अस्वीकार का साहस और सामर्थ्य अर्जित करना पड़ता है। कमजोर व्यक्ति अस्वीकार नहीं कर सकता। वह केवल हर किसी की हां में हां मिला सकता है, अपने ऊपर हो रहे अन्याय को चुपचाप बर्दाश्त करता रह सकता है। अस्वीकार वही कर सकता है, जो अपनी व्यक्तगित लाभ-हानि का हिसाब करना छोड़ चुका हो।

बुद्ध के जीवन की प्रसिद्ध कथा है। उन्हें किसी ने किसी बात से नाराज होकर गालियां देनी शुरू कर दी। बुद्ध को अपने जीवन में बहुत विरोध सहने पड़े, खूब गालियां सुननी पड़ी थीं, क्योंकि उन्होंने अनेक तत्कालीन प्रचलित मान्यताओं को खंडित करना शुरू कर दिया था।

वह व्यक्ति भी उनसे ऐसी ही किसी बात को लेकर नाराज रहा होगा। जब वह गालियां दे चुका, तो बुद्ध मुस्कराए। वह चलने लगा, तो उन्होंने उसे रोका और कहा कि अगर मैं आपको कुछ दूं और आप उसे न लें, तो वह चीज कहां जाएगी? उस व्यक्ति ने तपाक से उत्तर दिया कि वह आपके पास ही रहेगी। तब बुद्ध ने कहा कि जो गालियां कुछ देर पहले आपने मुझे दीं, उन्हें मैंने स्वीकार ही नहीं किया। यह सुन कर वह व्यक्ति शर्मिंदा हो गया।

इस तरह की घटनाएं सभी के जीवन में घटती रहती हैं। जो लोग आपसे ईर्ष्या करते हैं, किसी वजह से नाराज हैं, वे आपके बारे में मिथ्या प्रचार, झूठे प्रसंगों आदि का प्रचार करते रहते हैं। अगर कभी सामने पड़ गए, तो अपना गुस्सा निकालने के लिए गालियां भी देते हैं। मगर आप सही हैं,आपको अपने पर भरोसा है कि आपने जीवन में एसा कुछ नहीं किया, जिसके लिए गालियां दी जा सकें, तो आप उन गालियों को सुन कर हंसेंगे। विचलित नहीं होंगे। यह गाली देने वाले के लिए किसी सजा से कम न होगा।