अ हा हा देखो देखो! अपने नंदी महाराज दूध पी रहे हैं। भक्त जन उमड़े पड़ रहे हैं और नंदी महाराज को भक्तिनें चम्मच से दूध पिला रही हैं।
एक हिंदी रिपोर्टर बड़े ही आरत भाव से एक पुजारी जी से पूछता है : ये कैसी लीला है प्रभो! पुजारी पुलकित होकर जवाब देता है : सावन के महीने में नंदी महाराज दूध पीते हैं।
खबर पर खबर टूट रही है : ये देखिए, पटना में नंदी महाराज चम्मच से दुद्ध्ू पी रहे हैं। एक रिपोर्टर एक माता से प्रश्न करता है कि क्या नंदी महाराज सचमुच दूध पी रहे हैं? वह खुश होकर कहती है : हां पी रहे हैं। अच्छा लग रहा है। दूसरी औरत कहती है : ये हकीकत है। अरे बढ़िया से दूध पी रहे हैं। नंदी महाराज।
एक चैनल कुछ रेडिकल बन कर चीखता है : ये है अंधविश्वास में डूबी आस्था! लेकिन इससे क्या? भक्त दूध पिलाए जा रहे हैं, नंदी महाराज पिए जा रहे हैं, आप एतराज करने वाले कौन? एक चैनल दिखाने लगता है- दूध पीते कन्हैया का सच कि लीजिए, इधर कन्हैया जी भी दूध पीने लगे।
एक एंकर चीखती है : भारत को ‘लॉजिक’ नहीं, ‘मैजिक’ चाहिए। उधर चंद्रयान छोड़ा जा रहा है। इधर नंदी की मूर्ति को दूध पिलाया जा रहा है!
एक हिंदी चैनल अखिल भारतीय नंदी लीला दिखाए जा रहा है। ये देखिए अलीगढ़ में भी नंदी जी को चम्मचों से दूध पिलाया जा रहा है।
एक औरत बताती है कि मेरी बेटी ने दूध पिलाया। रिपोर्टर पूछता है कि आपको कैसे मालूम हुआ कि नंदी जी दूध पी रहे हैं? तो जवाब मिला कि फोन आया था कि नंदी बाबा दूध पी गए। ये चमत्कार है। सावन का महीना हैै।
एक एंकर बता रहा है कि सोमवार को यह चमत्कार ‘आल इंडिया’ तक हुआ है। ये देखिए, एमपी के लखीमपुर में नंदी महाराज चम्मच से दूध पी रहे हैं। बिहार और झारखंड से लेकर बंगाल के आसनसोल तक में नंदी महाराज ने दूध पिया है। लोग मानते हैं कि ये चमत्कार है शिव जी का!
एक युवा कहता है कि हमने चम्मच से दूध पिलाया है। नंदी बाबा जल भी पी रहे हैं!बाबा दर्शन देने आए थे धरती पर!
एक चैनल नंदी और शिवजी के संबंध की कहानी कहे जा रहा है कि कैसे नंदी और शिव जी एक ही हैं।
एक चैनल पर एक डॉक्टर आकर बताता है कि संगमरमर की मूर्ति दूध पी ही नहीं सकती। यह ‘अंधविश्वास’ है। एक बार गणेश की मूर्ति के दूध पीने का भी ऐसा ही हल्ला हुआ था। इस बीच ‘कॉफी कैफे डे’ के मालिक सिद्धार्थ की आत्महत्या पर ही राजनीतिक कुश्ती शुरू होती दिखती है। यह एक विचित्र अनुभव है : इधर एक उद्यमी मरता है उधर एक आंसू भी नहीं गिरता है। इधर एक अंग्रेजी चैनल सिद्धार्थ को कांग्रेस का टट््टू और टैक्स चोर सिद्ध किए जा रहा है, उधर कांग्रेस का एक नेता उसे सत्ता के दमन का शिकार सिद्ध किए जा रहा है। ‘चोर’ के मरने पर कैसा शोक?
आह! उन्नाव का बलात्कार केस एक ट्रक द्वारा ‘बलात्कार जीविता’ (रेप सर्वाइवर) की कार को ‘सुयोजित तरीके से एक्सीडेंट’ मारने के साथ लौटा, जिसमें दो लोग मारे गए और ‘बलात्कार-जीविता’ वेंटीलेटर पर नाजुक स्थिति में अचेत है। चैनल दिखाते-बताते रहे कि एक से एक बड़े भाजपा नेता बलात्कार के ‘आरोपित’ कुलदीप सेंगर के साथ फोटो खिंचवा चुके हैं, कि उसके पीछे कौन खड़ा है, कि अंतत: ‘डैमेज मैनेज’ करने के लिए भाजपा को उसे पार्टी से निकालना पड़ा। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दे दिया कि संबद्ध सभी मामलों को यूपी से बाहर ले जाया जाय! कहने की जरूरत नहीं कि एक बार फिर मीडिया ने एक छोटा-सा ‘निर्भया क्षण’ बनाया।
यों यूपी में न्याय भी मिलता है, लेकिन केस केस पर निर्भर करता है जैसे कि आजम खान के विश्वविद्यालय में चोरी की दो सौ किताबें क्षण भर में बरामद कर ली गर्इं, लेकिन ‘बलात्कार जीविता’ (रेप सर्वाइवर) को सुप्रीम कोट में गुहार लगानी पड़ी! इसी बीच मुसलिम समाज में प्रचलित ‘तीन तलाक’ की कुप्रथा को अपराध घोषित करने वाले विधेयक को राज्यसभा में पास करा के भाजपा ने सचमुच इतिहास रच दिया। भाजपा का ‘फ्लोर मैनेजमेंट’ गजब का रहा। ‘विपक्षी’ सांसदों की ‘अनुपस्थिति’ का पूर्वानुमान करना और इस तरह अपने अल्पमत को बहुमत में बदलना कोई मामूली काम न था।
एक बार सावन का महीना फिर लौटा। किन्हीं अमित शुक्ला ने ‘जोमेटो’ के एक ‘मुसमलान डिलीवरी बॉय’ के हाथों से खाने का डिब्बा लेने से इनकार कर दिया। उधर ‘जोमेटो’ ने ‘डिलीवरी बॉय’ बदलने से इनकार कर दिया। शुक्ला की इस हरकत पर चैनलों में धार्मिक-घृणा के घटिया कृत्य पर हंगामा खड़ा हो गया। एंकर कहने लगे कि ‘डिलीवरी बॉय’ का भी क्या कोई धर्म देखता है? फिर किस-किस का धर्म पूछोगे? क्या हवा का धर्म भी पूछोगे? शुक्ला बोले कि हमारा सावन का महीना चल रहा है, ऐसा व्यक्ति भेजते जो हमारी आस्थाओं को समझने वाला तो हो।… कोई आश्चर्य नहीं कि इस खुली धार्मिक-घृणा के पक्ष में भी चैनलों पर कई धर्मगुरु आकर जिरह करने लगे कि ये खाने वाला तय करेगा कि वह क्या चाहता है? सावन के इस महीने में एक डीएम कांवडियों पर पुष्प वर्षा करके और एक एसपी कांवड़ियों की मालिश करके पुण्य कमाते हों और दूसरी ओर नंदी दूध पीते हों, वहां कुछ भी संभव है।
इन दिनों ‘सावन का महीना धरम करे सोर’ चलता है, ‘सावन का महीना पवन करे सोर’ नहीं चलता!
