मोदी फिर गुजरात में। रो रो फेरी सेवा का उद्घाटन और भाषण और फिर बारह किलो मीटर लंबा रोड शो! सभी चैनलों पर लाइव लाइव! रास्ते में मगर भीड़ गायब! बस मानिक सर्किल पर कुछ भीड़ दिखी! इतना ओवर एक्सपोजर भी ठीक नहीं सर जी!
किसी कवि ने कहा भी है: ‘मांगत मांगत मान घटै और प्रेम घटै नित के घर जाएं ते’!
कट टू हार्दिक पटेल। एक चैनल चीखता रहा: ये देखो हार्दिक पटेल राहुल से मिलने जाते हुए। ये हैं हार्दिक पटेल नीली शर्ट पहने हैं और ये हैं जो सफेद शर्ट पहने हैं। ये देखिए वे राहुल से मिल कर बाहर निकल रहे हैं। उनके साथ बाकी के तीन लोग कौन हैं? एक के हाथ में काला बैग है, दूसरे के हाथ में और भी बड़ा बैग है! अरे उनके हाथ में ये बैग किसने दिया, कितने नोट हैं, क्या राहुल ने दिए हैं?
देखो देखो काले बैग का वाइरल सच!
एक चैनल वाइरल सच में बावला होता रहा तो दूसरा चैनल कमरा नंबर दो सौ चौबीस का सीसीटीवी फुटेज दिखाता रहा। दोपहर तक सीसीटीवी का यही फुटेज सब चैनलों में छाया रहा!
एक चैनल ने लाइन लगाई: हार्दिक पटेल के लिए सबसे बड़ी शर्मिंदगी! एक चैनल पर हार्दिक बोले: जब राहुल से मिलूंगा तब बताऊंगा! वीडियो झूठा है! बड़ा ही चैलेंजिंग लीडर है हार्दिक!
बड़ी मुश्किल से गुजरात के चुनाव का टाइम टेबिल नसीब हुआ। तिथि घोषित हुई। आयुक्त जी से एक पत्रकार ने जब पूछा कि हिमाचल के साथ ही क्यों नहीं घोषित किए, तो बोले कि गुजरात के सचिव ने प्रार्थना की थी कि बाढ़ के बंदोबस्त के कारण कुछ देर से चुनाव कराएं!
एक चैनल पर कांग्रेस के एक प्रवक्ता अमन ने इस पर प्रश्न किया कि कश्मीर में बाढ़ के दो महीने बाद ही चुनाव कराए जा सकते हैं, तब यहां क्यों देर की गई? आयोग के पक्षधरों के पास इसका कोई तर्कसंगत खंडन नहीं था!
दो अंग्रेजी चैनल गुजरात का चुनावी सर्वे दे चुके हैं। दोनों में भाजपा जीत चुकी है और कांग्रेस हार चुकी है! एंकर सर्वेज की व्याख्याओं में लगे हैं कि अल्पेश, जिग्नेश और हार्दिक के बावजूद भाजपा अच्छे बहुमत से जीतेगी! एक बता रहा है अड़तालीस फीसद वोट लेगी, दूसरा भी कह रहा है कि अड़तालीस फीसद वोट लेगी!
जब जीत इतनी ही पक्की है, तब प्रवक्ताओं के चेहरों पर तनाव क्यों दिखता है?
इसी क्रम में एक चैनल में राज ठाकरे को कहते दिखे कि राहुल से इतना डरते क्यों हैं?
इंडिया टुडे के राहुल कंवल गुजरात से एक पब्लिक चर्चा को लाइव कवर करते रहे। राजदीप ने पूछा कि सरकार के प्रति लोगों में कितना गुस्सा है? कंवल बताने लगे कि लोग सरकार से गुस्सा तो हैं, लेकिन यह कितना चैनलाइज होता है, पता नहीं। कुछ-कुछ कम्युनल स्वर भी सुने जा रहे हैं। लोग नाराज हंै, फिर भी बूथ तक जाते-जाते वे हिंदू हो जा सकते हैं। भाजपा बूथ मैनेजमेंट में आगे है। यानी जीत पक्की है!
कट टू एनडीटीवी। जिग्नेश मेवाणी बेधड़क बोलते दिखे:
साढ़े छह करोड़ गुजराती भाजपा के खिलाफ हैं। जनता ने तय कर लिया है कि भाजपा को गिराना है। ओबीसी, दलित और बिजनेसमेन मिल कर गिराएंगे। गुजरात का युवा वर्ग छला हुआ महूसस कर रहा है। विकास का जय होने वाला था, जय का विकास हो रहा है!
यह है गुजरात की आकांक्षी, किंतु नाराज नई पीढ़ी, जिसका मोदी से मोहभंग हो चुका है।
न जाने किस मनहूस साइत, न जाने किस मनहूस ने राजस्थान के सरकारी अफसरों और एमएलए आदि को शिकायतों से बचाने के लिए अध्यादेश को कानून बनाने का आइडिया दे दिया और वो कमबख्त विवादी खबर बन गया!
कितना तो पवित्र इरादा था सरकार का! सरकारी अफसरों और नेताओं के खिलाफ आगे से कुछ भी न लिखा जा सकेगा, न बोला जा सकेगा। मीडिया झूठे मुकदमे चला कर उनका मनोबल तोड़ता है, इसलिए मीडिया भी रिपोर्ट नहीं कर सकेगा! अगर किया तो दो साल के लिए अंदर!
लेकिन मीडिया ने इस कदर धुलाई की कि सरकार की बोलती बंद हो गई और राजे जी को उसे सेलेक्ट कमेटी के सुपुर्द करना पड़ा!
मिरर नाउ में राष्ट्रगान पर पंगा फंसा रहा। एक पैनलिस्ट कहता कि कल को वे निक्कर में आने को कहेंगे। ये नैतिक दारोगाई कहां ले जाएगी? चैनल की एक लाइन पूछती रही: क्या देशभक्ति को ओढ़ कर जिया जाएगा?
ताज फिर से खबर में आया। एक चैनल ने खबर दी कि योगी जी ने ताज में सफाईगीरी शुरू की। उम्मीद है अब ताज पर मंडराती आफत टल जाएगी!
सबसे एब्सर्ड मजाक मध्यप्रदेश के सीएम का रहा। एक चैनल पर वे बोलते दिखे कि एमपी की सड़कें अमेरिका से भी अच्छी हंै! कैमरों ने दिखाना शुरू किया कि वास्तविकता क्या है? कई सड़कों पर तो गढ्ढे ही गढ्ढे थे।
अकेला अलाउद्दीन खिलजी ही पदमावती को देखने की इच्छा नहीं रखता था, गुजरात के कुछ नेता तक पदमावती के दर्शन के लिए उतावले हैं। कह रहे हैं कि रिलीज से पहले पदमावती पिक्चर दिखानी होगी! क्या सेंसर के ऊपर भी कोई सेंसर है?
‘पदमावति तुइ समुद सयानी!’ (जायसी)
बाखबरः पदमावति तुइ समद सयानी
अकेला अलाउद्दीन खिलजी ही पदमावती को देखने की इच्छा नहीं रखता था, गुजरात के कुछ नेता तक पदमावती के दर्शन के लिए उतावले हैं। कह रहे हैं कि रिलीज से पहले पदमावती पिक्चर दिखानी होगी! क्या सेंसर के ऊपर भी कोई सेंसर है?
Written by सुधीश पचौरी

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First published on: 29-10-2017 at 01:54 IST