Gauri Shankar Rudraksha Benefits: सावन का महीना भगवान शिव के लिए समर्पित माना जाता है। इसलिए शिव पूजन के लिए यह महीना बहुत विशेष माना जाता है। मान्यता है कि जो भक्त इस महीने भगवान शिव और मां पार्वती की सच्चे मन से पूजा- अर्चना करता है। उनकी सभी मनोकामना पूर्ण होती है। वहीं सावन का महीना इस साल 4 जुलाई को शुरुआत हो रहा है।
वहीं सावन का महीना वैवाहिक जीवन की समस्याओं को दूर करने के लिए भी बहुत अच्छा समय माना जाता है। इसलिए इस महीने जो व्याक्ति विधि- विधान से गौरी शंकर रुद्राक्ष धारण करता है। उसको वैवाहिक जीवन में आ रही परेशानियों से मुक्ति मिलती है। आपको बता दें कि प्राकृतिक रूप से जुड़े दो रुद्राक्षों को गौरी शंकर रुद्राक्ष कहा जाता है। यह रूद्राक्ष भगवान शिव एवं माता पार्वती का प्रत्यक्ष स्वरूप है। इसे धारण करने वाले को शिव और शक्ति दोनों की कृपा प्राप्त होती है।
गौरी- शंकर रुद्राक्ष के लाभ
-गौरी-शंकर रुद्राक्ष धारण करने से पति-पत्नी के रिश्तों में मिठास बनी रहती है और प्रेम भी बढ़ता है। यह रुद्राक्ष प्रेम, सद्भाव और सुरक्षा का शक्तिशाली प्रतीक माना जाता है।
– वहीं जिन लोगों को काफी प्रयास करने के बाद भी संतान सुख नहीं मिल पा रहा है, वे गौरी-शंकर रुद्राक्ष पहनें तो संंतान सुख के योग जल्दी बनते हैं।
– यह रुद्राक्ष नेगेटिविटी को दूर करके सकारात्मक ऊर्जा देता है। इससे घर-परिवार में सुख-समृद्धि का वास रहता है।
– अभिमंत्रित किया हुआ गौरी-शंकर रुद्राक्ष तिजोरी या पैसे रखने की जगह पर रखा जाए तो कभी आर्थिक तंगी नहीं आती है। साथ ही मां पार्वती और भोलेनाथ की कृपा सदा बनी रहती है।
इस विधि से करें धारण
रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से मानी जाती है। साथ ही गौरी शंकर रुद्राक्ष भगवान शिव और माता पार्वती का प्रतीक माना जाता है। इसलिए इस रुद्राक्ष को शुक्ल पक्ष में सोमवार, मास शिवरात्रि, रवि पुष्य संयोग और सवार्थ सिद्धि योग में धारण करना सबसे शुभ माना जाता है। वहीं इसको धारण करने से पहले इसे गंगाजल और कच्चे दूध के मिश्रण से अच्छे से शुद्ध कर लें और साफ कपड़े से पोछ लें। इसके बाद एक-एक माला ऊं नम: शिवाय, ऊं नम: दुर्गाए और ऊं अर्धनारीश्वराय नम: मंत्र की जपें और फिर चंदन लगाएंं। साथ ही अंत में शिवलिंग से स्पर्श कराकर धारण कर लें।