ऐसा वीर रस बरसा कि सारे आलोचनात्मक चुनावी एजेंडे हवा हो गए। इधर पुलवामा हुआ, उधर विपक्ष के सारे पुल उड़े नजर आए! इधर दूसरी सर्जिकल स्ट्राइक हुई नहीं कि बिना किसी ‘किंतु परंतु’ के सारा विपक्ष सेना और सरकार के साथ खड़ा हो गया! चैनलों ने पूरे बारह दिन देशभक्ति का राग अलापा और तेरहवें दिन बदला लिया! हर ओर वल्ले वल्ले के सीन थे। शहर-दर-शहर लोग ढोल-नगाड़े बजा कर विजय का जश्न मनाते दिखे! एक चैनल ने देशभक्ति की सबसे पहली फसल काटी और कहा कि तीन सप्ताह में हमें दस करोड़ दर्शक मिले! दूसरे प्रोमो में कहा कि हम राष्ट्र को आश्वस्त करते हैं कि हम हर तरह से तैयार हैं! चैनल ‘सैन्य-मोड’ में आ गया!
इसे कहते हैं : एक स्वाति गुन अनेक! चौवालीस शहीद हुए। हमने अंदर घुस कर तीन सौ मारे। अपने मिग ने उनके एफ सोलह को मार गिराया! एक पायलट उनके कब्जे में रहा, लेकिन हमने कमाए दर्शक! हम हुए नंबर वन चैनल! ऐसा लाइव युद्ध किस चैनल को नहीं चाहिए! सर्जिकल स्ट्राइक ‘टू’ की खबर आते ही एंकरों के चेहरे कुछ इस तरह से खिले दिखे मानो वे ही सर्जिकल ‘टू’ करके, पाकिस्तान के आतंकवादी अड््डों को तबाह करके आए हों।
दिन भर चैनल कुछ खास विजुअल्स को यौद्धिक संगीत के साथ दिखाते रहे कि रात के साढ़े तीन बजे जब पाक सो रहा था, तब हमारे लड़ाकू जहाज अस्सी किलोमीटर अंदर जाकर कई आतंकी अड्डों को नेस्तनाबूद कर के इक्कीस मिनट में सुरक्षित वापस आ गए! गजब!
एंकर बताते रहे कि यह अड््डा यहां था, वह बालाकोट में था फिर भी कमाल करके आए। एक से एक नामी रिटायर्ड कर्नल, जनरल बताते कि भारत ने अब तक के एकदम सीमित युद्ध की परिभाषा को बदल दिया है। हमारी हवाई श्रेष्ठता साफ दिखती है। इसके लिए चाहिए बहुत बारीक तकनीकी प्लानिंग और इरादा!
सिर्फ इंडिया टुडे ने सावधान किया कि जो चैनल युद्ध जैसा फुटेज दिखा रहे हैं, वे ‘प्रामाणिक’ नहीं हैं और हमें तब तक ऐसा नहीं दिखाना चाहिए जब तक कि फुटेज ‘आॅफिसियली ओके’ न हो! लेकिन जोश में होश कहां, सो सब दिखाते रहे अपने-अपने लड़ाकू विमानों के फुटेज! युद्ध बेचना एक कला बन चला!
हमने बदला लिया! बदला लिया! इक्कीस मिनट में पाक के दांत खट्टे कर दिए! घर में घुस कर मारा! उसको मुंहतोड़ जवाब दिया! एक से एक भुजा फड़काऊ नारे चैनलों की स्क्रीनों पर लिखे आते। युद्ध बनाने और दिखाने में भीषण प्रतियोगिता दिखी।
सब चैनलों में एक ‘बेहद कमजोर लाचार कटोरा लेकर भीख मांगता पाकिस्तान’ बनाया जाता रहा, जो ‘हमारे’ मुकाबले कहीं नहीं ठहरता!
कि अचानक खबर टूटी कि पाक ने हमारा एक जहाज गिरा दिया है। दो पायलट पकड़ लिए। फिर खबर आई कि एक पायलट पकड़ा है, जिसका नाम अभिनंदन है, जो सुरक्षित है!
विजय के दर्प से चमके एंकरों के चेहरे अचानक म्लान से दिखने लगे। खबर ने दर्पीले दृश्यों के मानी अचानक बदल दिए!
एंकर व्याख्या में जुट गए कि पाकिस्तान जो फुटेज दिखा रहा है, सन सोलह का है। एक चैनल ने उसे ‘फेक’ न्यूज वाला ‘फेकिस्तान’ बताया। दूसरे ने उसे महाझूठा बताया। मगर हा हंत! अपना एक वीर पाइलट तो उनके कब्जे में है। यह खबर ‘फेक’ नहीं थी। ‘रीयल’ थी।
चौबीस घंटे की वीरता अचानक बिला गई। एक सेवानिवृत विदेशनीति विशेषज्ञ युद्ध बंदियों के लिए ‘जिनेवा कन्वेन्सन’ की धाराओं को पढ़ने लगे कि अभिनंदन पर अत्याचार नहीं किया जा सकता, कि पाक को दुनिया के आगे जवाबदेह होना होगा।
इस बीच इमरान दोबारा बोले। पहले बोला कि झगड़ा एक बार बढ़ने के बाद किसी के काबू में नहीं रहता, इसलिए बेहतर हो कि बातचीत हो। फिर अपने संसदीय संबोधन में कहा कि हम ‘शांति के संकेत’ (पीस जेस्चर) के तौर पर पायलट ‘अभिनंदन’ को जल्द ही लौटा देंगे।…
चैनलों का उग्र विमर्श हिचकोले खाने लगा। एक अंग्रेजी चैनल पर एक रिटायर्ड जनरल ने कहा कि मैं इमरान का धन्यवाद करता हूं कि उसने हमारे पायलट को छोड़ने का ‘जेस्चर’ दिया!
हाय हाय ये क्या करते हैं सर? दुश्मन की तारीफ और वह भी इन दिनों! तुरंत एक दूसरे रिटायर्ड अफसर आ गए, जो धन्यवाद देने की जगह भारत की ताकत के आगे पाक के झुकने की बात करते रहे!
चैनलों की बनाई देशभक्ति का असर दिखाई दिया। चुरू की जनसभा में प्रधानमंत्री के एक एक वाक्य पर ‘मोदी मोदी मोदी मोदी’ होता था। युवाओं का हुजूम सामने था और प्रधानमंत्री अपनी फार्म में थे। तभी उन्होंने कहा कि (सभा में) वीर रस बरस रहा है! और फिर देशभक्ति से ओेतप्रोत उन्होंने वही प्रसिद्ध गीत सुनाया, जिसके बोल रहे ‘सौगंध मुझे इस मिट्टी की मैं देश नहीं मिटने दूंगा।…’
पाक पिटा। विपक्ष मूक हुआ और ‘नामुमकिन मुमकिन’ हुआ! यही है : एक युद्ध फल तीन!
