सूर्य ग्रहण लगने के वैज्ञानिक और धार्मिक दोनों ही कारण हैं। विज्ञान के अनुसार सूर्य ग्रहण लगना एक फेस्टिवल की तरह ही है क्योंकि उससे उन्हें ब्रह्मांड के बारे में और भी ज्यादा जानने का मौका मिलता है। विज्ञान अनुसार सूर्य ग्रहण तब लगता है जब चंद्रमा आंशिक या पूर्ण रूप से सूर्य को अपनी छाया से कवर कर लेता है। इस प्रक्रिया में चांद सूर्य और धरती के बीच में आ जाता है।
धार्मिक मान्यताओं अनुसार देखें तो ग्रहण राहू या केतु के कारण लगता है। माना जाता है कि ग्रहण के समय हमारे देवता परेशानी में होते हैं और राहू इस दौरान ब्रह्मांड पर अपना पूरा जोर लगा रहा होता है। इसलिए ग्रहण को देखना अच्छा नहीं माना गया है। राहू केतु छाया ग्रह हैं जिसके प्रभाव से चंद्रमा और सूर्य भी नहीं बच पाते। इसलिए अगर ये कुंडली में बुरे भाव में जाकर बैठ जाएं तो जातक को काफी कष्टों का सामना भी करना पड़ सकता है। सूर्य ग्रहण हमेशा अमावस्या के दिन ही लगता है।
कहा जाता है कि राहू केतु पूर्णिमा के दिन चंद्रमा का और अमावस्या के दिन सूर्य का ग्रास कर लेते हैं। जिस कारण धरती पर ग्रहण दिखाई देता है लेकिन ऐसा क्यों है इसके पीछे एक कहानी है जिसके अनुसार स्वरभानु नाम का एक राक्षस था जो समुद्र मंथन से निकले अमृत को पीना चाहता था। पर भगवान विष्णु मोहिनी रूप में देवताओं को सारा अमृत पिलाना चाहते थे। लेकिन राक्षस को जैसे ही भगवान विष्णु की चाल की भनक हुई वह देवताओं की पंक्ति में जाकर बैठ गया। राक्षस की इस चाल को सूर्य और चंद्रमा समझ गए और उन्होंने प्रभु को इसकी जानकारी दी। श्री हरि ने तुरंत उस राक्षस की गर्दन काट दी। अमृत पीने के कारण राक्षस मर नहीं सका। जिस कारण उसका एक हिस्सा राहु दूसरा केतु कहलाया।
सूर्य ग्रहण का समय (26 Dec 2019 Surya Grahan Time):
ग्रहण प्रारम्भ काल – 08:17 ए एम
परमग्रास – 09:31 ए एम
ग्रहण समाप्ति काल – 10:57 ए एम
खण्डग्रास की अवधि – 02 घण्टे 40 मिनट्स 06 सेकण्ड्स
सूतक काल का समय:
सूतक प्रारम्भ – 05:31 पी एम, दिसम्बर 25 से
सूतक समाप्त – 10:57 ए एम 26 दिसंबर को