरा, तेजपत्ता, सौंफ, अजवाइन का तड़का लगाएं और उसमें कटे हुए प्याज-टमाटर वगैरह को छौंक दें। धीमी आंच पर पकने दें। ध्यान रखें कि जलने न पाए। जब यह पक कर पूरी तरह नरम हो जाए तो आंच बंद कर दें।
अब एक कटोरी में एक चम्मच हल्दी पाउडर, एक चम्मच धनिया पाउडर, जीरा पाउडर, एक चम्मच गरम मसाला और एक चम्मच लाल मिर्च पाउडर और एक-एक चम्मच अमचूर पाउडर और पिसी हुई राई लें। इसी के साथ स्वाद के अनुसार नमक भी ले लें। इन सबको मिला कर पानी में भिगो दें। बीस मिनट या इससे अधिक भीगा रहने दें। इससे मसालों का स्वाद अच्छा आता है। यह सब्जी चूंकि तीखी और मसालेदार अच्छी लगती है, इसलिए आप चाहें, तो अपने स्वाद के मुताबिक मसाले बढ़ा भी सकते हैं।

अब टमाटर और प्याज को मिक्सर में पीस कर छन्नी से छान लें। फिर एक कड़ाही में जीरे का तड़का दें और उसमें इस ग्रेवी को डाल कर चलाते हुए तेल छोड़ने तक पकाएं। ऊपर से भिगोया हुआ मसाला डालें और चलाते हुए पकाएं। इसी में तले हुए जिमीकंद के टुकड़े डालें और ठीक से मिलाते हुए दो मिनट तक पकाएं। फिर एक गिलास पानी डालें और मसालों को मिला कर कड़ाही पर ढक्कन लगा दें। ग्रेवी गाढ़ी होने तक पकाएं।

अगर लहसुन-प्याज-टमाटर से परहेज करते हैं, तो दही की ग्रेवी बनाएं। एक से डेढ़ कप दही को छन्नी या महीन कपड़े में दबा कर छान लें, ताकि गांठें न रहने पाएं। अब एक कड़ाही में जीरा, अजवाइन, सौंफ का तड़का दैं और उसमें एक चम्मच बेसन डाल कर हल्की आंच पर चलाते हुए सुनहरा होने तक भून लें। अब उसमें भिगोए हुए मसाले डाल कर चलाएं। फिर दही डाल कर चलाते हुए ग्रेवी को गाढ़ा होने तक पकाएं। तले हुए जिमीकंद के टुकड़े डालें और दो मिनट के लिए चलाते हुए पकाएं। फिर एक गिलास पानी डाल कर पकाएं। इसी तरह दही की जगह कच्चे नारियल का दूध इस्तेमाल कर सकते हैं। कटा हरा धनिया पत्ता बुरक कर सजाएं और परोसें।

ओल के कोफ्ते

ओल यानी जिमीकंद के कोफ्ते बनाते समय इसे उबालने और ग्रेवी बनाने का तरीका वही रखें, जो रसेदार सब्जी के लिए अपनाया था। अब उबले हुए टुकड़ों को मसल कर एकसार कर लें। उसमें आधा चम्मच अजावाइन, लाल मिर्च पाउडर, नमक, थोड़ा गरम मसाला, थोड़ा धनिया पाउडर, थोड़ा अमचूर या नीबू का रस, चौथाई चम्मच हल्दी पाउडर और जिमिकंद की मात्रा से एक चौथाई बेसन डाल कर सारी चीजों को ठीक से मिला लें। अगर मिश्रण पतला लग रहा हो, तो थोड़ा बेसन और डाल कर मसलें।

अब इस मिश्रण की मनचाहे आकार में लोइयां लें और गोलाकार या बेलनाकार कोफ्ते बना लें। कड़ाही में तेल गरम करें और इन कोफ्तों को धीमा आंच पर सुनहरा होने तक तल लें।

अब दूसरी कड़ाही में ग्रेवी तैयार करें। जैसी ग्रेवी आपको पसंद हो, वैसी बनाएं। अगर दही का उपयोग कर रहे हैं, तो अमचूर पाउडर न डालें। अब इस ग्रेवी में कोफ्तों को डालें और गरमागरम खाएं।

मानस मनोहर