Roohi, Movie Review, Rating: ये फिल्म हंसी और डरावनेपन की खिचड़ी हैं। यानी कॉमेडी और हॉरर का घालमेल। निर्देशक की कोशिश है कि दर्शक हंसे भी और हंसने के दौरान थोड़ा डरते भी रहें और ऐसा करने में फिल्म कुछ हद तक कामयाब भी हुई है। कुछ हद तक ही। राज कुमार राव ने इसमें भवरा पांडे नाम के एक कस्बाई टीवी रिपोर्टर की भूमिका निभाई है।
जो दरअसल कल्पित शहर मुजिराबाद में जो लड़कियों को जबरिया य़ानी पकड़ाई शादी के लिए अगवा करता है। इस धंधे में उसका एक एक साथी भी है- कट्टानी यानी वरुण शर्मा। एक दिन भवरा और उसका दोस्त अपने बॉस गुनिया शकील (मानव विज) के कहने पर रूही (जान्हवी कपूर) नाम की एक लड़की को उठा लेते हैं।
लेकिन उठाने के बाद ही चक्कर ये शुरू हो जाता कि लड़की पर मुड़िया पैरी नाम की चुड़ैल का साया है। मुड़िया पैरी एक खास तरह की चुड़ैल है जो शादीशुदा लड़की की पहली रात में ही अपने कब्जे में ले लेती है। इतनी खतरनाक है ये चुड़ैल कि भूत-पिशाच से पीछा छुड़ानेवाले भी उसके सामने हक्के बक्के रह जाते हैं। होता ये भी है कि रूही के सलोने रूप में भवरा पांडे फिदा हो जाता है और मुड़िया पैरी वाले रूप पर कट्टानी।
यानी एक हसीना के दो रूप और इन दोनों रूपो के दो दीवाने। किसकी होगी रूही? किसी की होगी भी या नहीं। यही मामला पूरी फिल्म में चलता रहता है।
फिल्म में हंसी के तत्व डालने के लिए अंग्रेजी का कस्बाई और बिगड़ा रूप उभारा गया है। जैसे भवरा पांडे `एनसिएंट’ शब्द को`अंटशंट’ बोलता रहता है। ऐसे और भी कई शब्द हैं। वरुण शर्मा की कॉमिक टाइमिंग गजब है और राज कुमार राव एक ग्रामीण प्रेमी के रूप में उभरे हैं जो बाहर से गुंडा और भीतर से मोम।
`रूही’ कुछ साल पहले आई फिल्म `स्त्री’ से समानता लिए हुए है। उसमें भी राज कुमार राव थे जो एक भूतनी के प्रेम के चक्कर में पड़े थे। फिल्म में जान्हवी कपूर का भोलापन जरूर खींचता है लेकिन जब उनका चेहरा मुड़िया पैरी की वजह से बदलता है तो आकर्षण खत्म हो जाता है। और हां, `दिल वाले दुलहनिया ले जाएंगे’ के `पलट पलट पलट’ वाले संवाद और दृश्य को बदलकर इसमें पेश किया गया और आखिर में ये रहस्य रह जाता है कि रूही पलटी क्यों नहीं।
रूही मूवी रेटिंग- (2 ½*)
निर्देशक- हार्दिक मेहता
कलाकार- जान्हवी कपूर, राज कुमार राव, वरुण शर्मा