Siddhivinayak Temple Mumbai: मुंबई का सिद्धिविनायक मंदिर एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। गणपति बप्पा के दर्शन के लिए यहां भारी संख्या में लोग आते हैं। धार्मिक मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई मुराद अवश्य पूरी होती है। ये मंदिर हर साल भारी दान प्राप्त करता है जिस कारण इसकी गिनती भारत के अमीर मंदिरों में भी होती है। यहां दर्शन के लिए बॉलीवुड के जाने माने स्टार से लेकर नेता, बड़े उद्योगपति भी आते हैं। हाल ही में अपने जन्मदिन के मौके पर एकता कपूर (Ekta Kapoor) यहां बप्पा के दर्शन के लिए पहुंची थीं। लॉकडाउन के चलते मंदिर बंद होने के कारण उन्हें बाहर से ही दर्शन करके लौटना पड़ा। जानिए सिद्धिविनायक मंदिर से जुड़ी कुछ रोचक जानकारी…
क्यों कहा जाता है सिद्धिविनायक? सिद्धिविनायक भगवान गणेश का सबसे लोकप्रिय रूप है। जिसमें भगवान गणेश की सूंड दाईं तरफ मुडी होती है। जानकारी के अनुसार गणेश जी की ऐसी प्रतिमा वाले मंदिर सिद्धपीठ कहलाते हैं। जिस कारण इन मंदिरों को सिद्धिविनायक कहा जाता है। विनायक भगवान गणेश का नाम है।
मंदिर की बनावट: मुंबई के प्रभावदेवी इलाके में यह मंदिर स्थित है। 5 मंजिला बने इस मंदिर में गणेश संग्रहालय, गणेश विद्यापीठ के अलावा दूसरी मंजिल पर गरीबों के मुफ्त इलाज के लिए अस्पताल भी है। इस मंजिल पर रसोईघर भी है। जहां से लिफ्ट सीधे गर्भग्रह में आती है। गणपित के लिए प्रसाद इसी रास्ते से लाये जाते हैं। मंदिर में सिद्धिविनायक के लिए एक छोटा सा मंडप है। यहां गणेश जी की प्रतिमा ढाई फुट ऊंची और दो फुट चौड़ी एक ही काले पत्थर से गढ़ी गई है। गणेश जी की एक भुजा में कमल, दूसरे में फरसा, तीसरे में जपमाला और चौथे में मोदक है। बाएं कंधे से होते हुए उदर पर सांप लिपटा है। माथे पर एक तीसरी आंख और गणेश प्रतिमा के एक तरफ रिद्धि और दूसरी तरफ सिद्धि की प्रतिमा हैं। मंदिर में लकड़ी के दरवाजे पर अष्टविनायक को प्रतिबिंबित किया गया है। मंदिर के अंदर की छत सोने के लेप से सजी हैं। इसकी परिधि में एक हनुमान मंदिर भी है।
मंदिर का कैसे हुआ निर्माण: जानकारी अनुसार मंदिर का निर्माण मूल रूप से 19 नवंबर 1801 में हुआ था। जिसे लेकर ऐसा माना जाता है कि लक्ष्मण विथु पाटिल नाम के एक स्थानीय ठेकेदार ने इसे बनाया था। जिसके निर्माण में लगने वाली धनराशि एक कृषक महिला ने दी थी, कहा जाता है कि उस महिला की कोई संतान नहीं थी। वह महिला चाहती थी कि मंदिर में आकर भगवान के आशीर्वाद से कोई भी महिला बांझ न रहे, सबको संतान सुख की प्राप्ति हो सके।
सबके लिए खुले हैं द्वार: खास बात ये है कि इस मंदिर के दरवाजे हर धर्म के लोगों के लिए खुले हैं। यहां मंगलवार के दिन होने वाली आरती काफी प्रसिद्ध है जिसमें हिस्सा लेने के लिए दूर दूर से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। सिद्धिविनायक को नवसाचा गणपति या नवसाला पावणारा गणपति के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल मराठी भाषा में इस नाम से बप्पा को पुकारते हैं। मंदिर के अंदर चांदी के चूहों की दो मूर्तियां भी हैं। मान्यता है कि चांदी से बने इन चूहों के कानों में अपनी मनोकामनाएं बताने से भगवान गणेश तक वह जल्द ही पहुंच जाती हैं।