सत्ता में आ रहे हैं। एक चैनल का सर्वे गाए जा रहा है कि कर्नाटक में आज का ‘जन मूड’ विपक्ष को ‘107-119 सीट’ और सत्ता पक्ष को ‘74-86 सीट’ दे रहा दिखता है! उधर ‘कुश्ती महासंघ’ के अध्यक्ष का एक चैनल पर लंबा साक्षात्कार: आप महाबली हैं? महाबली का मतलब? जवाब: महाबली का मतलब ताकतवर। तगड़ा। आप पर कुछ महिला पहलवानों के ‘हेरासमेंट’ के आरोप हैं। आप पद छोड़ क्यों नहीं देते…? क्यों छोड़ूं? इनके पीछे एक अखाड़ा और एक नेता है। अदालत का सम्मान करता हूं, प्रमाण हो तो दें… राजनीति छोड़ दूंगा…

फिर जंतर-मंतर पर पहलवानों का धरना और वही आंसू-पोंछू दृश्य। सर्वोच्च न्यायालय के कहने पर पुलिस शिकायत लिखती है, लेकिन अध्यक्ष जी से पूछताछ फिर भी नहीं। इसके आगे ‘सर्पाख्यान’ जारी! ‘सांप’ के आरोप का पीएम जी जवाब देते हैं कि अब तक इक्यानबे बार गालियां दी गई हैं… कि सांप तो शंकर भगवान के गले की शोभा है…जवाब में विपक्षी दीदी का ताना आता है कि पहला पीएम है, जो आपके आगे रोता है। अपना भइया तो गोली खाने को तैयार है, उससे सीखो…!

फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ में 32 हजार लड़कियों के टार्चर की कहानी

फिर एक नफरतिया नेताश्री गरिया उठते हैं कि दिल्ली में एक ‘नालायक’ बेटा बैठा है… जवाब में दूसरा भी बमक उठता है कि जो भी ‘एंटी इंडिया’ बोलेगा… सीधे गोली मार देंगे… दोनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज! इसके बाद चैनलों में आती है फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ की कहानी! फिल्म बनाने वाले बताते हैं कि केरल की बत्तीस हजार लड़कियों को बहला-फुसला कर, उनका ‘ब्रेनवाश’ कर और पैसे का लालच देकर मुसलमान बनाया गया, फिर ‘आइएसआइएस’ को बेचा गया… सीरिया भेजा गया… आतंकी बनाया गया… नहीं तो सता-सता कर मार डाला गया… हमने इसका अध्ययन किया, फिर इसे बनाया है। फिल्म तीन ऐसी लड़कियों की ‘आपबीती’ कहती है। फिल्म ‘इस्लामी आतंकवादी’ जाल का पर्दाफाश करती है…!

फिर भी बहसों में ‘कथित सेक्युलर’ एक जैसे तर्क देते हैं कि यह मनगढ़ंत कहानी है। यह नफरत फैलाती है। यह हिंदुत्व का प्रोपेगैंडा है। बत्तीस हजार की संख्या गलत है… जब ऐसा धर्मांतरण हो रहा था, तब केंद्र सरकार क्या कर रही थी? इसके जवाब में एक चर्चक कहता है कि सरकार बोलती तो कहते कि मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है और न बोली तो कहते हैं कि बोली क्यों नहीं… यह ‘दोगलापन’ है।

एक चर्चक कहता है कि जब एक कट्टरतावादी इस्लामी नेता जाकिर नायक अपने वीडियो में खुलेआम कहता हो कि ‘गजवा-ए-हिंद’ करना है यानी हिंदुस्तान को मुसलमान बनाना है, तब बाकी क्या रह जाता है? एक बहस में एक हिंदुत्ववादी कहता है कि संख्या की बात छोड़ें, ऐसा एक भी मामला हो तो क्या यह चिंता की बात नहीं, जबकि केरल के एक कम्यूनिस्ट (पूर्व) मुख्यमंत्री अच्युतानंदन ‘लव जिहाद’ के खतरे के बारे में बहुत पहले कह चुके हैं, अदालतें और एक बिशप तक ने इस आतंकी खतरे के बारे में बताया है… केरल में ‘धर्मांतरण का कारखाना’ चल रहा है।

एक चैनल पर एक लड़की ने बताया कि लड़कियों के अलग-अलग रेट हैं। ब्राह्मण लड़की का रेट ‘हाई’ है। एक लड़की कहती है कि ये ‘जबरिया धर्मांतरण’ क्यों कर रहे हैं? चैनल-दर-चैनल ‘आइएसआइएस’ के आतंकी नरक से किसी तरह बच कर आर्इं केरल की तीन लडकियां अपनी दुखद कहानियां सुनाती हैं। उनके माता-पिता रोते-रोते उनकी ताईद करते हैं। आप हिल जाते हैं। केरल का एक स्वतंत्र एक्टिविस्ट कहता है कि यह सच है कि केरल में मुसलमान बनाया जाता है, इनकी संख्या पर विवाद हो सकता है, लेकिन सच से आंखें नहीं मूंदी जा सकतीं।

इसके आगे एक दिन कर्नाटक का सत्ता पक्ष और प्रमुख विपक्ष अपने-अपने घोषणा पत्र का एलान करते हैं। यहीं मालूम होता है कि प्रमुख विपक्ष ने अपने घोषणा पत्र के जरिए अपने ही खिलाफ ऐसा अचूक ‘गोल’ दागा है कि कई हमदर्द एंकर तक चिंहुकने लगते हैं कि महाराज, ये आपको क्या सूझी कि अपने घोषणा पत्र में ‘बजरंग दल’ को ‘पीएफआइ’ के बराबर बता दिया। उस पर ‘प्रतिबंध’ लगाने की बात कह कर संघ की पिच पर खेलने निकल पड़े! अब भुगतो बेटा!

अगले ही रोज, ‘बजरंगबली’ के भक्त, बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने के एलान के खिलाफ ‘बजरंग लीला’ करने लगते हैं। वे कर्नाटक के ‘हर शहर, हर गांव, हर गली बजरंग बली’ करने लगते हैं, ढोल मंजीरे लेकर हनुमान चालीसा का पाठ करने लगते हैं। बहसों में ‘प्रतिबंधवादी’ पूछते रहते हैं कि ये बजरंगदली ‘बजरंगबली’ कैसे हो गए, तो ‘बजरंगबली के भक्त’ बताने लगते हैं कि ‘बजरंग दल’ के झंडे पर हनुमान जी बिराजते हैं। हम बजरंगबली के पक्के भक्त हैं। बजरंबली हमारे इष्ट हैं। आराध्य हैं। हम राष्ट्रवादी संगठन हैं। हम पर प्रतिबंध? हिम्मत हो तो लगा के देखो… एक कहता है: अब तक गले का सांप नहीं हटा था कि अब ‘बजरंगबली’ से टकरा गए।

इसके बाद तो पीएम भी कह उठते हैं कि वे हनुमान भक्त हैं और हर सभा में नारा देने लगते हैं: बजरंगबली की जय… बजरंगबली की जय… और जवाब में जनता दोनों हाथ उठा कर और मोबाइल टार्च जलाकर और जोर से जवाबी नारे लगाने लगती है: बजरंगबली की जय! एक चैनल का ‘तुरंता सर्वे’ भी बताने लगता है कि बजरंगबली के मुद्दे ने भक्तों को कुछ बढ़त दे दी है। इस बीच शरद पवार की एनसीपी के अध्यक्ष पद से इस्तीफे की कहानी एक सनसनी पैदा करती है, लेकिन जल्द ही फुस्स हो उठती है। भगवान आसंदी छोड़ना चाहते हैं, लेकिन भक्त छोड़ने दें तब न!