Pitru Paksha Shopping Rules: हर साल पितृ 16 दिनों के लिए आता है। यह दिन पितृों को समर्पित होते हैं। पंचांग अनुसार पितृ पक्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू होता है और आश्विन मास की अमावस्या तक चलता है। मान्यता है कि इन दिनों पूर्वज पृथ्वी पर आते हैं और विचरण करते हैं। वहीं पितृ पक्ष में मृत्यु लोक को जा चुके पूर्वजों को याद करके नमन किया जाता है। इसके साथ ही पितरों की आत्मा की शांति के लिए उनका श्राद्ध करते हैं और उनके लिए पिंडदान व तर्पण करते हैं और पितृपक्ष में नई वस्तुओं की खरीददारी की मनाही होती है।
इसका कारण है कि नई वस्तुओं को खरीदने और उनका उपभोग करने से हमारा ध्यान पितरों से भटक जाता है और इस वजह से पितरों की आत्मा को कष्ट होता है। आइए जानते हैं पितृपक्ष में नई वस्तुएं क्यों नहीं खरीदनी चाहिए…
क्यों नहीं करना चाहिए नई वस्तुओं की खरीददारी
लोगों के मन में पितृपक्ष को लेकर मान्यता है कि यह एक अशुभ समय होता है और इन दिनों में कई वस्तुओं को नहीं खरीदना चाहिए। क्योंकि इससे पितृ नाराज हो सकते हैं। दरअसल मान्यता है कि पितृपक्ष में खरीदी गई वस्तुएं पितरों को समर्पित होती हैं इसलिए उन वस्तुओं में प्रेतों का अंश होता है और इन वस्तुओं को जीवित लोगों के लिए उपयोग करना सही नहीं होता है। इसी कारण से शादी विवाह से जुड़े लोग, जौहरी, कार बाजार, निर्माण कारोबार आदि में सब लोग अक्सर खाली बैठे दिखाई देते हैं। वहीं बात करें ज्योतिष शास्त्र की तो उसमें पितृ पक्ष में खरीददारी को लेकर कुछ भी उल्लेख नहीं है।
इन चीजों की खरीदारी करने से बचें
श्राद्ध पक्ष में नया मकान, प्लॉट, फ्लैट और नई गाड़ी खरीद सकते हैं। क्योंकि इन चीजों की खरीदारी से पूर्वज प्रसन्न होते हैं। साथ ही पूर्वजों के आशीर्वाद से ही संतान की प्राप्ति होती है। लेकिन पितृपक्ष में नए कपड़ों और नए गहनों की खरीदारी करने से बचना चाहिए। वहीं इन दिनों पूर्वजों की स्मृति में अच्छे कर्म करने चाहिए। मतलब आप निर्धनों की सेवा, सामाजिक और धार्मिक कार्य कर सकते हैं। लंगर लगा सकते हैं। साथ ही पेड़ लगाएं, दवाएं बांटें।
