साल का आखिरी सूर्य ग्रहण 26 दिसंबर दिन गुरुवार को लगने जा रहा है। ये वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा। जिसमें सूर्य एक आग की अंगूठी की तरह नजर आयेगा। भारतीय समयानुसार यह ग्रहण सुबह 8 बजकर 17 मिनट से शुरू होकर 10 बजकर 57 मिनट तक रहेगा। इस ग्रहण को भारत समेत श्रीलंका, सऊदी अरब, सुमात्रा तथा बोर्नियो में देखा जा सकेगा। वलयाकार सूर्य ग्रहण तब लगता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच में आने के बावजूद भी पृथ्वी को पूरी तरह से अपनी छाया में नहीं ले पाता जिस कारण सूर्य का बाहरी हिस्सा प्रकाशित रह जाता है।
ऊटी, मंगलुरु, कासरगोड, करूर, कोझिकोड, कोयम्बटूर, शिवगंगा, तिरुचिरापल्ली, अल होफुफ तथा सिंगापुर में वलयाकार सूर्यग्रहण दिखाई देगा। तो वहीं आंशिक सूर्य ग्रहण नई दिल्ली, पुणे, जयपुर, लखनऊ, कानपुर, नागपुर, इन्दौर, ठाणे, कोलकाता, चेन्नई, अहमदाबाद, सूरत, भोपाल, विशाखापट्टनम, पुणे, जयपुर, पुणे, जयपुर, लखनऊ, कानपुर, नागपुर, इन्दौर, ठाणे, लखनऊ, कानपुर, नागपुर, इन्दौर, ठाणे, पटना, लुधियाना, आगरा, रियाद, कराची, कुआलालम्पुर में दिखाई देगा।
सूर्य ग्रहण और सूतक काल का समय (Surya Grahan Date, Time, Sutak):
ग्रहण प्रारम्भ काल – 08:17 ए एम
परमग्रास – 09:31 ए एम
ग्रहण समाप्ति काल – 10:57 ए एम
खण्डग्रास की अवधि – 02 घण्टे 40 मिनट्स 06 सेकण्ड्स
सूतक प्रारम्भ – 08:15 पी एम, दिसम्बर 25
सूतक समाप्त – 10:57 ए एम
सूर्य ग्रहण से संबंधित सभी जानकारी जानने के लिए बने रहिए हमारे इस लाइव ब्लॉग पर…
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दो अशुभ ग्रहों राहु और केतु के कारण ग्रहण लगता है। सूर्य ग्रहण के दौराण केतु सूर्य को ग्रसित करता है। इससे नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है। ग्रहों के राजा के ग्रसित हो जाने से आसुरी शक्तियां जागृत हो जाती हैं। वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो रोगाणुओं का प्रभाव बढ़ जाता है। सूर्य से निकलने वाले अल्ट्रावॉयलेट किरणों से स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इसलिए भी सूर्य ग्रहण के बाद स्वास्थ्य लाभ के लिए स्नान करना चाहिए।
- घर पर करें गंगाजल का छिड़काव
- घर के मंदिर में रखी मूर्तियों को कराएं शुद्ध जल से स्नान
- ग्रहण समाप्ति के बाद करें शुद्ध भोजन
- ग्रहण समाप्ति के बाद करें दान धर्म का कार्य
जब पृथ्वी पर चंद्र की छाया पड़ती है, तब सूर्य ग्रहण होता है। इस दौरान सूर्य, चंद्र और पृथ्वी एक लाइन में आ जाते हैं। पृथ्वी के जिन क्षेत्रों में चंद्र की छाया पड़ती है, वहां सूर्य दिखाई नहीं देता है, इसे ही सूर्य ग्रहण कहा जाता है। सूर्य ग्रहण को नग्न आंखों से देखने से बचना चाहिए, क्योंकि इस समय में सूर्य से जो किरणे निकलती हैं, वे हमारी आंखों के लिए हानिकारक होती हैं।
साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लग चुका है। ज्योतिषियों के अनुसार इस ग्रहण का प्रभाव लंबे समय तक रहेगा। ऐसा कहा जा रहा है कि करीब 57 साल बाद ऐसा बड़ा और विशेष सूर्यग्रहण एक बार फिर से लगा है। इससे पहले वर्ष 1962 में सूर्य को ऐसा ग्रहण लगा था। उस दौरान 7 ग्रह एक साथ थे। तो वहीं 26 दिसंबर के सूर्य ग्रहण में 6 ग्रह (सूर्य, चन्द्रमा, शनि, बुध, बृहस्पति, केतु) एक साथ हैं। इस ग्रहण का प्रभाव क्या पड़ेगा जानिए यहां
दक्षिण भारत के श्री कालाष्ठीं में स्थित कालहटेश्वदर मंदिर देश का इकलौता ऐसा मंदिर है जो सूर्य ग्रहण के दौरान बंद नहीं किया जाता है। कालहटेश्वदर मंदिर इसलिए बंद नहीं किया जाता क्योंकि यहां राहू और केतू की पूजा होती है। ग्रहण के दौरान इस मंदिर के कपाट बंद न करके यहां पूजा अर्चना की जाती है।
कोयम्बटूर में सूर्य ग्रहण को देखने के लिए भारी संख्या में लोग जुटे लेकिन बादलों की वजह से सूर्य की लुका छिपी होती रही। इस बीच अचानक जब सूर्य ग्रहण का अद्भुत नजारा जब आसमान में नजर आया तो लोगों ने कुछ इस तरह इन्जॉय किया...
कन्नूर, कोची, त्रिवनंतपुरम, कोयम्बटूर, मदुरै, ऊटी, चेन्नई, मंगलुरु, कासरगोड, करूर, कोझिकोड, टेलिचेरी में वलयाकार सूर्यग्रहण दिखाई देगा।
देखिए केरल में सूर्य ग्रहण की तस्वीर
सूर्य ग्रहण और चंद्रग्रहण एक प्रकार का खगोलीय घटनाक्रम है। जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आती है और इसकी छाया से जब चंद्रमा पूरी तरह ढक जाता है तो ऐसे में इसे चन्द्र ग्रहण कहा जाता है। वहीं जब सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा आता है तो उसे सूर्य ग्रहण कहा जाता है। सूर्यग्रहण आमतौर पर अमावस्या को और चंद्र ग्रहण पूर्णिमा को लगता है। साल 2020 में कुल मिलाकर छह ग्रहण लगेंगे। जिसमें से चार चंद्रग्रहण और दो सूर्यग्रहण हैं। जानिए इसकी पूरी डिटेल
इस ग्रहण में सूर्य चंद्रमा की छाया से पूरी तरह से नहीं ढक पाता है। जिस कारण सूरज का बाहर का हिस्सा प्रकाशित रह जाता है और सूर्य एक आग की अंगूठी की तरह दिखाई देता है। यह ग्रहण भारत समेत ऑस्ट्रेलिया, फिलिपिंस, साउदी अरब और सिंगापुर जैसी जगहों पर देखा जा सकेगा। इससे पहले इस साल 6 जनवरी और 2 जुलाई को आंशिक सूर्यग्रहण लगा था। भारत में सूर्योदय के बाद इस वलयाकार सूर्य ग्रहण को देश के दक्षिणी भाग में कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के हिस्सों देखा जा सकेगा जबकि देश के अन्य हिस्सों में यह आंशिक सूर्य ग्रहण के रूप में दिखाई देगा।
यह सूर्य ग्रहण भारत समेत श्रीलंका, सऊदी अरब, सुमात्रा तथा बोर्नियो में देखा जा सकेगा। जबकि ऊटी, मंगलुरु, कासरगोड, करूर, कोझिकोड, टेलिचेरी, कोयम्बटूर, शिवगंगा, तिरुचिरापल्ली, जाफना, अल होफुफ तथा सिंगापुर में वलयाकार सूर्यग्रहण तो मुम्बई, बेंगलुरु, नई दिल्ली, चेन्नई, मैसूर, कन्याकूमारी, रियाद, दोहा, अबू धाबी, मस्कट, कुवैत सिटी, कराची, कुआलालम्पुर, जकार्ता आदि कुछ प्रसिद्ध शहर में आंशिक सूर्य ग्रहण दिखाई देगा।
कर्क राशि के छठे भाव में लगने जा रहा ग्रहण आपके शत्रुओं को कमजोर कर सकता है। कानूनी विवादों का निपटारा होने की उम्मीद है। आर्थिक स्थिति सामान्य रहेगी। सेहत का खास ध्यान रखें।
सूर्य ग्रहण तब होता है जब सूर्य और पृथ्वी के बीच चन्द्रमा आ जाता है तथा सूर्य पूरी तरह से या आंशिक रूप से ढक जाता है। सूर्य की अवरक्त और पराबैंगनी किरणें आंखों को गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त कर सकती हैं।
सूर्य ग्रहण मिथुन राशि के जातकों की राशि से सातवें भाव में लगने जा रहा है। जो आपकी लव लाइफ के कष्ट बढ़ा सकता है। आपके करीबी रिश्तों को लेकर गलतफहमी पैदा हो सकती है। सेहत पर इस ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
सूर्य ग्रहण आपकी राशि से आठवें भाव में लगने जा रहा है जो आपके लिए शुभ संकेत नहीं है। अचानक से आपकी मुसीबतें बढ़ सकती हैं। खासकर वाहन चलाते समय सावधानी बरतनी होगी। नहीं तो गंभीर चोट लग सकती है।
मेष राशि के जातकों पर सूर्य ग्रहण का नेगेटिव असर पड़ता दिख रहा है। सूर्य ग्रहण आपकी राशि से नवम भाव में पड़ेगा। जो आपकी मानसिक और आर्थिक दोनों ही स्थिति के लिए कष्टकारी साबित हो सकता है। इस दौरान आपको अपने परिजनों का साथ मिलेगा। जिससे आप अच्छा महसूस करेंगे।
सूर्य ग्रहण के दौरान कई राशियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। खासकर मेष, वृष, सिंह और कन्या राशि के जातकों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। दुश्मनों से सतर्क रहने की जरूरत पड़ेगी।
गर्भवती महिलाएं ग्रहण और सूतक काल के प्रारंभ होते ही कुछ भी चाकू एवं छुरी का इस्तेमाल न करें। साथ ही सलाई कढ़ाई का काम भी नहीं करना चाहिए।
धार्मिक मान्यताओं अनुसार, ग्रहण राहू या केतु के कारण लगता है। माना जाता है कि ग्रहण के समय हमारे देवता परेशानी में होते हैं और राहू इस दौरान ब्रह्मांड पर अपना पूरा जोर लगा रहा होता है। इसलिए ग्रहण को देखना अच्छा नहीं माना गया है।
वर्ष 2020 में दो बार सूर्य ग्रहण का मौका देखने को मिलेगा। इसमें से पहला सूर्य ग्रहण 21 जून को होगा जो भारत समेत दक्षिण पूर्व यूरोप और एशिया में दिखाई देगा। वहीं दूसरा सूर्य ग्रहण 14 दिसंबर को लगेगा जो प्रशांत महासागर में देखा जा सकेगा।
सूर्य ग्रह के बीज मंत्र का जाप करें। स्नान भी जरूर कर लें। खुद स्नान करने के बाद मंदिर में मौजूद भगवान की मूर्तियों को भी स्नान कराएं। ग्रहण की समाप्ति के बाद ताजा भोजन बनाकर ग्रहण करें। पुराना वही भोजन प्रयोग कर सकते हैं जिनमें आपने तुलसी के पत्ते डाले हों। हो सके तो ग्रहण के बाद कुछ न कुछ दान जरूर करें। जिससे कि उसका बुरा प्रभाव आप और आपके परिवार वालों पर न पड़े।
सूर्य ग्रहण का प्रारम्भ - 08:17 ए एम
परमग्रास - 09:31 ए एम
ग्रहण समाप्ति - 10:57 ए एम
खण्डग्रास की अवधि - 02 घण्टे 40 मिनट्स 06 सेकण्ड्स
सूतक प्रारम्भ समय - 08:10 पी एम, दिसम्बर 25 से
सूतक समाप्त - 10:57 ए एम
यह सूर्य ग्रहण भारत समेत श्रीलंका, सऊदी अरब, सुमात्रा तथा बोर्नियो में देखा जा सकेगा। जबकि ऊटी, मंगलुरु, कासरगोड, करूर, कोझिकोड, टेलिचेरी, कोयम्बटूर, शिवगंगा, तिरुचिरापल्ली, जाफना, अल होफुफ तथा सिंगापुर में वलयाकार सूर्यग्रहण तो मुम्बई, बेंगलुरु, नई दिल्ली, चेन्नई, मैसूर, कन्याकूमारी, रियाद, दोहा, अबू धाबी, मस्कट, कुवैत सिटी, कराची, कुआलालम्पुर, जकार्ता आदि कुछ प्रसिद्ध शहर में आंशिक सूर्य ग्रहण दिखाई देगा।
ग्रहणकाल में प्रकृति में कई तरह की अशुद्ध और हानिकारक किरणों का प्रभाव रहता है। इसलिए कई ऐसे कार्य हैं जिन्हें ग्रहण काल के दौरान नहीं किया जाता है। ग्रहणकाल में अन्न, जल ग्रहण नहीं करना चाहिए। ग्रहणकाल में स्नान न करें। लेकिन ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान जरूर करना चाहिए। ग्रहण को खुली आंखों से नहीं देखना चाहिए। ग्रहणकाल के दौरान गुरु प्रदत्त मंत्र का जाप करते रहना चाहिए
- सूर्य ग्रहण के दौरान नंगी आंखों से सूरज को न देखें। इससे आपकी आंखों को नुकसान पहुंच सकता है।- सूर्यग्रहण देखने के लिए सोलर फिल्टर चश्मे का इस्तेमाल करें।- सोलर फिल्टर चश्मे को सोलर-व्युइंग ग्लासेस, पर्सनल सोलर फिल्टर्स या आइक्लिप्स ग्लासेस भी कहा जाता है। सूर्यग्रहण के दौरान सूरज को पिनहोल, टेलेस्कोप या फिर दूरबीन से भी न देखें।
माना जाता है कि ग्रहण का असर सबसे ज्यादा गर्भवती महिलाओं पर होता है। क्योंकि ग्रहण के वक्त वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा काफी ज्यादा रहती है। ज्योतिषाचार्यों द्वारा ग्रहण काल के दौरान गर्भवती स्त्रियों को घर से बाहर नहीं निकलने की सलाह दी जाती है। अगर बाहर निकलना जरूरी हो तो गर्भ पर चंदन और तुलसी के पत्तों का लेप कर लें। इससे ग्रहण का प्रभाव गर्भ में पल रहे शिशु पर नहीं होगा। ग्रहण काल के दौरान यदि खाना जरूरी हो तो सिर्फ खानपान की उन्हीं वस्तुओं का उपयोग करें जिनमें सूतक लगने से पहले तुलसी पत्र या कुशा डला गया हो। गर्भवती महिलाएं ग्रहण के दौरान चाकू, छुरी, ब्लेड, कैंची जैसी काटने की किसी भी वस्तु का प्रयोग न करें। इससे गर्भ में पल रहे बच्चे के अंगों पर बुरा असर पड़ सकता है। इस दौरान सुई धागे का प्रयोग भी वर्जित है। ग्रहण काल के दौरान भगवान का नाम लेने के अलावा कोई दूसरा काम न करें।
माना जाता है कि ग्रहण के समय हमारे देवता परेशानी में होते हैं और राहू इस दौरान ब्रह्मांड पर अपना पूरा जोर लगा रहा होता है। इसलिए ग्रहण को देखना अच्छा नहीं माना गया है। राहू केतु छाया ग्रह हैं जिसके प्रभाव से चंद्रमा और सूर्य भी नहीं बच पाते। इसलिए अगर ये कुंडली में बुरे भाव में जाकर बैठ जाएं तो जातक को काफी कष्टों का सामना भी करना पड़ सकता है। सूर्य ग्रहण हमेशा अमावस्या के दिन ही लगता है। कहा जाता है कि राहू केतु पूर्णिमा के दिन चंद्रमा का और अमावस्या के दिन सूर्य का ग्रास कर लेते हैं। जिस कारण धरती पर ग्रहण दिखाई देता है लेकिन ऐसा क्यों है इसके पीछे एक कहानी है जिसके अनुसार स्वरभानु नाम का एक राक्षस था जो समुद्र मंथन से निकले अमृत को पीना चाहता था। पर भगवान विष्णु मोहिनी रूप में देवताओं को सारा अमृत पिलाना चाहते थे। लेकिन राक्षस को जैसे ही भगवान विष्णु की चाल की भनक हुई वह देवताओं की पंक्ति में जाकर बैठ गया। राक्षस की इस चाल को सूर्य और चंद्रमा समझ गए और उन्होंने प्रभु को इसकी जानकारी दी। श्री हरि ने तुरंत उस राक्षस की गर्दन काट दी। अमृत पीने के कारण राक्षस मर नहीं सका। जिस कारण उसका एक हिस्सा राहु दूसरा केतु कहलाया।
वर्ष का तीसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण 26 दिसंबर 2019 को लग रहा है। यह वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा, जो भारतीय समयानुसार सुबह 08:17 से लेकर 10: 57 बजे तक रहेगा। यह ग्रहण भारत के साथ पूर्वी यूरोप, एशिया, उत्तरी/पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया और पूर्वी अफ्रीका में दिखाई देगा। यह सूर्य ग्रहण धनु राशि और मूल नक्षत्र में लगेगा।
ज्योतिष गणना के अनुसार, ग्रहण से ठीक एक दिन पहले पौष माह में मंगल राशि परिवर्तन करके जल-तत्व की राशि वृश्चिक में प्रवेश करने वाला है। ऐसी स्थिति बड़े प्राकृतिक आपदा की ओर इशारा कर रही है। ग्रहण के 3 से 15 दिनों के भीतर भूकंप, सुनामी और अत्यधिक बर्फबारी का खतरा देश पर मंडरा रहा है।
भारत समेत दुनिया के पूर्वी यूरोप, उत्तरी-पश्चिम ऑस्ट्रेलिया और पूर्वी अफ्रीका में यह सूर्य ग्रहण देखा जा सकता है। बताया जा रहा है कि आंशिक सूर्य ग्रहण सुबह 8.04 मिनट से शुरू होगा। सूर्य ग्रहण सुबह 9.24 से चंद्रमा सूर्य के किनारे को ढकना शुरू कर देगा। इसके बाद सुबह 9.26 तक पूर्ण सूर्य ग्रहण दिखाई देगा। 11.05 तक यह सूर्य ग्रहण समाप्त हो जाएगा। कुल मिलाकर 3.12 मिनट का यह सूर्य ग्रहण होगा।
सूर्य ग्रहण विज्ञान की दृष्टि से एक खगोलीय घटना है। जो अमावस्या के दिन ही घटित होती है। धार्मिक दृष्टि से सूर्य ग्रहण को अशुभ माना गया है। इसी तरह ग्रहण से पहले लगने वाला सूतक काल भी सही नहीं माना जाता। जिस दौरान शुभ कार्यों को करने की मनाही हो जाती है। यहां तक की कई मंदिरों के कपाट भी सूतक के समय बंद कर दिये जाते हैं। सूर्य ग्रहण का सूतक काल ग्रहण लगने से 12 घंटे पहले शुरू हो जाता है। यहां जानिए सूतक काल में किन बातों का रखना चाहिए ध्यान...
साल के अंतिम सूर्य ग्रहण में सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति ग्रह एक ही रेखा में होंगे। इस ग्रहण की अवधि 5 घंटे 36 मिनट की होगी। कंकण की कुल अवधि 3 मिनट 34 सैकेंड रहेगी। ग्रहण का आरंभ सुबह 8 बजे से होगा और दोपहर 1 बजकर 36 मिनट पर समाप्त होगा। ग्रहण की कंकण आकृति केवल दक्षिण भारत में दिखेगी। शेष भारत में इस ग्रहण को खण्डग्रास के रूप में देखा जा सकेगा।
साल 2019 खत्म होने के है और इस साल के आखिरी महीने में सूर्य को ग्रहण लगने जा रहा है। विज्ञान अनुसार ये वलयकार सूर्य ग्रहण होगा जो 26 दिसंबर को लगने वाला है। ग्रहण से पहले सूतक काल प्रारंभ हो जाता है। जिस दौरान मंदिरों के कपाट बंद कर दिये जाते हैं और शुभ कार्यों को करने की मनाही हो जाती है। क्योंकि इस बार का सूर्य ग्रहण भारत में भी देखा जा सकेगा। इसलिए इसका असर सभी राशियों पर पड़ने वाला है। जानिए किन राशि वालों के लिए ये ग्रहण शुभ और किनके लिए अशुभ फल देने वाला है। Surya Grahan Effects On Rashi
सूर्य ग्रहण का सूतक ग्रहण से 12 घंटे पहले शुरू हो जाता है। इस ग्रहण का सूतक शाम 5 बजकर 31 मिनट से शुरू होगा। ये समय नई दिल्ली के अनुसार है। पूरे उत्तर भारत में सूतक का लगभग यही समय रहने वाला है। तो वहीं दक्षिण भारत में शाम 6 बजे के आस पास से सूर्य ग्रहण का सूतक लगेगा।
अगला सूर्य ग्रहण भारत में 21 जून, 2020 को दिखाई देगा। यह एक वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा। वलयाकार अवस्था का संकीर्ण पथ उत्तरी भारत से होकर गुजरेगा । देश के शेष भाग में यह आंशिक सूर्य ग्रहण के रूप में दिखाई पड़ेगा।
26 दिसंबर को सूर्य ग्रहण लग रहा है। 144 साल बाद ऐसा सूर्य ग्रहण है जिसका दुष्प्रभाव सभी राशियों पर पड़ेगा। इसके अलावा ग्रहण के 10 दिनों के अंदर भूकंप, सुनामी और बर्फबारी का भयानक खतरा आने वाला है।
इस साल का अंतिम सूर्य ग्रहण शुरू होने में बस 24 घंटे रह गए हैं। यह कल यानी 26 दिसंबर को भारतीय समयानुसार सुबह 8 बजे से शुरू होगा और 10.57 बजे तक रहेगा। इस बार का ग्रहण वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा यानी पूर्णग्रास नहीं बल्कि खंडग्रास सूर्य ग्रहण।
आज शाम से ही सूर्य ग्रहण के लिए सूतक काल रात 8 बजे से शुरू हो जाएगा। ऐसे देशभर के ज्यादातर मंदिर भी शाम को जल्दी बंद हो जाएंगे। इस बार का सूर्य ग्रहण वलयाकार होगा। ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार ऐसे ग्रहण से व्यापार, शिक्षा और धार्मिक उथल पुथल के साथ देश में क्राइम रेट बढ़ सकता है। इसके अलावा प्राकृतिक आपदा की भी संभावना रहती है।
आंशिक सूर्य ग्रहण भारत के भी कई शहरों में देखा जा सकेगा। यह नई दिल्ली, मुम्बई, हैदराबाद, बंगलौर, चेन्नई, कोलकाता, अहमदाबाद, पुणे, जयपुर, लखनऊ, कानपुर, नागपुर, इन्दौर, ठाणे, भोपाल, विशाखापट्टनम, पटना, लुधियाना, आगरा, रियाद, कराची और कुआलालम्पुर में देखा जा सकेगा।