पच्चीस जनवरी की शाम का प्राइम टाइम : हर चैनल के पास उसका शरजील इमाम है!वह अलीगढ़ में किसी मंच पर खड़ा लहरा-लहरा कर कहे जा रहा है : पांच लाख लोग हमारे पास हों तो हम असम को भारत से काट सकते हैं… उसकी शैली में सहजता है, मानो रोज ऐसी बातें करता हो। वह अपने सुनने वालों को अपनी रणनीति खुलेआम समझा रहा है।
एक भक्त एंकर गुस्से में आग बबूला हुआ जा रहा है कि इसके आठ वीडियो हैं। कौन है इसके पीछे? और जवाब देता है, वही ‘लॉबी’ है यानी विपक्ष और टुकड़े-टुकड़े गैंग!
एक चैनल स्टिंग बजाने लगता है कि शाहीनबाग के पीछे पीएफआई का बारह सौ करोड़ लगा है। कुछ रुपए सिब्बल, दवे, जयसिंह आदि को भी मिले हैं। सिब्बल कहते हैं कि यह सब बदनाम करने की साजिश है। जो पैसा मिला वह मुझे एक मुकदमे की फीस के रूप में मिला है…
कि एक रात को शाहीनबाग में एक आदमी पिस्तौल लहराने लगता है…
बहसें शरजील इमाम के ऐलान पर टिक गई हैं। एक चैनल पर एक भाजपा प्रवक्ता कहते हैं : अगर कोई देश को काटने की बात करेगा तो ‘इमोशन’ तो ‘हाई’ होंगे ही…
कि अगले रोज अचानक शरजील की अलगाववादी कहानी की जगह ‘गोली मारो… को’ वाली कहानी ले लेती है।
सभी चैनल दिखाते हैं : एक केंद्रीय मंत्री जी दिल्ली की एक चुनावी सभा में अपने दोनों हाथ ऊपर उठा कर ताली पीटते हुए नारे लगवा रहे हैं : ‘देश के गद्दारों को…’ नीचे आवाज आती है: ‘गोली मारो…’। मंत्री बार-बार नारा लगवाते हैं, बार-बार यही जवाब आता है।
शाम की एक बहस में एक भाजपा प्रवक्ता मंत्री जी का बचाव करते हुए कहते हैं कि ‘गोली मारो…’ तो जनता बोलती है!
घृणा के बोलों का बाजार गरम है।
दिल्ली के एक भाजपा सांसद मीडिया को बोल उठते हैं कि ‘ये लोग आपके घरों में घुसेंगे, बहन बेटियों का रेप करेंगे… सोच समझ कर फैसला कीजिए… जब तक मोदी जी हैं तब तक हम शाहीनबाग वालों से बचे हैं, मोदी जी नहीं होंगे तो आप सुरक्षित नहीं होंगे… मोदी जी नहीं होंगे तो काट डाला जाएगा… अगर दिल्ली में सरकार बन गई तो शाहीनबाग को एक घ्ांटे में खाली करा दूंगा…’ जब एंकर उनसे बयान वापस लेने को कहती है तो कहते हैं : मैं बयान वापस नहीं लूंगा।
शाम की चैनल-बहसों में भाजपा प्रवक्ता रक्षात्मक होने की जगह आक्रामकता से अपने मंत्री और सांसद के बयानों का बचाव करते दिखते हैं। ‘गोली मारो…’ का बचाव करते हुए एक कहते हैं कि ‘इमोशन हाई’ होते हैं तो ऐसा होता है। एक एंकर के सवाल करने पर दूसरे प्रवक्ता उस एंकर को शर्मसार करने लगते हैं। एंकर हक्का बक्का रह जाता है और कहता है कि मैंने तो ऐसे बयान नहीं दिए। वे तो आपके लोगों ने दिए हैं, तो प्रवक्ता ‘कश्मीर के पंडितों को मारा जा रहा था, तब तुमने क्या निंदा की’ वाली तू तू मैं मैं पर उतर आते हैं। एंकर अवाक रह जाता है।
इसी बीच एक राष्ट्रभक्त एंकर अपने ‘इंट्रो’ में खुलेआम लाइन देने लगता है : राष्ट्रवाद के लिए एकजुट हों! जो सोशल मीडिया भारत के खिलाफ बोलता है, उसे बंद करो!
एक एंकर गृहमंत्री के उस भाषण के टुकड़े बजाता है, जिसमें वे कहते हैं कि ‘…इतना कसके बटन दबाना कि करंट शाहीनबाग को जाकर लगे…’ एंकर टिप्पणी करता है कि : वे शाहीनबाग के बहाने चुनाव का ध्रुवीकरण करना चाहते हैं…
इसी बीच एक और केंद्रीय मंत्री शाहीनबाग को अपने तरीके से परिभाषित करते हैं कि शाहीनबाग एक विचार है, जहां भारत का झंडा एक कवच है, जहां भारत को तोड़ने वाले को मंच दिया जा रहा है, मासूम बच्चों को उकसाया जा रहा है…
सीएए के मुद्दे पर एक दिन नीतीश पीके और पवन दोनों को ‘बाहर’ कर देते हैं, लेकिन हाय रे जालिम जमाना कि सिवाय एक चैनल के कोई इनके आंसू पोंछने तक नहीं आता। नीतीश का एक समर्थक वक्ता जले पर नमक भी छिड़कते हुए कहता है कि जब तक सांसद रहे, तब तक सब ठीक था, अब सब गड़बड़! मीठा मीठा गप्प कड़वा थू! क्या गजब के बुद्धिजीवी हैं…
लेकिन अफसोस कि एक हास्य कलाकार ने हास्य को भी बदतमीजी और बदसलूकी समझ लिया और इंडिगो ने भी न जाने उसे क्यों कुछ ज्यादा ही लतिया दिया! अरे भाई हास्य और बदतमीजी में फर्क करना सीखो और अगर नहीं सीख सकते तो इतना तो सीख ही लो कि किसी की राष्टÑीय स्तर की नित्य की बदतमीजी का जवाब उसके साथ आपकी निजी बदतमीजी नहीं हो सकती! हास्य कलाकार हो तो हास्य से मारो, अपने को दयनीय तो न बनाओ!
लेकिन आखिर में गोली चल ही गई : बहुत दिनों से खबर न बना पा रहे जामिया वालों ने तीस जनवरी के दिन चाहा कि राजघाट तक ‘पदयात्रा’ निकालें, लेकिन पुलिस ने इजाजत न दी। सब कुछ शांत था कि शाम के समय अचानक सफेद पैंट और नीली जाकेट पहने एक लंबे-से युवक ने अपनी जेब से पिस्तौल निकाल ली और दाएं हाथ में लेकर उसे लहराने लगा। वह प्रदर्शनकारियों से दूर हटता हुआ पुलिस बलों के नजदीक जाता रहा कि अचानक उसने गोली चला दी। ठांय की आवाज आई और एक छात्र को घायल करती निकल गई। गोपाल को पुलिस ने धर लिया। उसके बाद एक चैनल पर एक फेसबुक विशेषज्ञ ने बताया कि उसने गोली चलाने आदि के बारे में पहले ही फेसबुक पर टिप्पणी लिख दी थी और शायद कोई उसका सीधा प्रसारण भी कर रहा था, जिसमें वह बहुत-से घृणा-वक्तव्यों के साथ उसने गोली चलाते यह भी कहा कि शाहीन बाग का खेल खत्म…
उधर ‘गोली मारो…’ हुआ और इधर गोली मारने वाला आ गया!
बाखबर: गोली से गोली तक
शाम की चैनल-बहसों में भाजपा प्रवक्ता रक्षात्मक होने की जगह आक्रामकता से अपने मंत्री और सांसद के बयानों का बचाव करते दिखते हैं।
Written by सुधीश पचौरी

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First published on: 02-02-2020 at 01:58 IST