यह कुर्बानी बेकार नहीं जाएगी! मोमबत्तियां लेकर निकल पड़े हैं लोग! सारा देश गुस्से में है!…
एक एंकर नारा देता है : भारत माता की जय! दूसरा नारा देता है : वंदे मातरम्! वंदे मातरम!
एंकरों में नए-नए नारे बनाने और लगाने की प्रतियोगिता छिड़ी है। एक एंकर ने भी ‘नारा’ मार दिया तो ढेर हो जाना है पाकिस्तान को!
पुलवामा को हुए कई दिन बीत चुके हैं, लेकिन अपने एंकरों को चैन नहीं है।
हिंदी के एंकर तो वीररस के कवियों को मात करते हैं। एक अंग्रेजी वाला भी हिंदी में आकर वीररस की कविता सुनाने लगा है और हर बात पर ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाने लगा है। अंग्रेजी गला जब हिंदी में आता है, तो महाप्राण ध्वनियां भी बेचारी अल्पप्राण हो उठती हैं।
एंकर चाहता है : तुरंत बदला! अभी इसी वक्त बदला! सबक सिखाना!
सीन कश्मीर से पालम एअरपोर्ट चला आता है। सैंतीस शहीदों के ताबूत सैंतीस तिरंगों में लिपटे एक महाशोक-सा रच रहे हैं। उनको एक एक कर सैन्य श्रद्धांजलि दी जा रही है। राहुल ने श्रद्धांजलि स्वरूप पुष्पचक्र उनके चरणों में रखा है और खड़े हो गए हैं। कुछ देर शोक ठहरा रहता है और पीएम की श्रद्धांजलि के बाद संपन्न होता है।
शोक के सीन अब शहीदों के शहरों में पहुंच गए हैं। चैनलों के लाइव कवरेज ने हर शहीद की विदाई को एक बड़े दृश्य में बदल दिया है। रिपोर्टर यह भी बताने लगते हैं कि इस शहीद के अंतिम दर्शन करने एक लाख लोग आए हैं, कि ढाई लाख आए हैं, कि पूरा शहर उमड़ पड़ा है।… कैमरे हों तो शहर क्या, पूरा देश उमड़ पड़ता है!
चैनलों में आकर शोक पहले पल से बदलेखोर बना हुआ है। शाम को दिल्ली के इंडिया गेट से पब्लिक नाम पर कुछ युवा सबको ऐसी-ऐसी लाइनें दे रहे हैं कि अगर उनको कमान दे दें, तो एक-दो क्षण में ही पाकिस्तान भस्म हो जाए! ऐसे में रिटायर्ड सैन्य अफसर बड़े काम आते हैं। उनको बोलते हम इस तरह सुनते हैं मानो पाकिस्तान को ठीक करने की सबसे अनमोल रणनीति उन्हीं के पास हो और कई तो वाकई बहुत गुस्से में बोलते हैं।
एक चैनल अपनी पिटाई कराने के लिए शुद्ध बेवकूफी छाप बहस छेड़ देता है कि इस हमले का जिम्मेदार कौन? पहले से सूचना थी, कार बीच में कैसे घुस आई, आतंकवादी तो कश्मीर का ही निवासी था, बाहर से कहां आया!
इसके बाद ऐसा कहने वाले की प्रेमपूर्वक ठुकाई कराके एंकर चैन पाता है कि देखा, अपने देश में तो पाकिस्तान के एजेंट तक आजाद हैं कि आकर कुछ भी बोल जाते हैं।
कांग्रेस को देर से अफसोस होता है कि हमने तो संकट की इस घड़ी में देश का, सरकार का साथ दिया और भाजपा चुनावी सभा करती घूम रही है?
इसके आगे कांग्रेस द्वारा अचानक खबर ब्रेक की जाती है कि पुलवामा की खबर पीएम को कब दी गई? एक एंकर कुछ चित्र दिखाता है, जो कारबेट पार्क के हैं।
पांचवें रोज राजनीति शहादत को भुलाने में लग गई है। राजनीतिक हिसाब करने की घड़ी आ चुकी है। कौन गद्दार है? सवाल उठाया जाने लगा है।
कौन है, जो कश्मीर के आतंकियों के साथ है? एंकर शिकायत करते हैं कि देखो न महबूबा ने हमले की निंदा की, न उमर अब्दुल्ला ने कंडेम किया! उल्टे वे कश्मीर से बाहर रह और पढ़ रहे कश्मीरियों की सुरक्षा के लिए चिंतित हैं। धिक्कार है। एक राज्यपाल कश्मीरियों के बायकाट की मांग कर चुके हैं! कश्मीरी निशाना बन रहे हैं, खबरें आ रही हैं, लेकिन जल्द ही एक मंत्री कह उठते हैं कि कश्मीरी छात्र एकदम सुरक्षित हैं। जबकि एक बहस में एक ‘फेक न्यूज’ एक्सपर्ट कहता है, गृहमंत्रालय का बयान मंत्री के बयान के विपरीत बात कहता है। क्या सच है, कोई नहीं जानता! यानी इस प्रसंग में ‘फेक न्यूज’ गढ़ी जा रही है!
इमरान के ‘रिटेलियेशन’ वाले संबोधन के आते ही एक अंग्रेजी एंकर इमरान के बोलने के बीच आठ-दस कट दिखा कर सिद्ध करने लगता है कि इमरान का बयान ‘एक्सटेंपोर’ नहीं, सेना-संपादित है। मगर पाकिस्तान का प्रवक्ता एंकर की ही हंसी उड़ाता रहता है। अंत में यह अंग्रेजी चैनल सगर्व घोषित करता है कि अब हम किसी पाकिस्तानी प्रवक्ता को अपने देश के खिलाफ अपने चैनल का दुरुपयोग नहीं करने देंगे!
ये क्या भैये! वह बिना बुलाए तो न आया होगा! अब जब उसने आपको रगड़ा तो आपको होश आया!
ऐसे ही एक हिंदी चैनल ने एक पकिस्तानी मोहतरमा को बिठा लिया और सब घेरने लगे। वह तो कुछ कम तैयारी से आई, वरना गरिया तो सकती ही थी!
एंकरों की वीरता की ‘हिरिस’ पाकिस्तान के जनरलों से तू तू, मैं मैं करके ही मिटती है। चैनल पैसे देकर उनको बुलाते हैं, फिर ‘गाली-गाली’ खेलते हैं! इसे कहते हैं ‘मुचैटा’ करना!
इतने में एक मंत्री जी ने एक रणनीतिक घोषणा कर दर्शकों को तसल्ली बख्शी कि हम तीन नदियों के पानी की दिशा बदल देंगे। फालतू पानी को पाकिस्तान में नहीं जाने देंगे, बल्कि पंजाब, हरियाणा, राजस्थान को देंगे। ऐसी तसल्लीबख्श खबर के आते ही एंकर चहकने लगे- वो मारा पापड़ वाले को। एक हिंदी चैनल चहका : अब प्यासा मरेगा पाकिस्तान! दूसरा बोला : पाकिस्तान का दाना-पानी बंद। जैसे गांव में कहते हैं : हुक्का पानी बंद! अब मरेगा प्यासा! दाने-दाने को तरसेगा!
एक अंग्रेजी एंकर दहाड़ता रहा कि अब तो उन शंकालुओं को यकीन हो गया होगा कि भारत बदला ले सकता है! क्या कमाल का बदला है सर जी!