रविद्र त्रिपाठी
Motichoor Chaknachoor Movie review: एक ऐसी कॉमेडी जो शादी को लेकर बनी है। भोपाल में रहने वाली एक लड़की है एनी (अतिया शेट्टी)। शादी की उम्र हो गई है। मध्य वर्गीय परिवार है। पिता और माता परेशान हैं। पर लड़की तो जिद ठाने है कि शादी करेगी तो उस लड़के से जो उसे लंदन या कनाडा ले जाएगा। यानी विदेश। इसलिए धड़ाधड़ लड़के रिजेक्ट करती रहती है। इसी दौरान पता चलता है कि पड़ोसी का बेटा पुष्पेन्द्र (नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी) दुबई से लौटा है। उसकी शादी की बात चल रही है। पुष्पेन्द्र 36 का हो चुका है। देखने में अनाकर्षक है। पर एनी को लगता है कि इस लड़के को पटाकर शादी कर ली जाए तो लंदन या कनाडा ना सही दुबई तो पहुंच ही जाएगी।
एनी उसे पटाने में लग जाती है। वो सफल भी हो जाती है। दोनों गुपचुप तरीके से शादी भी कर लेते है। परिवार वालों की नाराज़गी लेकर। लेकिन ये क्या। शादी के बाद पता चलता है कि पुष्पेन्द्र की दुबई की नौकरी तो कब की छूट चुकी है। अब तो एनी के सारे अरमान धरे के धरे रह गए। ‘ मोतीचूर चकनाचूर ‘ इसी बात को लेकर बनी है।
फिल्म एक साफ सुथरी कॉमेडी है। बस कमी एक रह है कि काम लागत पर बनाने के चक्कर में इसकी प्रोडक्शन क्वालिटी कमजोर रह गई है। अतिया शेट्टी फिल्म अभिनेता सुनील शेट्टी की बेटी है। समझ लीजिए कि ये फिल्म उनके हादसाग्रस्त फिल्मी करियर को बचाने के लिए बनाई गई है। अतिया में थोड़ा बिंदासपन है। हालाकि उसे अभिनय क्षमता कहना कठिन है। इसीलिए जज्बाती सीन में वे असर नहीं पैदा कर पाती और ऐसे में वे ज्यादातर दृश्यों में बनी ठनी गुड़िया बन के रह जाती हैं।
नवाज का काम ठीकठाक है। फिल्म के संवाद पर बुन्देली और ब्रज भाषा का असर है। पर बहुत कम। ‘मोतीचूर चकनाचूर ‘ की शैली कुछ कुछ हास्य नाटकों की शैली से मिलती जुलती है। जैसे कुछ हास्य नाटकों में ऐसे सीन होते है जिनमें आगे से आने और पीछे से जाने का कंफ्यूजन होता है और जिससे हंसी छूटती है वैसा ही इस फिल्म में भी होता है। आखिरी दृश्य जमकर हंसाने वाला है।