आध्यात्मिक गुरु और आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के संस्थापक रविशंकर अमेरिका यात्रा पर हैं। यहां वो अगले दो महीने तक तमाम शहरों का दौरा करेंगे। कोविड-19 के पैदा हुई चुनौतियों और जरूरतों के बारे में लोगों से रूबरू होंगे। एक साक्षात्कार में उन्होंने भारत में एक मजबूत और जीवंत विपक्ष की जरूरत बताई है। श्नी श्री ने कहा कि भारत में राष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत विपक्षी दल की आवश्यकता है, जिसकी वर्तमान में कमी है।
भारत को मजबूत विपक्ष की जरूरत: आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के संस्थापक रविशंकर ने पीटीआई को दिए एक साक्षात्कार में कहा, “भारत को एक मजबूत विपक्ष…एक रचनात्मक विपक्ष की जरूरत है। वर्तमान विपक्ष बहुत कमजोर है। विपक्ष में नेतृत्व की कमी के कारण लोकतंत्र, लोकतंत्र जैसा प्रतीत नहीं होता। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक देशों को एक मजबूत विपक्ष की जरूरत होती है, लेकिन भारत में इसकी कमी है।”
विपक्ष न होने से देश निरंकुश दिख सकता: उन्होंने कहा कि यकीनन, पश्चिम बंगाल ने एक निष्पक्ष एवं स्वतंत्र चुनाव से दिखाया है कि कोई भी पार्टी भारत के संविधान से छेड़छाड़ नहीं कर सकती और न्यायपालिका काफी मजबूत है। लेकिन, केंद्र में मजबूत विपक्ष ना होने के कारण, एक मजबूत नेता की छवि से देश निरंकुश दिख सकता है, लेकिन ऐसा असल में है नहीं। हम एक महान लोकतांत्रिक देश हैं। लोगों के पास शक्ति है।
साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पश्चिम में यूक्रेन में युद्ध पर भारत के रुख के बारे में एक गलत धारणा है, जिसमें लोग सोचते हैं कि नई दिल्ली एक हमलावर का समर्थन कर रही है, जो वास्तव में ऐसा नहीं है। भारत का डीएनए हमेशा शांति और अहिंसा रहा है।
हम युद्ध नहीं शांति के लिए खड़े हैं: रविशंकर ने कहा कि “सबसे पहले, हमें दुनिया को स्पष्ट करना चाहिए कि हम शांति के लिए खड़े हैं। हम युद्ध के लिए नहीं हैं। यह एक गलत धारणा है कि हम युद्ध का पक्ष ले रहे हैं। हमारे प्रधानमंत्री ने कई बार यह कहा है कि हम शांति के लिए खड़े हैं। ” आगे उन्होंने बताया कि COVID-19 महामारी के बाद लोगों में बहुत गुस्सा है। रविशंकर ने कहा कि इस पर ध्यान देने की जरूरत है और वह इसी पर काम कर रहे हैं।
अमेरिकी सांसदों से मिले: बता दें कि श्री श्री ने 10 मई को सांसदों के एक समूह से मुलाकात की थी और मानसिक स्वास्थ्य पर चर्चा की थी। वहीं डेलावेयर में एक सभा को संबोधित किया था, जिसमें मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों से निपटने के तरीकों और शांति कायम करने की जरूरतों पर बात की थी। रविशंकर ने अपने अमेरिका टूर की शुरुआत मियामी से की थी। इसके बाद वह बोस्टन पहुंचे, जहां हार्वर्ड विश्वविद्यालय में भी उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य पर अपने विचार साझा किए।