जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस पी.बी. वराले की पीठ ने कहा कि हाई कोर्ट के 26 जून, 2006 के फैसले को सीधे पढ़ने से पता चलता है कि सीबीआई के अधिकारियों ने अपने आधिकारिक कर्तव्यों के निर्वहन में अनियमितताएं की हैं, यदि अवैधता नहीं की है और वे कथित अपराधों के लिए प्रथम दृष्टया दोषी हैं।