सस्ती चुनावी राजनीति की बहसें चल रही थीं। लेकिन एक क्षण में सारा मंजर बदल गया। बहसें बदल गईं। राजनीति बदल गई और गुस्सा छा गया! जम्मू कश्मीर के पुलवामा-अवंतीपोरा की सड़क। गाड़ियों का एक लंबा काफिला आ रहा है। सैनिक ड्यूटी पूरा करके लौट रहे हैं कि अचानक एक फिदाइन हमला होता है और कहानी बदल जाती है। पूरी बस यानी चौवालीस जवानों के चिथड़े उड़ जाते हैं। बस लोहे की एक मुड़ी-तुड़ी ठठरी बनी जाती है। सैनिकों के चिथड़े दूर तक फैल जाते हैं। एक सैनिक बस का एक टुकड़ा बस के ढेर की ओर फेंक देता है।

पहले दृश्य सभी कुछ कहते थे। सैंतीस जवानों से भरी गाड़ी सड़क के एक ओर लोहे का पिंजर बन कर पड़ी थी। हर खबर चैनल इस हमले को कवर कर रहा है। दर्जनों बुरी तरह घायल हैं। रिपोर्टर बताते हैं कि किस तरह एक एसयूवी में तीन सौ पचास किलो आरडीएक्स फिदाइन दस्ते में बदल गया। इसके पीछे कौन था। यह सीआरपीएफ के सैनिकों की बीच अचानक कैसे घुस पड़ी। क्या सुरक्षा व्यवस्था में कोई चूक हुई? तरह-तरह के सवाल उठते रहे। वही कुख्यात आतंकवादी हाफिज हमले के संदर्भ की तरह छाया रहा। एक चैनल उसके जहर भरे भाषणों के अंश दे रहा है। एक एंकर उनसे हिसाब मांग रहा है, जो आतंकवादी अफजल के अंतिम अवशेषों को लौटाने की बातें करते थे। पीडीपी अध्यक्ष आती हैं और हमले के बारे में बताती हैं, लेकिन इस हमले को ‘कंडेम’ नहीं करतीं। एंकर ऐसे ‘कंडेम’ न करने वालों को ‘कंडेम’ करता है।

एक एंकर चिल्लाता है कि इन ‘लॉबिस्टों’ का ‘सिक्यूरिटी कवर’ कब हटेगा? वह हिसाब लगा कर बताता है कि हर बड़े ‘लॉबिस्ट’ नेता की सुरक्षा पर सात करोड़ रुपए खर्च बैठता है और ये उनके कवच बनते हैं, इनका कवच खत्म करो। हर एंकर गुस्से में है। चैनलों में गुस्सा भरा है। रिपोर्टर तक गुस्से में हैं। यह सबसे बड़ा हमला है। कुछ एंकर तो अभी हिसाब कर देना चाहते हैं। एक चैनल ‘सर्जिकल स्ट्राइक-टू’ की मांग कर रहा है। एक चैनल पर जेके के राज्यपाल आते हैं और हमले की निंदा करने के अलावा व्यवस्था में चूक की बात भी करते हैं। यह उड़ी के हमले से बड़ा हमला है, जब उड़ी के बदले सर्जिकल की गई, तो इसके बदले क्या करेंगे? यह एक आम मांग बन गई है।

वही-वही दृश्य दुहरते हैं। पहले हमला होता है, फिर चूक की खबर आती है, फिर ‘लॉबिस्ट’ ठुंकते हैं, फिर ‘राजनीति न करें’ की मांग होती है, फिर राजनीति होने लगती है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं दिखता। सभी सावधान हैं। गृहमंत्री मौका-ए-मुआयने पर जाने वाले हैं। एक चैनल के विशेषज्ञ कहते हैं कि पांच किलो आरडीएक्स एक बड़े मकान को तबाह कर सकता है, तो तीन सौ पचास किलो आरडीएक्स मुहल्ले भर को उड़ा सकता है। जैश-ए-मुहम्मद हमले का श्रेय लेता है और अगली बार हाफिज सईद के चित्र पर एक चैनल गोली चलवाने लगता है- ठांय ठांय ठांय…

अगली सुबह पीएम की अध्यक्षता में सुरक्षा पर कैबिनेट समिति (सीसीएस) की बैठक होने की खबर है। हर चैनल अनुमान लगा रहा है कि क्या फैसला करने वाले हैं। एक अनुमान के अनुसार राज्यपाल को बदल कर रिटायर्ड सैनिक अफसर जेके भेजा जा सकता है। बैठक खत्म होती है, तो पीएम क्षुब्ध स्वर में संबोधित करते हैं : मैं आतंकवादियों को कहना चाहता हूं कि वे बहुत बड़ी गलती कर चुके हैं। उनको बहुत बड़ी कीमत चुकानी होगी। सैनिकों के रक्त की एक एक बूंद का बदला लिया जाएगा… एंकर व्याख्या करती है कि अब देखना है कि कब क्या किया जाता है।… क्या इस व्याख्या की जरूरत थी?

जेटली बताते हैं कि पाकिस्तान को दिया गया तरजीही राष्ट्र का दर्जा वापस ले लिया गया है। गृहमंत्री कल सर्वदलीय बैठक को संबोधित करेंगे। जिनके लोग मारे गए हैं उनका रो-रो कर बुरा हाल है। गांवों-कस्बों में रहती पत्नियां, बच्चे अचानक अनाथ हो गए हैं। वे बुरी तरह रोते-बिलखते दिखते हैं। यह सब इतनी बार दिखाया जाता है कि सबका दुख हमले के दृश्यों में खप जाता है। उधर सब खुफिया रहता है, इधर के चैनल हर चीज को खोल कर रख देते हैं। सर्जिकल स्ट्राइक की चर्चा तो ऐसे कर रहे हैं कि मानो एंकर ही करने वाले हैं। एक चैनल पर एक जवान कांस्टेबल मनोज कुमार चौवालीस की जगह चार सौ सिर काटने की बात कहता दिखाया जाता है। सेना के हाथ खुले छोड़ देने चाहिए। आतंकवाद के खिलाफ करना होगा, तो उनको बचाने वाले बेगुनाहों को भी मारना होगा। जहां भी पत्थरबाज मिले, उसे वहीं गोली से उड़ा देना चाहिए। फिर वह पीएम को संबोधित करने लगता है कि वे फिर से सर्जिकल स्ट्राइक-टू कर दें… एंकर कहती है कि यह भावना दरअसल, पूरे देश की है।

इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष प्रेस को संबोधित करने लगते हैं कि यह एक भयानक त्रासदी है। आतंकवाद देश को बांटना चाहता है, लेकिन कोई भी शक्ति इस देश को तोड़ नहीं सकती। पूरा विपक्ष सुरक्षाबलों और सरकार के साथ खड़ा है। यह हमला हिंदुस्तान की आत्मा पर हुआ है, हम उनके और सरकार के साथ हैं। जिनने किया है उनको यह न लगे कि वे देश को जरा भी चोट पहुंचा सकते हैं। कुछ दिनों तक हमें अब कुछ और विचार नहीं करना… आज पूरी कांग्रेस पार्टी तथा विपक्ष जवानों और सरकार के साथ खड़े हैं। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने कहा कि आज का दिन शोक का दिन है। चालीस जवान मारे गए हैं। हम उनके परिवारों के साथ हैं। हम आतंकवाद के साथ कभी समझौता नहीं कर सकते। यह वक्त विवादास्पद मुद्दे उठाने का नहीं है।
दो मिनट का मौन।