निर्माता : राजू चड्ढा, अमित कपूर और विक्रम खाखर
निर्देशक : प्रवाल रमन
गीतकार : आदित्य त्रिवेदी, जोनिता गांधी, सौगात उपाध्याय, सबा आजाद, अली अजमत
संगीत : आदित्य त्रिवेदी, विपिन पाटवा, बैले ग्रुनगे, सौगात उपाध्याय, सुभ्रहदीप दास
स्टारकास्ट : रणदीप हुड्डा, ऋचा चड्ढा, टिस्का चोपड़ा, आदिल हुसैन, मांडणा करीमी, लकी मोरानी, नंदू माधव, एलेक्स ओनील, डिजाना डेजानोविक, कनिका कपूर

इंडस्ट्री में हमेशा अलग तरह का मसाला परोसने वाले निर्देशक प्रवाल रमन इस बार ऑडियंस के लिए एक नई तरह की थ्रिलर फिल्म लेकर आए हैं। उन्होंने 80 के दशक में देश भर में अपने गुनाहों का लोहा मनवा चुके चाल्र्स शोभराज की जिंदगी पर आधारित फिल्म के निर्देशन की सफल कमान संभालने की पूरी कोशिश की है।

फिल्‍म ‘मैं और चार्ल्स’ में निर्देशक प्रवाल रमन ने चार्ल्स शोभराज की जिन्‍दगी लगभग सारे पहलुओं को पर्दे पर उतारने की कोशिश की है। थाईलैंड से शुरू हुई कहानी अचानक से 7 साल पहले फ्लैशबैक में चली जाती है। फिल्म चार्ल्स अपने स्मार्टनेस से लड़कियों का पहले दिल जीतता और विश्वास में लेता है, इसके बाद उन्हें अपनी हवस का शिकार बनाता है। फिल्म में चार्ल्स अपनी ओर ज्यादातर विदेशी लड़कियों अपनी ओर आकर्षित करता है।

यानी कहानी में 14 भाषाओं पर कमांड रखने वाला चार्ल्स को बहुत ही शातिर और पढ़ा-लिखा इंसान है जिसे कानून के बारे में भी काफी जानकारी होती है। इसी के साथ लॉ की पढ़ाई कर रही मीरा शर्मा यानी ऋचा चड्ढा की मुलाकात चार्ल्स से हो जाती है तो, जो उसके प्यार की कायल हो जाती है। वहीं दूसरी ओर कहानी में सन 1986 में दिल्ली के पहाडग़ंज से लेकर थाईलैंड तक चार्ल्स की तलाश रहती है।

जिस पकडऩे के लिए दिल्ली हाईकमान से अमोद कांत यानी आदिल हुसैन को जिम्मेदारी सौंपी जाती है। अमोद अब अपना पूरा कंसन्ट्रेट केस पर ही करते हैं और उन्हें पता चलता है कि उसे मुंबई पुलिस के इंसपेक्टर झेंडे ही पहचान सकते हैं, क्योंकि वो एक बार पहले भी चार्ल्स को गिरफ्तार कर चुके हैं, लेकिन उनके पास चार्ल्स के खिलाफ ठोस सबूत होने के कारण उसे जेल से रिहा कर दिया गया था।

बहरहाल, फिल्म में चार्ल्स शोभराज की जिन्दगी को परदे पर रणदीप हुड्डा ने बेहद खूबसूरती के साथ पेश किया। क्योंकि रणदीप ने हूबबू चार्ल्स को फिल्मी पर्दे पर लाकर रख दिया। रणदीप के चेहरे के हाव-भाव और बातचीत करने का तरीका बिल्कुल ओरिजनल चार्ल्स की तरह नजर आता है।

निर्देशक प्रवाल रमन की मेहनत काफी हद कर कामयाबी तक पहुंची है। लेकिन रणदीप को छोड़कर बाकी सब देखा जाए तो फिल्म की कहानी काफी कनफ्यूजन से भरी है।
फिल्म में टिस्का चोपड़ा और मांडणा करीमी ने भी अपने अभिनय में जान डाली। इन्होंने किरदार की तह तक जाने की पूरी कोशिश की, इसी लिए वे अपने अभिनय से ऑडिशंस के जहन में अलग छाप छोडऩे में कामयाब रहीं।

जबकि आदिल हुसैन और लकी मोरानी ने फिल्म कुछ अलग करने का प्रयास किया है। बात अगर नंदू माधव और कनिका कपूर की करें तो उनका अभिनय भी ठीक-ठीक रहा।

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