Vishwakarma Puja 2020 : दृग पंचांग के अनुसार इस साल विश्वकर्मा पूजा आज यानी 16 सितंबर को मनाया जा रहा है। कुछ मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान विश्वकर्मा (Bhagwan Vishwakarma) का जन्म हुआ था। जबकि कुछ लोगों का मानना है कि यह दिन भगवान विश्वकर्मा के धरती को दिए अनमोल उपहार के लिए आभार प्रकट करने के लिए मनाया जाता है। हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को विश्वकर्मा पूजा मनाई जाती है। कहते हैं कि जब सूर्य कन्या राशि में गोचर करते हैं तब कन्या संक्राति (Kanya Sankranti) मनाई जाती है और इसी दिन ही भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ था।

विश्वकर्मा पूजा शुभ मुहूर्त 2020 (Vishwakarma Puja Shubh Muhurat 2020/ Vishwakarma Puja Ka Shubh Muhurat)
चतुर्दशी तिथि आरंभ – 15 सितंबर, मंगलवार – रात – 11:01 से
चतुर्दशी तिथि समाप्त – 16 सितंबर, बुधवार – शाम – 07:56 तक
चतुर्दशी पूजा का शुभ मुहूर्त – 16 सितंबर, बुधवार – सुबह 10 बजकर 09 मिनट से 11 बजकर 37 मिनट तक

विश्वकर्मा पूजा के खास संयोग (Vishwakarma Puja Sanyog/ Vishwakarma Puja Shubh Sanyog)
आज के दिन कोई अभिजीत मुहूर्त नहीं है। लेकिन अमृत काल के मुहूर्त में पूजा करना शुभ माना जाता है। यह मुहूर्त सुबह 10 बजकर 9 मिनट से सुबह 11 बजकर 37 मिनट तक रहेगा। जबकि दोपहर 02 बजकर 19 मिनट से दोपहर 3 बजकर 08 मिनट तक विजय योग बना रहेगा।
शाम 06 बजकर 12 मिनट से शाम 6 बजकर 36 मिनट तक गोधूलि मुहूर्त रहेगा।

इसके अलावा पूजा का निशिता मुहूर्त रात 11 बजकर 52 मिनट से अर्धरात्रि 12 बजकर 39 मिनट तक रहेगा। माना जा रहा है कि इन सब योगों के एक दिन पड़ने से विश्वकर्मा पूजा का दिन और खास बन गया है। ज्योतिषों की मानें तो इस साल भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने का कई गुण अधिक फल मिलेगा। इसलिए इस साल भगवान विश्वकर्मा की पूजा जरूर की जानी चाहिए।

विश्वकर्मा पूजा राहु काल (Vishwakarma Puja Rahu Kaal/ Rahu Kaal Ka Samay)
दोपहर 12 बजकर 16 मिनट से लेकर 01 बजकर 48 मिनट तक राहु काल रहेगा। माना जाता है कि राहु काल में पूजा का फल नहीं मिलता है। इसलिए भूलकर भी इस समयावधि भगवान विश्वकर्मा की पूजा न करें। कहते हैं कि राहु काल में पूजा करने से नकारात्मक फलों की प्राप्ति होती है जिससे कारोबार में असफल होने के योग बनने लगते हैं। भगवान विश्वकर्मा की पूजा शुभ मुहूर्त में ही करें।