दिल्ली के जंतर मंतर पर पिछले सप्ताह डोनाल्ड ट्रंप का सत्तरवां जनमदिन हिंदू सेना ने मनाया। केसरिया पगड़ी पहने हुए कुछ अनजान लोग इकट्ठा हुए एक बड़े से पोस्टर के सामने, जिसमें डोनाल्ड ट्रंप दिखाई दिए हाथ में बंदूक लिए हुए। बच्चों की टोपियां पहन कर जब इन हिंदू सैनिकों ने केक काटा तो इस तस्वीर को पहले खिलाया गया, फिर ‘हैपी बर्थडे डोनाल्ड ट्रंप’ गाते हुए इन्होंने एक-दूसरों को खिलाया। इतना अजीब था यह जश्न कि यू-ट्यूब पर अपलोड किया गया और कई विदेशी अखबारों ने इसकी तस्वीरें छापीं। हिंदू सेना के सेनापति से जब पत्रकारों ने पूछा कि ट्रंप से उनको इतना प्यार क्यों है, तो स्पष्ट शब्दों में उन्होंने कहा कि मानव जाति को ट्रंप जिहादी आतंकवाद से बचाने का काम कर रहे हैं, इसलिए उनको प्यार है उनसे और उम्मीद भी कि जब अमेरिका के राष्ट्रपति बन जाएंगे तो हमारे पड़ोसी देश में जिहादी आतंकवादियों का खात्मा करके दिखाएंगे।
मजेदार तो था ट्रंप के नाम पर यह जश्न, लेकिन इसमें छिपा था एक गंभीर संदेश और वह यह कि इस किस्म के हिंदुत्ववादियों को ट्रंप इसलिए पसंद हैं, क्योंकि उनकी बातों से लगता है कि उनको उतनी ही नफरत है मुसलमानों से, जितनी इस किस्म के हिंदू सैनिकों को है। ट्रंप ने जो अमेरिका को मुसलिम-मुक्त करने की बातें की हैं, बिल्कुल उसी तरह ये लोग भारत को मुसलिम-मुक्त करना चाहते हैं। यह बात भारतीय जनता पार्टी से जुड़े अगर सिर्फ साधु, साध्वी और हिंदू सैनिक कर रहे होते, तो समस्या गंभीर न होती, लेकिन ऐसा नहीं है।
पिछले सप्ताह उत्तर प्रदेश के कैराना को नई हिंदू-मुसलिम युद्धभूमि बनाने का प्रयास वहां के भारतीय जनता पार्टी के सांसद ने खुद किया, यह कह कर कि इस गांव से हिंदू पलायन कर रहे हैं मुसलमानों की दहशत के कारण। पत्रकार जब इस गांव में पहुंचे तफतीश करने तो मालूम हुआ कि ऐसी कोई बात नहीं हो रही है, लेकिन इसके बावजूद भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कैराना का जिक्र अपने भाषण में किया इलाहबाद में, जहां पार्टी के आला अधिकारियों का अधिवेशन हो रहा था। इसके बाद निर्भय यात्रा निकाली उत्तर प्रदेश के स्थानीय भाजपा राजनेताओं ने।
तो क्या हिंदुत्व के बल पर उत्तर प्रदेश का चुनाव जीतने का निर्णय कर लिया गया है? क्या वे दिन वापस लाने की कोशिश की जा रही है, जब अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण करने लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा चली थी सोमनाथ से? इस रथयात्रा ने ऐसा बदला देश का राजनीतिक माहौल कि भारतीय जनता पार्टी की ताकत सौ फीसद बढ़ गई और सौ फीसद बढ़ गया था हिंदू-मुसलिम तनाव! क्या ऐसा फिर से हो सकता है और क्या ऐसा होने से भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश का चुनाव जीत सकती है?
एक राजनीतिक पंडित होने के नाते मेरी अपनी राय है कि ऐसा नहीं होने वाला है, क्योंकि देश बहुत बदल गया है और मंदिर-मस्जिद के झगड़ों में देश के नौजवान मतदाता बिल्कुल कोई दिलचस्पी नहीं रखते हैं। उनको मतलब है ज्यादा आधुनिक बदलावों से और इसलिए जब नरेंद्र मोदी ने परिवर्तन और विकास के नारे दिए 2014 के चुनाव अभियान में तो देश के नौजवानों ने उनको डट कर वोट दिए। अफसोस की बात है कि प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी की आवाज कम सुनाई दी है और उनकी ज्यादा, जो गोहत्या के नाम पर फिर से हिंदू-मुसलिम तनाव पैदा करना चाहते हैं।
यह सिलसिला शुरू हुआ था पिछले साल, जब बिहार के विधानसभा चुनाव हो रहे थे और मुझे विश्वास है कि इसी वजह से भारतीय जनता पार्टी बिहार का चुनाव हारी थी। मुझे विश्वास यह भी है कि उत्तर प्रदेश में भी हार का सामना करना पड़ेगा, अगर धर्म-मजहब के मुद्दे फिर से तूल पकड़ते हैं। लेकिन अभी समय है चुनाव अभियान की दिशा बदलने के लिए। उत्तर प्रदेश जीतना चाहते हैं अगर मोदी तो उनको चाहिए कि अभी से अपने सांसदों को अपने चुनाव क्षेत्रों में भेज कर परिवर्तन और विकास का संदेश फिर से जीवित करें।
उत्तर प्रदेश ने बहत्तर लोकसभा सीटें डाली थीं 2014 में भारतीय जनता पार्टी की झोली में, सो सबसे ज्यादा सांसद इसी प्रदेश के हैं। प्रधानमंत्री को इनकी क्लास लेकर पूछना होगा कि विकास और परिवर्तन के नाम पर इन्होंने पिछले दो वर्षों में क्या-क्या किया है। प्रधानमंत्री खुद उत्तर प्रदेश से जीत कर आए हैं, सो अगर अगले कुछ महीनों में वह वाराणासी में परिवर्तन और विकास लाकर दिखाते हैं, तो यूपी वालों का दिल जीतना मुश्किल नहीं होगा। साथ में अगर गंगा नदी के पानी में प्रदूषण कम होता दिखता है, तो यकीन के साथ कहा जा सकता है कि उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की जीत तय है। सो, विनम्रता से प्रधानमंत्री को सुझाव देना चाहती हूं कि गंगा सफाई को उन अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को सौंप दें, जिन्होंने डेन्यूब और टेम्स जैसी नदियों को साफ करके दिखाया है। गंगा की सफाई की जिम्मेदारी हमने सरकारी अफसरों के हाथों में दे रखी है 1985 से, सो उनके बस की बात होती अगर तो गंगा आज मैली न होती।
रही बात हिंदू सेना के ट्रंप प्रेम की, तो उनसे निवेदन है कि अपने नाम से हिंदू शब्द निकाल कर ट्रंप डाल दें, क्योंकि जिस तरह उन्होंने ट्रंप का जन्मदिन मनाया जंतर मंतर पर, उससे बदनाम हुआ है हिंदू समाज और भारत देश भी। ऐसा लगा होगा उनको इस जश्न की तस्वीरें देख कर कि भारत पागलों का देश है। न होता तो न होते ऐसे व्यक्ति के नाम पर जश्न, जिसकी राजनीतिक उपलब्धि फिलहाल यही है कि लोगों को बांटने में बहुत सफल हुए हैं डोनाल्ड ट्रंप।