स्वामी करपात्री महाराज का इंदिरा गांधी खूब सम्मान करती थीं। उनकी तमाम बातों को मानती भी थीं। करपात्री महाराज से इंदिरा ने वादा किया था कि अगर चुनाव में उनकी विजय हुई तो वह सारे गोकशी के अड्डों (अंग्रेजी हुकुमत के दौर से चलने वाले) को बंद करा देंगी। लेकिन जब वो चुनाव जीतीं तो अपना वादा पूरा करती नहीं दिखीं।
इसके बाद करपात्री महाराज के नेतृत्व में हजारों संतों ने गोहत्याबंदी और गोरक्षा पर कानून बनाने के लिए एक बहुत बड़ा आंदोलन चलाया। संतों ने दिल्ली में एक बहुत बड़ी रैली निकाली। जिसका संचालन करपात्री महाराज कर रहे थे। साधु- संत और गोरक्षक जब संसद का घिराव करने पहुंचे तो उनपर सुरक्षाकर्मियों ने गोलियां चला दीं, जिसमें कई लोगों की जान चली गई।ट
इस घटना से करपात्री महाराज आग बबूला हो गए। संसद के सामने साधुओं की लाशें उठाते हुए उन्होंने इंदिरा गांधी को न सिर्फ भला-बुरा कहा बल्कि श्राप भी दे दिया था। यह पूरा घटनाक्रम साल 1965 के आसपास का है। देश में गोहत्या बंद कराने और गोरक्षा पर सख्त कानून लाने के लिए विशाल आंदोलन हुआ था। अगले साल संत इसी मांग को लेकर देश की राजधानी नई दिल्ली कूच कर गए थे।
गोरक्षा महाभियान समिति के संचालक व सनातनी करपात्री महाराज ने चांदनी चौक स्थित आर्य समाज मंदिर से अपना सत्याग्रह आरंभ किया। करपात्री महाराज के नेतृत्व में जगन्नाथपुरी, ज्योतिष पीठ व द्वारका पीठ के शंकराचार्य व हजारों की संख्या में लोग मौजूद थे। लाल किला मैदान से जुलूस शुरू हुआ और लोग संसद भवन की तरफ कूच करने लगे।
हजारों साधु-संत गोहत्या और गोरक्षा के मुद्दे पर कानून की मांग को लेकर संसद के बाहर धरने पर बैठ गए। सात नवंबर को1966 को धरने के दौरान करपात्री महाराज के साथ मौजूद रामचंद्र वीर ने आमरण अनशन का ऐलान कर दिया था।
सुरक्षाकर्मियों ने चलाईं अंधाधुंध गोलियां:
बताया जाता है कि प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस पूरे घटनाक्रम के बाद फायरिंग के आदेश दे दिए थे। जिसके बाद सुरक्षाकर्मियों ने अंधाधुंध गोलियां चला दीं, जिसमें कई साधु-संत और गोरक्षकों की जान गई थी। इस घटनाक्रम के बाद राजधानी में कर्फ्यू लगाने तक की नौबत आ गई थी। कई संतों को जेलों में बंद कर दिया गया। तत्कालीन गृह मंत्री गुलजारी लाल नंदा ने मामले से क्षुब्ध होकर इस्तीफा दे दिया था।
करपात्री महाराज ने दिया था श्राप:
कहा जाता है कि करपात्री महाराज ने क्रोधित होकर इंदिरा गांधी को श्राप दे दिया था कि जैसे उन्होंने साधुओं पर फायरिंग कराई है, ठीक ऐसा ही उनका भी हाल होगा। इस घटना के बाद वे खुद अवसाद में चले गए थे।