Surya Mahadasha:  ज्योतिष शास्त्र में सूर्य देव को पिता, मान- सम्मान, प्रतिष्ठा, आत्मविश्वास और सरकारी नौकरी, प्रशासन का कारक माना जाता है। वहीं सूर्य देव एक राशि से दूसरी राशि में करीब 30 दिन बाद गोचर करते हैं। साथ ही सिंह राशि पर सूर्य देव का आधिपत्य होता है। वहीं सूर्य देव मेष राशि में उच्च के होते हैं। साथ ही तुला इनकी नीच राशि होती है। वहीं सूर्य देव की महादशा का प्रभाव व्यक्ति के ऊपर 10 सालों तक रहता है। वहीं सूर्य देव की दशा का शुभ रहेगा या अशुभ प्रभाव रहेगा। ये कुंडली में सूर्य देव की पॉजिशन पर निर्भर करता हैं।मतलब अगर वह ग्रह शुभ मतलब उच्च का विराजमान हैं तो सूर्य की महादशा में व्यक्ति को मान- सम्मान, पद और प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है। साथ ही सरकारी नौकरी मिल सकती है।

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वहीं सूर्य देव अगर निगेटिव स्थित हैं तो सूर्य की महादशा में पिता के साथ संबंध खराब रहते हैं। साथ ही व्यक्ति का आत्मविश्वास कम रहता है। वहीं व्यक्ति को मान- सम्मान की प्राप्ति नहीं होती है। आइए जानते हैं सूर्य देव की महादशा में किन राशियों की चमकती है किस्मत…

कुंडली में सूर्य देव शुभ हों स्थित हो तब

वैदिक ज्योतिष में सूर्य देव अगर जन्मपक्षी में शुभ स्थित हों तो व्यक्ति को शुभ फल मिलते हैं। साथ ही व्यक्ति लोकप्रिय होता है। वहीं मान- सम्मान और प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है। वहीं समाज में व्यक्ति की अलग पहचान बनती है और लोग उसकी बात मानते हैं। वहीं इस दौरान में व्यक्ति के अटके हुए काम बनते हैं। साथ ही अगर व्यक्ति सरकारी कार्यों से जुड़ा हुआ हो तो अच्छा लाभ होता है। साथ ही व्यक्ति के पिता के साथ संबंध अच्छे रहते हैं। साथ ही पैतृक संपत्ति का सुख मिलता है।

सूर्य देव जन्मकुंडली में निगेटिव हो स्थित

ज्योतिष मुताबिक सूर्य ग्रह अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में अशुभ विराजमान हो तो व्यक्ति थोड़ा स्वाभिमानी और घमंडी होता है। साथ ही व्यक्ति की पिता के साथ अनबन रहती  है। वहीं जन्मपत्री में सूर्य देव नीच या अशुभ स्थित होने से उस व्यक्ति को हृदय और आंख से संबंधित रोग हो सकते हैं। वहीं अगर सूर्य देव नीच के स्थिति हो और उनका संबंध चतुर्थ भाव के बन रहा है तो व्यक्ति की मृत्यु ह्रदय रोग से हो सकती है। जबकि गुरु से पीड़ित होने पर जातक को उच्च ब्लड प्रेशर की शिकायत होती है। साथ ही व्यक्ति को मान- सम्मान की प्राप्ति नहीं होती है।

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