Sita Mata Ji ki Aarti Lyrics In Hindi, Aarti Shri Janake Dulaaree Ki Sita Ji Raghuvar Devata Ki: आज 22 जनवरी को अयोध्या के नवनिर्मित राम मंदिर में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम हो रहा है, जिससे पूरे देश राममय हो गया है। वहीं अगर आप किसी कारण से अयोध्या जाकर राम मंदिर कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पा रहे हैं, तो आप घर पर ही रामलला और माता सीता की पूजाकर आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ सुथरे वस्त्र धारण करें। वहीं इसके बाद पूजा चौकी पर राम दरबार का चित्र या मूर्ति स्थापित करें। वहीं राम जी के साथ माता जानकी का पूजन करें और अंत में राम जी के साथ मां जानकी की आरती करें। आइए जानते हैं मां सीता जी की आरती…
श्री जानकी जी वन्दना
उद्भवस्थितिसंहारकारिणीं क्लेशहारिणीम्।
सर्वश्रेयस्करीं सीतां नतोअहं रामवल्लभाम्।।
श्री जानकी जी की आरती
आरती श्रीजनक-दुलारी की।
सीताजी रघुबर-प्यारी की।।
जगत-जननि जगकी विस्तारिणि,
नित्य सत्य साकेत विहारिणि।
परम दयामयि दीनोद्धारिणि,
मैया भक्तन-हितकारी की।।
आरति श्रीजनक-दुलारी की।
सतीशिरोमणि पति-हित-कारिणि,
पति-सेवा-हित-वन-वन-चारिणि।
पति-हित पति-वियोग-स्वीकारिणि,
त्याग-धर्म-मूरति-धारी की।।
आरति श्रीजनक-दुलारी की।।
विमल-कीर्ति सब लोकन छाई,
नाम लेत पावन मति आई।
सुमिरत कटत कष्ट दुखदायी,
शरणागत-जन-भय-हारी की।।
आरति श्रीजनक-दुलारी की।
सीताजी रघुबर-प्यारी की।।
माता सीता को समर्पित मंत्र
उद्भव स्थिति संहारकारिणीं हारिणीम् ।
सर्वश्रेयस्करीं सीतां नतोऽहं रामबल्लभाम् ।।
श्रीराम सांनिध्यवशां-ज्जगदानन्ददायिनी ।
उत्पत्ति स्थिति संहारकारिणीं सर्वदेहिनम् ।।
श्री जानकी रामाभ्यां नमः ।।
जय श्री सीता राम ।।
श्री सीताय नमः ।।
इस शुभ मुहूर्त में विराजमान होंगे रामलला
वैदिक पंचांग के अनुसार रामलला की मूर्ति को प्राण प्रतिष्ठा देने के लिए 22 जनवरी 2024 पौष माह के द्वादशी तिथि को अभिजीत मुहूर्त, इंद्र योग, मृगशिरा नक्षत्र, मेष लग्न और वृश्चिक नवांश को चुना गया है जो दिन के 12 बजकर 29 मिनट और 08 सेकंड से 12 बजकर 30 मिनट और 32 सेकंड तक अर्थात 84 सेकंड का होगा। इसी समय में प्रभु श्रीराम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। रामलला की मूर्ति स्थापित करने के बाद ‘प्रतितिष्ठत परमेश्वर’ मंत्र का उच्चारण किया जाएगा। इसका अर्थ होता है परमेश्वर आप विराजमान हो। वहीं आपको बता दें कि जब भी किसी मूर्ति की प्रतिष्ठा होती है तो सबसे पहले मूर्ति के चेहरे पर एक पट्टी बांध दी जाती है और पट्टी खोलने के बाद सबसे पहले मूर्ति को शीशा दिखाया जाता है।
