महाभारत काल के सबसे बड़े बुद्धिजीवियों में से एक महात्मा विदुर एक महान विचारक थे। विदुर विद्वान होने के साथ-साथ दूरदर्शी भी थे। वह समय से पहले ही चीजों को भाप लिया करते थे। महाभारत के युद्ध से पहले भी विदुर जी ने युद्ध के परिणामों को लेकर महाराज धृतराष्ट्र से बातचीत की थी। महात्मा विदुर समाज की भी गहराई से समझ रखते थे।
विदुर जी ने अपने नीति शास्त्र में समाज कल्याण और लोगों को सही जीवन जीने के सुझाव दिए हैं। उनकी नीतियों का अनुसरण करने वाला व्यक्ति हमेशा जीवन में सुखी रहता है। महात्मा विदुर की नीतियां आज के समय में भी प्रासंगिक हैं। उन्होंने अपने नीति शास्त्र में श्लोकों के माध्यम से बताया कि आखिर किन कामों को करने वाले लोग मूर्ख कहलाते हैं। महात्मा विदुर के अनुसार बहुत ही किस्मत वाले होते हैं ऐसे लोग, जिनके पास होती हैं ये 6 चीजें
इन कामों को करने वाले लोग कहलाते हैं मूर्ख-
-अमित्रं कुरुते मित्रं मित्रं द्वेष्टि हिनस्ति च।
कर्म चारभते दुष्टं तमाहुर्मूढचेतसम् ॥
इस श्लोक के माध्यम से महात्मा विदुर बता रहे हैं, जो व्यक्ति शत्रु से दोस्ती कर अपने मित्रों और शुभचिंतकों को दुख देता है, उनसे द्वेष रखता है। जो हमेशा बुरे कार्यों में लिप्त रहता है। वह हमेशा मूर्ख कहलाता है।
-संसारयति कृत्यानि सर्वत्र विचिकित्सते।
चिरं करोति क्षिप्रार्थे स मूढो भरतर्षभ॥
इस श्लोक के माध्यम से विदुर जी ने बताया है कि जो व्यक्ति हमेशा दूसरों को संदेह की दृष्टि से देखता है, अनावश्यक कर्म करता है। जल्दी से करने वाले कार्यों में विलंब करता है। वह सदा ही मूर्ख कहलाता है।
-अनाहूत: प्रविशति अपृष्टो बहु भाषेते।
अविश्चस्ते विश्चसिति मूढचेता नराधम:॥
इस श्लोक के माध्यम से महात्मा विदुर बता रहे है, जो लोग बिना आज्ञा लिए किसी के भी कमरे में प्रवेश कर लेते हैं। बिना सलाह लिए ही दूसरों पर अपनी बातों को थोपते हैं और जो अजनबियों पर भी विश्वास कर लेते हैं। ऐसे लोग मूर्ख कहलाते हैं।
-परं क्षिपति दोषेण वर्त्तमानः स्वयं तथा।
यश्च क्रुध्यत्यनीशानः स च मूढतमो नरः॥
महात्मा विदुर जी इस श्लोक के माध्यम से बता रहे हैं कि जो लोग अपनी गलतियों को दूसरे की गलती बताते हैं और खुद को बुद्धिमान बताते हैं। हर चीज में अक्षम होते हुए भी जल्दी गुस्सा करते हैं। ऐसे लोग महामूर्ख कहलाते हैं।