फिल्म का नाम भले `दिलवाले’ हो और भले इसमें शाहरुख खान और काजोल मुख्य किरदार हों- लेकिन इतना तय मानिए कि इसमें दुल्हनिया ले जाएंगे जैसा कोई मामला नहीं है। वैसे इस फिल्म में बहुत कुछ है- रोमांस हैं, और एक नहीं दो दो रोमांटिक जोड़ियां हैं, दादागिरी है, अपराध की दुनिया है, मारपीट है, कारचोरी है और बुल्गारियां नाम का देश भी है- पर मूल बात क्या है ये आखिर तक पता नहीं चलता। कुछ कुछ रोहित शेट्टी की पुरानी –गोलमाल सीरिज की फिल्मों जैसा मामला है। यानी निर्देशक ने बहुत से व्यंजन सामने लाकर रख दिए हैं -दाल भात भी, रोटी भी, पिज्जा भी, लिट्टी चोखा भी। जिसको जो मन आए उसका स्वाद ले।

वैसे कहानी नाम का लबादा भी है। राज (शाहरुख खान) गोवा में कार मोडिफायर का काम करता है। उसका भाई वीर (वरुण धवन) भी उसके साथ ही है। राज थोड़ा अनमना सा और ढीला ढाला दिखता है। वीर स्मार्ट है। उसे इशिता (कृति सैनन) नाम की लड़की से इश्क हो जाता है। और जब बात आगे बढ़ती है तो मालूम होता है राज भी कम नहीं था। कभी वो बुल्गारिया में रहता था और वहां मीरा नाम की एक लड़की के साथ उसका इश्क हुआ था पर वो जल्द ही खत्म हो गया था। अब आप पूछेंगे कि राज बल्गारियां में क्या करता था तो इसका जवाब है वो वहां वही काम करता था जिसे भाई नाम के लोग करते हैं। यानी वो जुर्म की दुनिया का खलीफा था और उस समय उसका नाम काली था।

पर कुछ वजहों से राज यानी काली को गोवा आना पड़ता है और उसका स्वभाव बदलता है। लेकिन जब वीर की जिंदगी में इशिता आती है तो पता चलता है कि वो यानी इशिता तो मीरा की छोटी बहन है। पर जैसा कि पहले कहा जा चुका – इस लबादा नुमा कहनी में कार चोरी और कई धंधों के दास्तान हैं। पर चोर भी चोर नहीं लगते वे जोकर लगते हैं। बोमन ईरानी माफिया सरदार बने हैं और संजय मिश्रा कार चोऱ। शाहरुख- काजोल की और वरुण- इशिता की दो दो प्रेम कहानियों के बीच रोहित शेट्टी ने हंसी का तड़का लगाने की कोशिश की है लेकिन छोट छोटे टुकड़ों को छोड़ दें- तो फिल्म का समग्र प्रभाव नहीं पड़ता है।

हां जब शाहरूख और काजोल वाले दृश्य होते हैं तो वहां जरूर मन अटकता है। पर जहां जहां रोहित शेट्टी मार्का हंसी के पटाखे छूटते हैं वहां वहां लगता है कि शाहरूख-काजोल तो बहाना हैं, निर्देशक की ज्यादा दिलचस्पी हंसी मजाक वाले संवादों में है न कि रोमांटिक फिल्म बनाने में। ये शाहरूख खान मार्का नहीं बल्कि रोहित शेट्टी मार्का फिल्म है। शाहरूख और काजोल पर फिल्माया गया गाना रंग दे तु मोहे गेरुआ’ मधुर है और लबों पर टिकनेवाला भी।

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