Sunela Ratan: रत्न शास्त्र के अनुसार, कुंडली में मौजूद नव ग्रहों के अलग-अलग स्थितियां होती है, जो 12 राशियों के जीवन में किसी न किसी तरह का असर जरूर पड़ता है। ऐसे ही हर ग्रह के अलग-अलग रत्न और उपरत्न है। जिन्हें धारण करके व्यक्ति ग्रहों के दुष्प्रभावों को कम सकता है। इन्हीं रत्नों में से एक है सुनहला रत्न, जो पुखराज का उपरत्न माना जाता है। जानिए सुनहला रत्न धारण करने के लाभ और धारण करने की विधि।
सुनहला रत्न को स्वास्थ्य और धन के लिए सबसे बेहतरीन रत्नों में से एक माना जाता है। इस रत्न को धारण करने से जीवन में धन और भाग्य की कमी नहीं होती है। उसके साथ ही आत्म विश्वास की वृद्धि होती है।
किस चक्र से है सुनहला रत्न का संबंध
रत्न शास्त्र के अनुसार, इस पीले पत्थर का संबंध सौर जाल चक्र से है। यह वह चक्र है जो आत्म-छवि और आत्म-विश्वास को नियंत्रित करता है। इसके साथ ही इस रत्न को पुखराज का उपरत्न माना जाता है।
सुनहला रत्न धारण करने के लाभ
- रत्न शास्त्र के अनुसार, सुनहला रत्न धारण करने से आपके चक्र संतुलित रहेंगे। इसके साथ ही समग्र विकास में मदद करेंगे।
- सुनहला रत्न धारण करने से दिल संबंधी बीमारियों से बचाव होगा। इसके साथ ही इम्यूनिटी भी मजबूत होगी।
- सुनहला रत्न धारण करने से व्यक्ति के अंदर रचनात्मक कार्यों को करने की रुचि बढ़ती है। ऐसे में करियर वृद्धि होती है।
- यह रत्न व्यक्ति के चारों ओर सकारात्मक वातावरण बनाता है और नकारात्मकता को दूर करता है।
- सुनहला रत्न धारण करने से आर्थिक संकट से छुटकारा मिल जाता है।
किन राशियों के लिए लाभकारी है सुनहला रत्न
सुनहला रत्न धनु और मीन राशि जातकों के लिए काफी लाभकारी है, क्योंकि ये गुरु की राशियां है। रत्न शास्त्र के अनुसार, मेष, कर्क, वृश्चिक, धनु राशि के जातक भी सुनहला रत्न धारण कर सकते हैं।
सुनहला रत्न धारण करने की विधि
रत्न शास्त्र के अनुसार, सुनहला रत्न को गुरुवार के दिन धारण करना शुभ माना जाता है। इस रत्न को सोने या फिर अष्टधातु में बनवाना चाहिए। गुरुवार के दिन एक तांबे के पात्र में गाय का कच्चा दूध लें। इसके साथ ही इसमें गंगाजल, घी, शहद और तुलसी डाल दें। इसके बाद इसमें सुनहला रत्न डाल दें। फिर ऊँ ग्रां ग्रीं ग्रूं गुरुवे नमः मंत्र का 108 बार जाप कर लें। इसके बाद इससे रत्न को निकाल लें। फिर इसे दाएं हाथ की तर्जनी उंगली में पहन लें।
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