रामायण काल में रावण का नेगेटिव चरित्र होते हुए भी उसे पराक्रमी योद्धा माना जाता है। रावण ने अपने पराक्रम से कई देवी-देवताओं को अपने काबू में कर रखा था। रावण इतना पराक्रमी था कि उसने अपने जीवन में अनेकों युद्ध अकेले ही जीते लिए थे। इतना बलशाली और पराक्रमी होने के बाद रावण का नाश हुआ। माना जाता है इसके पीछे की वजह शूर्पणखा का रावण को दिया हुआ श्राप था। रावण का नाश करने में भगवान राम की अहम भूमिका मानी जाती है। लेकिन इसके साथ ही शूर्पणखा का श्राप भी रावण के विनाश का कारण बना। जिसके श्राप के कारण रावण के पूरे कुल का विनाश हो गया। आइए आज जानते हैं शूर्पणखा ने अपने भाई रावण को श्राप क्यों दिया –
पौराणिक कथा के अनुसार शूर्पणखा राजा कालकेय के सेनापति विद्युतजिव्ह से प्रेम करती थी। रावण हर राज्य को जीतकर अपना अधिपत्य करना चाहता था। इस कारण से रावण ने कालकेय के राज्य पर हमला कर दिया। रावण ने कालकेय और उसके सेनापति विद्युतजिव्ह का भी वध कर दिया था। माना जाता है रावण को इस बात का नहीं पता कि उनकी बहन शूर्पणखा विद्युतजिव्ह से प्रेम करती है। जिसके कारण रावण ने उसका भी वध कर दिया। लेकिन कई पौराणिक कहानियों के अनुसार रावण जानता था कि उसकी बहन को विद्युतजिव्ह से प्रेम है, जिसके कारण उसने जानबूझकर विद्युतजिव्ह की हत्या कर दी।
जब शूर्पणखा को इस बात का पता चला कि उसके प्रेमी विद्युतजिव्ह का वध रावण ने कर दिया तो वह विलाप करने लगी और दुखी मन से उसने रावण को श्राप दिया कि मेरे कारण ही तुम्हारा सर्वनाश होगा। सभी जानते हैं कि सीता हरण में शूर्पणखा ने सबसे अहम भूमिका निभाई थी। जिसके बाद से ही रावण का सर्वनाश होना तय हो गया था।