वैदिक ज्योतिष के अनुसार हमारी जन्म कुंडली में स्थित ग्रहों की स्थिति का हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। साथ ही व्यक्ति की कुंडली में कुछ ग्रह सकारात्मक तो कुछ ग्रह नकारात्मक स्थित होते हैं। वहीं कुछ ग्रह मिलकर बेहद ही शुभ योग का भी निर्माण करते हैं। जिसमें से एक बेहद शुभ योग है मालव्य। यह योग मुख्यत: कुंडली में शुक्र ग्रह की विशेष स्थिति के कारण बनता है। आइए जानते हैं कैसे निर्माण होता है मालव्य योग का और कुंडली में इसका क्या फल प्राप्त होता है।
ऐसे निर्माण होता है मालव्य योग का:
कुंडली के पहले, चौथे, सातवें और दशवें भाव में शुक्र का अपनी स्वराशि वृषभ और तुला में या अपनी उच्च राशि मीन में स्थित होने पर मालव्य योग बनाता है। मालव्य योग उन महत्वपूर्ण राजयोगों में शुमार है जिसका किसी भी जन्म लग्न कुंडली में होना अपने आप में बहुत बड़ी बात है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार पंच महापुरुष राजयोग होते हैं जिन के नाम हैं रूचक योग, भद्र योग, हंस योग, मालव्य योग एवं शश योग।
शुक्र के प्रभाव से इन क्षेत्रों में बनता है करियर:
इस योग के शुभ प्रभाव से जातक साहसी, पराक्रमी, तर्कसंगत और एक अच्छा निर्णायक बन जाता है। वहीं करियर के क्षेत्र में यह योग मीडिया प्लानर, कॉस्मेटिक और प्लास्टिक सर्जन, इंटीरियर डेकोरेटर, फोटोग्राफर, ज्योतिषी, मैरिज ब्यूरो निदेशक, टीवी होस्ट, ब्यूटीशियन, टीवी एक्टर, फैशन डिजाइनर, संगीतकार, मॉडल, गायक, आयुर्वेदिक डॉक्टर आदि को अनुकूल परिणाम प्रदान करता है।
आकर्षक व्यक्तित्व होता है:
कुंडली में मालव्य योग वाले जातकों के पास एक आकर्षक और चुंबकीय व्यक्तित्व होता है जो अन्य लोगों को बहुत आसानी से और विशेष रूप से विपरीत लिंग के लोगों को आकर्षित करता है। उनके पास बड़ी आंखें, ऊंची नाक, पतली कमर और शाही आवाज के साथ सुंदर रूप होता है। कुंडली में मालव्य योग बनने से जातक, महंगे वाहनों के शौकीन, उच्च शिक्षित, और लग्जीरियस लाइफ जीते हैं।
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