यदि आप धर्म में रुचि रखते हों तो आपने बीज मंत्रों के बारे में सुना होगा। कई सारे पूजा-पाठ में इनका खूब इस्तेमाल होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बीज मंत्र क्या होते हैं और इनका क्या महत्व है? यदि नहीं तो हम आपको इस बारे में विस्तार से बताने वाले हैं। बीज मंत्रों का तात्पर्य छोटे मंत्रों है। ये महज एक शब्द के होते हैं। इसके अलावा वृहद मंत्र भी होते हैं। वृहद मंत्र 60 शब्दों तक के होते हैं। बीज मंत्रों के बारे में कहा जाता है कि ये अत्यन्त छोटे लेकिन बड़े प्रभावशाली होते हैं। इसके अलावा अलग-अलग समस्यों के समाधान के लिए अलग-अलग बीज मंत्रों का इस्तेमाल किया जाता है।
‘ऐं’ बीज मंत्र को गुरु बीज मंत्र कहा जाता है। इसे देवी सरस्वती का बीज मंत्र माना गया है। कहते हैं कि इस बीज मंत्र के जाप से विद्या, बुद्धि और परीक्षा के क्षेत्र में सफलता मिलती है। इसके साथ ही इस गुरु बीज मंत्र को धारण करने से परिवार में खुशियां आने की भी मान्यता है। ‘क्लीं’ को काली बीज मंत्र कहा जाता है। काली बीज मंत्र के जाप से शक्ति, यश, रोजगार और बिजनेस के क्षेत्र में तरक्की होने की मान्यता है। काली बीज मंत्र को शनिवार के दिन धारण करना शुभ माना गया है।
‘भं’ को अभय बीज मंत्र के नाम से जाना जाता है। इसे भैरव देव का बीज मंत्र बताया गया है। कहा जाता है कि भैरव बीज मंत्र के जाप से ग्रह बाधा, भूत बाधा और तंत्र बाधा से मुक्ति मिलती है। इस मंत्र को शुक्रवार या शनिवार के दिन धारण किया जा सकता है। ‘स्त्रीं’ को शांति बीज मंत्र कहा जाता है। इसे देवी तारा का बीज मंत्र बताया गया है। कहा जाता है कि शांति बीज मंत्र के जाप से दांपत्य सुख की प्राप्ति होती है। इसे बुधवार या रविवार को धारण करना शुभ माना जाता है।