Garud Puran: हिंदू धर्म में गरुड़ पुराण का विशेष महत्व है। वहीं गुरुड़ पुराण का वाचन तब किया जाता है। जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। वहीं गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु ने पक्षीराज गरुड़ को जन्म, मृत्यु, स्वर्ग, नरक, कर्म और अगले जन्म में मिलने वाली योनियों के संबंध में उपदेश दिए हैं। शास्त्रों में कुल 18 पुराणों का वर्णन मिलता है। इनमें गरुड़ पुराण भी शामिल है। वहीं गरुड़ पुराण के कुल 271 अध्याय में 35 ऐसे अध्याय हैं, जिसमें मृत्यु के बाद व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार सजा का प्रावधान मिलता है। ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं नरक यात्रा क्या है और गरुड़ पुराण अनुसार व्यक्ति को प्रेत योनि से बचने के कौन से उपाय करने चाहिए,आइए जानते हैं…
क्या है नरक यात्रा
शास्त्रों में 84 लाख योनियों का वर्णन मिलता है। जिसमें मनुष्य योनि को सर्वश्रेष्ठ बताया गया है। इसकी प्रकार गरुड़ पुराण में 84 लाख नरकों का जिक्र मिलता है। जो व्यक्ति को कर्मों के अनुसार भोगने पड़ते हैं। गरुण पुराण में स्वर्ग और नरक के संबंध में विस्तारपूर्वक से एक-एक करके के कर्मो के आधार पर उसका वर्णन किया गया है। प्रेतकल्प या उत्तरखंड के मुताबिक कोई व्यक्ति अपने कर्मो के आधार पर प्रेत योनि को प्राप्त होता है। साथ ही व्यक्ति को कर्मों के अनुसार ही सजा का प्रावधान है।
प्रेत योनि से बचने के उपाय
गरुड़ पुराण में यह वर्णन मिलता है कि व्यक्ति को मरने के बाद कौन से कष्ट झेलने पड़ते हैं। साथ ही गरुड़ पुराण में ऐसे सभी कामों को पाप माना गया जोकि धर्म के विरुद्ध किए गए हों। वहीं व्यक्ति को अपने गलत आचरण और बुरे कर्मों के कारण प्रेत योनि को में जाना पड़ता है। साथ ही उसे नरक में सजा भोगनी पड़ती है।
लेकिन गरुड़ पुराण में प्रेत योनि से बचने के लिए कई उपायों का वर्णन मिलता है। जिससे व्यक्ति को प्रेत योनि से मुक्ति मिल सकती है। जैसे गरुड़ पुराण में लिखा है कि अगर व्यक्ति को प्रेत योनि से बचना है तो उसे सत्कर्म करने चाहिए। साथ ही समय- समय पर दान करना चाहिए। धार्मिक कार्य कराते रहने चाहिए। वहीं पिंडदान और श्राद्ध कर्म करते रहना चाहिए।