पाकिस्तान ध्वस्त हो चुका है! भारत जीत चुका है! यह बगलें बजाने का वक्त है!बजाइए!  चैनल एक से एक ऊंची लाइनें लगा रहे हैं, क्योंकि इन दिनों खबरें कम, उनकी लाइनें ज्यादा बिकती हैं! बेचिए!  न्यूज एक्स इस जीत पर हर क्षण लाइन पर लाइन बदलता है: ‘यह थी सिर्फ स्ट्राइक नंबर वन’! ‘पाक को मिली सजा’! ‘रावलपिंडी कांपी’! ‘भारत द्वारा पाक का तख्ता पलट’!  इंडिया टुडे लाइनें लगा रहा है: ‘अंतरराष्टÑीय अदालत ने पाक को मिटाया’! ‘बिग विन फॉर इंडिया’! ‘जाधव की सजा-ए-मौत टली’! ‘इंडिया ने जाधव की रक्षा की’! ‘अंतिम फैसले तक कोई फांसी नहीं’। ‘साल्वे को शाबासी/ जाधव को बचाने में कोई कसर उठा न रखेंगे- सुषमा स्वराज।’
रिपब्लिक चैनल में भी एक से एक लाइनें लगाई जा रही हैं: ‘पाकिस्तान शर्मिंदा हुआ’। ‘पाक का फर्जी मुकदमा खारिज हुआ’! ‘पाक जाधव को नहीं लटका सकता’! ‘एनडीए वाक्स द वाक’! ‘इंडिया डिफीट्स पाकिस्तान’!

किसी की तारीफ न करने वाले अर्णव साल्वे की तारीफ करने लगते हैं: आपका एक एक शब्द कीमती था… कमाल के तर्क थे… साल्वे बोले कि मैं फोन बंद करके अपने काम पर जा रहा हूं! इधर भारत जीता तो उधर हेग से रिपब्लिक की ही रिपोर्टर ने अपने चैनल को यह कह कर जिताया और साल्वे को भी बताया कि रिपब्लिक भी नंबर वन पर रहा है!
इसके आगे अर्णव अपनी-सी पर आ गए। वेंकैया जी से कहने लगे कि लगता है कि मोदी की विदेश नीति एकदम अलग है। पिछली सरकारें किसी मुद्दे के पीछे इस कदर नहीं लगती थीं, ये सरकार लगी है…जितनी बधाइयां रिपब्लिक ने सरकार, साल्वे और सुषमा को दीं उतनी ही बधाइयां उसके पैनलिस्टों ने रिपब्लिक को दीं। इस हाथ ले उस हाथ दे! आप गदगद हम गदगद, आपका धन्यवाद तो आपका भी धन्यवाद!
सीनएनएन न्यूज अठारह ने जाधव के घर की सुध ली और वहां मनाई जाती खुशियों को रिपोर्ट किया।
एबीपी कुछ यथार्थवादी-सा नजर आया। उसकी एक लाइन रही कि कोर्ट ने माना है कि जाधव की जान को खतरा है।
न्यूज चौबीस ने लाइन दी कि क्या पाकिस्तान कोर्ट का फैसला न मानने की जुर्रत कर सकता है? एक विशेषज्ञ ने सावधान किया कि पाकिस्तान कैसा देश है, सब जानते हैं। हमें सावधान रहना चाहिए और बहुत गाल नहीं बजाने चाहिए!
जी न्यूज की लाइन आई: पाकिस्तान का मुंह काला हिंदुस्तान का बोलबाला! एक पैनलिस्ट ने कहा कि पाकिस्तान जैसा देश किसी नैतिक जिम्मेदारी को नहीं मानता!
हेग अदालत के फैसले पर इस कदर वीरता बरसी कि किसी को जरा-सा भी किंतु परंतु गवारा नहीं था, जबकि कई पैनलिस्ट जानते थे कि पाकिस्तान अपनी-सी करने से बाज न आएगा, इसलिए इतनी बगलें न बजाओ! एक हिंदी चैनल पर एक ने जरा हट कर बात की कि तुरंत ठुका! कांगे्रसी जो था! यही नहीं, एक प्रवक्ता ने मणिशंकर को बुलाने पर वहीं से एनडीटीवी को ठोका!

लेकिन सप्ताह तो रिपब्लिक के ही नाम रहा! लगा कि श्रीदेवी जी बड़ी ही साहसी रिपोर्टर हैं। उन्होंने सीधे आइएस के लोगों पर ही स्टिंग कर डाला। स्टिंग के फुटेज में स्पाइकैम लिखा आता रहा! लेकिन फ्रेम एकदम स्थिर नजर आता था। अगर स्पाइकैम जेब में या बटन में लगा होता तो पिक्चर इतनी स्थिर नहीं हो सकती थीं। लगता था कि स्पाइकैम पहले से ऐसे एंगिल पर रखा हुआ था कि आइएस के एजेंट की तस्वीर पूरी नजर आए और उसकी आवाज भी साफ सुनाई दे। आइएस के रंगरूट बड़े इत्मीनान से ‘इस्लामी स्टेट’ की जय बोलते थे। एक तो ‘गजवा-ए-हिंद’ की बात कहता था कि हिंदुस्तान पर इस्लामी कब्जे की लड़ाई तो न जाने कबसे चल रही है और एक दिन हम जीतेंगे।
यह कौन स्पष्ट करे कि इस स्पाईकैम के चित्र इतने स्थिर क्यों थे कि लगते थे कि बने-बनाए हैं। हमें तो लगता रहा कि इन स्टिंगों से आइएस जितना एक्सपोज हुआ उसी के अनुपात में आइएस का भी प्रचार हुआ! उसके बाद चैनल ने यह लाइन भी लगाई कि ये रंगरूट लगता है अपने ठिकानों से भाग गए हैं। तो क्या वहीं बैठे रहते?
बहरहाल, सप्ताह की सबसे बड़ी हेड लाइनें रिपब्लिक के एंकरेश्वर की वे लाइनें ही थीं जो उन्होंने सुनंदा पुष्कर हत्याकांड के केस को खोलते हुए कहीं कि ‘शशि थरूर अब तुम चारों ओर से घेर लिए गए हो, अब तुम बच कर नहीं जा सकते।’ हैं न एकदम ‘डॉन’ वाली लाइनें!

एक दिन तो आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय ने ही खबरें बनार्इं, जिनको सब चैनलों ने दिन भर लाइव दिया! फर्क सिर्फ इतना था कि दो चैनलों की भाषा एकदम तीखी थी, यानी वही कि जाने न पाए! अब बच के कहां जाएगा बच्चू!
एक चैनल ने लाइन दी: ‘क्लीन इंडिया’! इस चक्कर में केजरी, लालू, चिंदबरम, ममता सब लाइन में लगा दिए गए!
चैनलों की लाइनें कहती रहीं कि लालू की कथित बेनामी संपत्ति पर आयकर विभाग ने बाईस जगहों पर छापे मारे और प्रवर्तन निदेशालय ने कार्ति चिदंबरम के चौबीस ठिकानों पर देश भर में छापे मारे! लेकिन किसी भी चैनल ने छापे के एकाध ठिकाने को ही दिखाया। बाईस या चौबीस ठिकाने तो क्या, दो चार भी नहीं दिखाए! क्यों? चैनलों के पास इतने कैमरे तो हैं ही कि वे बाईस जगहों पर लग रहे छापों में से कुछ को तो लाइव दिखा सकें, तो दिखाया क्यों नहीं?
इंडिया टुडे ने दिखाया कि रेवाड़ी में स्कूल की तेईस बच्चियां जब स्कूल अपगे्रडेशन के लिए की गई सफल भूख हड़ताल तोड़ कर जूस पी रही थीं तो पीते हुए शर्मा रही थीं और हंसे जा रही थीं! ऐसी सच्ची और कच्ची खुशी कभी-कभी दिखती है टीवी में!